केन्द्रीय शहरी विकास मंत्री श्री वेंकैया नायडू ने कहा कि केंद्र सरकार पर्यावरण को बचाने के लिए शहरों में ग्रीन अर्बन ट्रांसपोर्टेशन सिस्टम का विकास करेगी जो जल वायु के अनुकूल होगा। इसके लिए केंद्र सरकार 25000 करोड़ रूपये का बजट जारी करेगी। इसके साथ ही सरकार यह भी प्रयत्न करेगी कि सभी शहर अपने विकास के लिए आत्मनिर्भर हो सकें।
क्या है ग्रीन अर्बन ट्रांसपोर्ट स्कीम:
दुनिया के कई देश वायु प्रदूषण की समस्या से जूझ रहे है। इसके उपाय स्वरूप हमारी सरकार ने ग्रीन अर्बन ट्रांसपोर्ट स्कीम शुरू करने का ऐलान किया है। इसका मुख्य उद्देश्य ऐसा ट्रांसपोर्ट सिस्टम विकसित करना है जिससे कम से कम हानिकारक वायु उत्पन्न हो। उसका दूसरा उद्देश्य ज्यादा से ज्यादा लोगों को सार्वजानिक ट्रांसपोर्ट सेवाएँ उपयोग करने के लिए उत्साहित करना है। नीचे इस योजना की रुपरेखा दी गई है। इसके लिए गैर-सरकारी एजेंसियों को भी शामिल किया जायेगा।
योजना का नाम: ग्रीन अर्बन ट्रांसपोर्ट स्कीम (GUTS)
उसे कहाँ लागू किया जायेगा?
शुरूआती समय में देश के उन मुख्य शहरों को इस योजना में शामिल किया गया है, जिनकी आबादी 5 लाख से ज्यादा है। इंटेलिजेंट ट्रांसपोर्ट सिस्टम की मदद से इन शहरों में जो सेवाएँ पहले से उपलब्ध है उनको आधुनिक बनाया जायेगा और जहाँ सेवाएँ उपलब्ध नहीं है वहां नई सेवाएँ बनाई जायेगी।
मुख्य उद्देश्य: कार्बन का उत्पादन कम करना इस योजना का मुख्य उद्देश्य है। लेकिन अगर ज्यादा लोग नई सार्वजनिक सेवाओं का उपयोग करेंगे तो ट्रैफिक की समस्या भी हल हो सकेंगी।
बजट का स्त्रोत: केंद्र सरकार और गैर-सरकारी संस्थाएं बजट के मुख्य स्त्रोत रहेंगे। क्यूंकि इस योजना में गैर परंपरागत तरीके अपनाए जा रहे है, इस योजना का कुल खर्चा काफी ज्यादा माना जा रहा है। लेकिन इसके बदले लोगों को अच्छी गुणवत्ता वाली सेवाएँ भी मिल पाएगी। शुरूआती बजट 25000 करोड़ रूपये का है जो केंद्र सरकार देगी।
कौन सी सेवाएँ इसमें है?
इस योजना के तहत शहरों में साइकिल ट्रैक, बीआरटीएस ट्रैक और मेट्रो रेल जैसी सार्वजनिक सेवाएँ उपलब्ध कराई जायेगी।
माना जाता है कि इस योजना के सफल होने पर हाल के दिनों में दिल्ली में देखी गई वायु प्रदूषण जैसी समस्याओं को रोका जा सकेगा और ग्रीन हाउस इफ़ेक्ट (जिससे पृथ्वी का तापमान बढ़ रहा है) कम किया जा सकेगा।