केंद्रीय मंत्रिमंडल की ओर से Code on Industrial Relations Bill 2019 को मंजूरी दे दी गई है, जिसमें The Trade Unions Act, 1926, The Industrial Employment (Standing Orders) Act, 1946 और The Industrial Disputes Act, 1947 को समाप्त करना प्रस्तावित है। पिछले साल सरकार की ओर से अंतर-मंत्रालयी परामर्श के लिए The Labour Code on Industrial Relations Bill के साथ कैबिनेट के लिए एक draft Note जारी किया गया था। यह केंद्रीय श्रम कानूनों के चार codes में सरकार के प्रस्तावित codification में तीसरा code है। Industrial Relations Code, 2019 को मंजूरी दिये जाने के बाद कंपनियां किसी भी वक्त निश्चित अवधि के अनुबंध पर श्रमिकों की नियुक्ति कर पायेंगी। छंटनी से पहले जो कार्यकर्ताओं की संख्या की सीमा सरकार की मंजूरी के लिए 100 रखी गई थी, उसे कोड में बरकरार रखा गया। हालांकि कर्मचारियों की संख्या अधिसूचना के जरिये बदली जा सकती है, ऐसा इसमें प्रावधान किया गया है। निश्चित अवधि के रोजगार को इस तरह से समझा जा सकता है कि इसमें मौसम या ऑर्डर के आधार पर किसी भी कामगार को किसी भी अवधि जैसे कि तीन या छह महीने या फिर साल भर के लिए भी रखा जा सकता है।
Industrial Relations Code 2019 का महत्व
- छंटनी के लिए सरकारी से ली जाने वाली अनुमति में कुछ हद तक लचीलेपन की पेशकश तो Industrial Relations Code में की ही गई, साथ ही इसका सबसे महत्वपूर्ण पहलू ये है कि यह अखिल भारतीय आधार पर अनुबंधित श्रमिकों के माध्यम से निश्चित अवधि के रोजगार की अवधारणा में शामिल होने के लिए कानूनी ढांचा पेश कर रहा है।
- वर्तमान में कंपनियां ठेकेदारों के माध्यम से अनुबंध श्रमिकों को काम पर रख रही हैं। निश्चित अवधि के रोजगार की शुरुआत के साथ वे उद्योग के सीजन के आधार पर अनुबंध की अवधि को संशोधित कर लचीलेपन के साथ श्रमिकों को एक निश्चित अवधि के अनुबंध के तहत सीधे काम पर रखने में सक्षम होंगे। इन श्रमिकों को अनुबंध के कार्यकाल के दौरान नियमित श्रमिकों के साथ समान मूल्य पर रखा जाएगा। एक केंद्रीय कानून में इसे शामिल करने के कदम से पहुंच तो व्यापक बनाने में मदद मिलेगी ही साथ ही राज्यों के लिए भी इसी का अनुसरण करने की उम्मीद की जाती है।
- सरकार ने पिछले साल केंद्रीय क्षेत्र के प्रतिष्ठानों (जिनमें रेलवे, खान, तेल क्षेत्र, प्रमुख बंदरगाह और किसी अन्य केंद्रीय सार्वजनिक क्षेत्र के उपक्रम के अधिकार के तहत प्रतिष्ठान हैं) में निश्चित अवधि के रोजगार को लागू करने की कोशिश की थी, लेकिन ये वांछित परिणाम हासिल करने में नाकामयाब रहे, क्योंकि राज्यों ने इसके लिए समान प्रावधानों को अधिसूचित नहीं किया था।
Industrial Relations Code में प्रमुख बदलाव
- सरकारी कर्मचारियों की छंटनी के लिए आवश्यक सीमा 100 कर्मचारियों को Industrial Relations Code, 2019 में अपरिवर्तित रखा गया है। बिल के पहले मसौदे में 300 कर्मचारियों का प्रस्ताव था, जिसका ट्रेड यूनियनों ने विरोध किया था।
- सरकार ने अब अधिसूचना के माध्यम से सीमा में बदलाव करना आसान कर दिया है। Scalability और employment generation पर लगाम कसने के लिए श्रम कानूनों की कठोरता को मुख्य वजह बताते हुए उद्योगों ने हमेशा बताया है और इसी को श्रम पर रोक लगाने के लिए भी जिम्मेदार ठहराया है। वर्तमान में जिस भी कंपनी के पास 100 या उससे अधिक कर्मचारी हैं, उन्हें सेवानिवृत्त करने के लिए कंपनी को अब सरकार की मंजूरी लेनी होगी।
- निश्चित अवधि के रोजगार का प्रावधान से सामाजिक सुरक्षा का लाभ श्रमिकों को मिलने जा रहा है। साथ ही कंपनियों के लिए भी कर्मचारियों की नियुक्ति करना और उन्हें हटाना आसान होगा।
- रोजगार पर नया कानून तय समय के लिए ही बनेगा। अवधि जैसे ही समाप्त होगी, कंपनी कर्मचारी को निकाल सकती है। निश्चित अवधि के लिए जो कर्मचारी रखे जाएंगे, उन्हें बिल्कुल स्थाई कर्मचारी के समान ही कंपनी की ओर सुविधाओं का लाभ मिलेगा। ग्रेच्युटी, बोनस, पीएफ आदि लाभ भी इन्हें मिलेगा। वर्तमान में निश्चित अवधि के कर्मचारी केवल contract पर ही रखे जा रहे हैं।
Industrial Relations Bill, 2019 की समीक्षा
Industrial Relations Code का उद्योगों की ओर से स्वागत ही किया गया है, जबकि कुछ ने इसे अस्पष्ट बताते हुए केंद्र एवं राज्य सरकार द्वारा इसके क्रियान्वयन के दौरान बाधा आने की आशंका जताई है। CII National Committee on Industrial Relations के प्रबंध निदेशक एमएस उन्नीकृष्णन ने कहा है कि उद्योगों को व्यावसायिक रूप से व्यावहारिक बनाने के लिए Code on Industrial Relations Bill, 2019 बहुत ही जरूरी था। वहीं, श्रम अर्थशास्त्री और मानव संसाधन प्रबंधन के प्रोफेसर के आर श्याम सुंदर ने इसे नियोक्ताओं को ट्रेड यूनियनों को खुश करने वाला बताया है।
निष्कर्ष
Industrial Relations Code, 2019 के जरिये तय समय के लिए भी नौकरी पर रखे जाने वाले कर्मचारियों की सुविधाएं निश्चित करने के साथ नियोक्ताओं के लिए भी कर्मचारियों को रखने एवं हटाने संबंधी नियमों को आसान बना दिया गया है।