युद्ध एक ऐसी मानवसर्जित घटना है जो लोगों के जीवन और देशों के इतिहास को हमेशा के लिए बदल के रख देती है । इस लेख में भारत में लड़े गए उन युद्ध के बारे में बताया गया है जिन्होंने हमारे देश का इतिहास बदल कर रख दिया था ।
पानीपत की लड़ाई (1526)
इस युद्ध से भारत में मुग़ल युग का प्रारंभ हुआ था। इस युद्ध को दिल्ली के उत्तर-पश्चिम में स्थित पानीपत के मैदान में लड़ा गया था। युवा मुग़ल सुलतान बाबर ने भारत की समृध्धि और प्रतिष्ठा से आकर्षित होकर उसे हासिल करने के लिए 1526 में आक्रमण किया। उस समय यहाँ इब्राहीम लोदी का शासन था। बाबर की फ़ौज करीब 15000 की थी जबकि लोदी की फ़ौज 30000 से 40000 के बीच थी। फिर भी कुशल रणनीति, हाथी और आधुनिक राइफल एवं तोपों की मदद से उसने यह युद्ध जीत लिया और मुग़ल शासन का आगाज़ किया।
तालीकोटा का युद्ध(1565)
मुग़ल सल्तनत के समय में दक्षिण भारत में विजयनगर ने अपना अलग अस्तित्व बनाए रखा था। यह राज्य एक सुविकसित और बलवान राज्य था। लेकिन इस राज्य की शक्ति से मध्य भारत की डेक्कन सल्तनत को भय था। इसलिए उन्होंने 1965 में विजयनगर पर धावा बोल दिया। हालाँकि विजयनगर की फ़ौज बड़ी और शक्तिशाली थी, फिर भी 26 जनवरी, 1565 को उसकी हार हुई। इसके बाद मुग़लों को दक्षिण भारत में प्रवेश का मौक़ा मिल गया और आने वाले वर्षों में, लम्बे समय तक अजेय रहने वाला दक्षिण भारत भी उनके साम्राज्य का हिस्सा बन गया।
करनाल का युद्ध(1739)
इस युद्ध से मुग़ल शासन का अंत शुरू हो गया था। 24 फरवरी 1739 के दिन यह युद्ध मध्य-पुर्वीय एशिया के शासक नादिर शाह और भारत के मुग़ल सुलतान महम्मद शाह के बीच हुआ था। महम्मद शाह की फ़ौज नादिर शाह से कई गुना बड़ी थी लेकिन उसमे युद्धनीति का अभाव था। नादिर शाह की फ़ौज सुगठित थी और उसकी युद्धनीति बेहतर थी। इसलिए नादिर शाह की जीत हुई। उसने महम्मद शाह को शासन करने दिया लेकिन उसके लिए महम्मद शाह को बड़ी आर्थिक कीमत चुकानी पड़ी। इस युद्ध के बाद मुग़ल सल्तनत के पतन का प्रारंभ हुआ।
प्लासी का युद्ध(1757)
इस युद्ध ने हिन्दुस्तान में पहली बार ब्रिटिश शासन की नींव रखी थी। यह युद्ध ईस्ट इंडिया कंपनी और बंगाल के नवाब सिराज उद दौला की फ़ौज के बिच 23 जून 1957 के दिन लड़ा गया था। नवाब के सेनापति मीर जाफर के विशवासघात के कारण नवाब की सेना हार गई और अंग्रेजों की जीत हुई। बाद में मीर जाफर को बंगाल का नवाब बनाया गया जो अंग्रेजों के हाथों की कठपुतली बनकर रह गया।