6 अगस्त 1945 की सुबह सवा आठ बजे दुनिया के नक्शे से एक हँसता-खेलता और जिंदा शहर मिनटों में राख़ में बदल गया। यह किसी कल्पित कहानी का हिस्सा नहीं बल्कि वास्तविकता है जो इस समय अमरीका वायु सेना द्वारा गिराए जापान के हिरोशिमा पर गिराए एटम बम के कारण हो गया था। यही वास्तविकता आज भी दोहराई जाने का इंतज़ार कर रही है जब कहीं फिर कोई देश हाइड्रोजन बम का निर्माण करके उसके इस्तेमाल का मौका ढूंढ रहा है। क्या इन दोनों बमों में कोई अंतर है, आइये देखते हैं…
एटम बम :
द्वितीय विश्व युद्ध में अनेक विनाशकारी कार्यों में से एक कार्य एटम बम का आविष्कार भी था जिसे मैनहट्ट्न प्रोजेक्ट पर काम करने वाले वैज्ञानिकों ने किया था। अमरीका द्वारा बनाए गए इस हथियार पर वह दुनिया के सभी देशों के खर्चों से अधिक खर्च करता है। दरअसल एटम बम एक खतरनाक हथियार है जिसके अंदर शक्ति प्लूटोनियम या यूरोनियम जैसे भारी तत्व के नाभिक या न्यूक्लियस के टूटने से उत्पन्न होती है। यह नाभिकीय संलयन या नाभिकीय विखंडन इन दोनों प्रकार की नाभिकीय प्रक्रियाओं के मिलने से बनते हैं। यह नवनिर्मित शक्ति बहुत विनाशकारी होती है और इसी कारण एटम या परमाणु बम को अत्यंत विनाशकारी माना जाता है। वैज्ञानिकों का मानना है की एक हजार किलोग्राम से कुछ अधिक बड़े परमाणु बम इतनी अधिक ऊर्जा उत्पन्न कर सकता है, जितनी कई अरब किलोग्राम के परम्परागत विस्फोटकों के माध्यम से भी उत्पन्न हो सकती है।
हाइड्रोजन बम :
एटम बमों से भी अधिक विनाशकारी बम हाइड्रोजन बम को माना जाता है। इस बम के काम करने में आइसाटोप्स के परस्पर मिलन का सिद्धान्त काम करता है। इस बम के निर्माण और प्रयोग से दो एटम न्यूक्लियस के मिलने से भी अधिक शक्ति का निर्माण होता है और यह शक्ति या ऊर्जा सूरज की ऊर्जा के स्त्रोत से भी अधिक गंभीर और भयंकर होती है।
अभी तक विश्व के विभिन्न शक्तिशाली देश हाइड्रोजन बम का सफल परीक्षण कर चुके हैं लेकिन किसी युद्ध में इसका प्रयोग नहीं हुआ है। हाइड्रोजन बम को प्रयोग करने में दो चरणों में प्रक्रिया का अंजाम दिया जाता है। इस प्रक्रिया में हुआ परमाणु विस्फोट बहुत अधिक मात्रा में गर्मी पैदा करता है और परिणामस्वरूप परमाणु के न्यूक्लियस आपस में मिलने और जुडने शुरू हो जाते हैं जो एक तीव्र और तीक्ष्ण धमाके का कारण बनते हैं।
हाइड्रोजन और एटम बम अंतर क्या है :
दुनिया के नक्शे से मानवता को मिटाने में एटम बम और हाइड्रोजन बम एक समान काम करते हैं। फिर भी दोनों बमों में अंतर इस प्रकार है :
- एटम बम न्यूक्लियस के मिलने या टूटने से बनता है और एक विनाशकारी हथियार के रूप में सामने आता है। यह एक विस्फोट करता है जबकि हाइड्रोजन बम एक के बाद एक अनेक विस्फोट करता है और एटम बम से भी अधिक विनाशकारी सिद्ध हो सकता है।
- एटम बम के निर्माण और विस्फोट में यूरोनियम जिसके टूटने से ऊर्जा बनती है जबकि हाइड्रोजन बम के निर्माण में हाइड्रोजन के संस्थानिक या आइसाटोप्स ड्यूटीरियम और ट्राईटीरियम की जरूरत होती है। ये दोनों ही तत्व बहुत शक्तिशाली और विनाहसकारी होते हैं।
- एक हज़ार किलोग्राम से थोड़े बड़े एटम बम इतनी अधिक शक्ति उत्पन्न करते हैं जितनी ऊर्जा कई अरब किलोग्राम के परंपरागत विस्फोटों से उत्पन्न हो सकती है। जबकि हाइड्रोजन बम का इस्तेमाल तब होता है जब एटम के मिलने से विस्फोट होता है और इसके लिए 500.00,000 डिग्री सेल्सियस गर्मी की आवश्यकता होती है। इस बात की कल्पना भी असंभव है की इतनी गर्मी से क्या परिणाम हो सकता है।