सिंधु घाटी सभ्यता में कुछ ऐसा था समाज एवं धर्म का स्वरूप

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The Indus Valley Civilization


Indus Valley Civilization दुनिया की सबसे प्राचीन नदी घाटी सभ्यताओं में से एक रहा है। Indus Valley Civilization में Society and Religion के बारे में जानना बेहद दिलचस्प है। Indus Valley के Society and Religion का topic UPSC Exam के History syllabus में भी है। यहां हम आपको सिंधु घाटी सभ्यता में समाज और धर्म के बारे में विस्तार से बता रहे हैं, जो आपके बहुत काम आयेगी।

Indus Valley Civilization में समाज की स्थिति

Indus Valley Civilization में समाज में चार प्रजातियां हुआ करती थीं। ये प्रजातियां भूमध्यसागरीय, प्रोटोआस्ट्रेलियाड, मंगोलाइड और अल्पाइन थीं। इनमें सर्वाधिक आबादी भूमध्यसागरीय प्रजाति के लोगों की थी। मुख्य रूप से चार वर्गों योद्धा, व्यापारी, विद्वान व श्रमिक में  सिन्धु घाटी का समाज बंटा हुआ था। यहां से जो स्त्रियों की मूर्तियां प्राप्त हुई हैं, उससे यह अंदाजा लगाया जाता है कि सिंधु घाटी सभ्यता का समाज मातृसत्तात्मक रहा था। हड़प्पा सभ्यता की यदि बात करें तो यहां के लोगों को युद्ध पसंद नहीं था। ये लोग शांति ही पसंद करते थे। दो प्रकार के भवनों के साक्ष्य हड़प्पा एवं मोहनजोदड़ो में मिले हैं। इनके आधार पर यह कहा जाता है कि यहां समृद्ध लोगों का निवास बड़े घरों में होता था, जबकि गरीब, मजदूर एवं दास लोगों छोटे घरों में रह रहे थे।

वस्त्रों आभूषणों पर एक नजर

  • पुरुषों की जो कृतियां सैंधव स्थलों से मिली हैं, उनकी संख्या बहुत ही कम है। साथ ही ये टूटी-फूटी भी हैं। ऐेसे में पुरुष उस वक्त क्या पहनते थे, इसका पता ठीक से नहीं चल पा रहा। घीया पत्थर से बनी हुई इंसान की मूर्ति मोहनजोदड़ो से प्राप्त हुई है। इसे योगी की मूर्ति के नाम से जाना जाता है। इस मूर्ति को गौर से देखा जाए तो पता चलता है कि उस दौरान पुरुष शाल से खुद को ढका करते थे।
  • यहां से स्त्रियों की मृण्मूर्तियां बड़ी संख्या में बरामद हुई हैं। इनका अवलोकन करके स्त्रियां जो वस्त्राभूषण इस दौरान पहनती थीं, उनके विषय में आसानी से जानकारी उपलब्ध हो जाती है। यहां से जो ये मूर्तियां प्राप्त हुई हैं, इन मूर्तियों को मातृदेवी के नाम से जाना गया है। ऊपरी हिस्से में इनके शरीर के कोई वस्त्र नजर नहीं आता है। वहीं शरीर के निचले भाग में घुटनों तक का घेरा बनाता हुआ वस्त्र दिख जाता है।
  • कई स्त्री-मूर्तियों के सिर पर एक अलग ही प्रकार की शिरोभूषा देखने को मिली है। कई आकृतियां ऐसी हैं, जिनमें आपको दोनों तरफ ऐसी वस्तु रखी हुई नजर आती है, जिसकी आकृति डलिया के जैसी है। स्त्रियां उस दौरान आकर्षक विन्यास धारण किया करती थीं। कांस्य की जो मूर्ति मोहनजोदडो से मिली है, वह बड़ी ही मनमोहक लगती है। वास्तव में सैंधव लोगों को आभूषणों से बड़ा प्रेम था। पुरुष भी आभूषण को उतना ही धारण करते थे, जितना कि स्त्रियां। विशेषकर बेहद कीमती गुरियों से बने आभूषण इस्तेमाल में आ रहे थे। छः लड़ी का सोने के मनकों का एक हार भी हड़प्पा भी प्राप्त हुआ है। बोतल जैसी एक काले रंग की चीज भी हड़प्पा से मिली है, जिसके बारे में कहा जाता है कि यह काजल रही होगी।

खानपान एवं मनोरंजन

सिंधु घाटी सभ्यता के लोगों का खानपान कैसा था, इसके बारे में अधिक जानकारी तो उपब्लध नहीं है, लेकिन पुराविदों के मुताबिक वे गेहूं और जौ का अधिक सेवन करते थे। हालांकि, कालीबंगा एवं इसके निकट के इलाकों में जो लोग थे, उन्हें जौ से ही खुद को संतोष करना पड़ता था। गुजरात के रंगपुर, सुरकोतदा जैसी जगहों से साक्ष्य मिले हैं, वे बताते हैं कि यहां के रहने वाले भोजन में चावल और बाजरा का अधिक सेवन करते थे। साथ ही तिल और सरसों के तेल के साथ घी का इस्तेमाल उनके द्वारा किया जाता था। इनके मनोरंजन के साधनों की बात करें तो मछली पकड़के और शिकार करके ही ये अपना मनोरंजन करते थे। साथ ही पशु-पक्षियों को आपस में लड़ाना और चैपड़ व पासा खेलकर भी ये मनोरंजन करते थे।

अंत्येष्टि के प्रकार

Indus Valley में Society and Religion पर नजर डालें तो हम पाते हैं कि यहां अंत्येष्टि के तीन प्रकार प्रचलन में थे। इनमें से पहला समाधिकरण था, जिसके नमूने कालीबंगा से प्राप्त हुए हैं। गोलाकार छोटी-छोटी कब्र हुआ करती थी। लोथल में युग्म शवाधान की जानकारी मिलती है, तो रूपनगर में एक ऐसी समाधि भी मिली है, जिसमें कुत्ते को भी मालिक के साथ दफनाया गया था। इसी तरह के कुछ प्रमाण बुर्जहोम से भी प्राप्त हुए हैं। उसी तरह से हड़प्पा में एक ऐसी कब्र भी मिली है, जिसमें ताबूत मिला है। अंत्येष्टि का यहां दूसरा प्रकार आंशिक समाधिकरण और तीसरा दाह संस्कार था।

धार्मिक स्वरूप

  • सिंधु घाटी सभ्यता में मातृदेवी की पूजा किये जाने के साक्ष्य मिले हैं। पूजा कुमारी के रूप में यहां नारी की पूजा की जाती थी। एक मूर्ति मोहनजोदड़ो से मिली है, जिसमें देवी के सिर एक पक्षी पंख फैलाये बैठा दिखा है। यहां शिवलिंग से मिलती-जुलती आकृति भी मिली है। एक मुहर मिली है, जिस पर योगी की आकृति बनी है। कालीबंगा में हवन कुंड जैसी चीज मिली है।
  • पशु पूजा, वृक्ष पूजा और जल पूजा के भी साक्ष्य प्राप्त हुए हैं। वैसे, मंदिरों के बारे में कोई जानकारी यहां नहीं मिली है। एक मूर्ति मिली है, जिसमें एक पौधे को स्त्री के गर्भ में प्रस्फुटित होते देखा गया है, जिससे पता चलता है कि इस दौरान पृथ्वी की पूजा की जाती थी। हड़प्पा से लिंग पूजा के सर्वाधिक प्रमाण प्राप्त हुए हैं। कूबड़ वाले सांड को यहां पूजा जाता था।
  • कई मृदभांड मिले हैं, जिन पर नाग की आकृति दिखी है। इससे सिंधु घाटी सभ्यता में नाग की पूजा किये जाने का भी अनुमान लगाया गया है। राखीगढ़ी, लोथल, कालीबंगा और बनवाली में उत्खन्न के दौरान कई अग्निवेदियां प्राप्त हुई हैं, जिससे पता चलता है कि अग्नि पूजा उस काल में होती थी।

निष्कर्ष

UPSC Exam में History के लिए महत्वपूर्ण Indus Valley Civilization में Society and Religion के बारे में आपने यहां विस्तार से समझ लिया है। इससे सवाल पूछे जाने पर आपको अब उत्तर देने में आसानी होगी।

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