Firozabad Rail Disaster को भला कोई भूल कैसे सकता है? 20 अगस्त, 1995 का दिन था। तड़के 3 बजे का वक्त था। फिरोजाबाद रेलवे स्टेशन से कालिंदी एक्सप्रेस चली थी। नीलगाय के टकराने की वजह से ट्रेन रुक गई थी। पीछे से आ रही पुरुषोत्तम एक्सप्रेस ने 100 किलोमीटर प्रति घंटा की रफ्तार से इसे जोरदार टक्कर मार दी। उसके बाद जो हुआ, उसे याद करके आज तक शरीर में सिहरन पैदा हो जाती है।
क्या-क्या जानेंगे आप इस लेख में
- यूं पड़ी Firozabad Rail Disaster की नींव
- कालिंदी एक्सप्रेस के ड्राइवर की चूक
- स्विचमैन की चूक
- असिस्टेंट स्टेशन मास्टर की चूक
- पुरुषोत्तम एक्सप्रेस के ड्राइवर की चूक
- Firozabad Rail Disaster में नुकसान
यूं पड़ी Firozabad Rail Disaster की नींव
- Indian Railway accidents में फिरोजाबाद रेल हादसे को बहुत ही भयावह माना जाता है। फिरोजाबाद रेलवे स्टेशन दरअसल उत्तर रेलवे के दिल्ली-कानपुर रेल मार्ग पर स्थित है और इसकी दूरी आगरा से लगभग 40 किलोमीटर की है।
- उस दिन हुआ यह कि कालिंदी एक्सप्रेस फिरोजाबाद स्टेशन से थोड़ी दूर बढ़ी ही थी कि एक नीलगाय से यह टकरा गई, जिससे वेक्यूम कंट्रोल वाले ब्रेक सक्रिय हो गए और ट्रेन वहीं रुक गई।
कालिंदी एक्सप्रेस के ड्राइवर की चूक
- Railway safety in India पर उस वक्त सवालिया निशान लगा देने वाले इस दर्दनाक हादसे में पहली चूक कालिंदी एक्सप्रेस के ड्राइवर एसएन सिंह की रही थी। उनके पास जो 15 मिनट का समय मौजूद था, इसमें या तो वे ट्रेन को आगे बढ़ा सकते थे या फिर केबिन को रिपोर्ट कर सकता थे की ट्रेन खड़ी हो गई है।
- कोशिश उन्होंने बहुत की, लेकिन ट्रेन स्टार्ट हुई नहीं। अब या तो उन्हें टूंडला स्टेशन के कंट्रोल रूम को फोन करके ट्रेन के रुकने की जानकारी देनी थी या फिर अपने केबिन में मौजूद इलेक्ट्रॉनिक फोन का इस्तेमाल करना था।
- वे ट्रेन से उतर कर फिरोजाबाद स्टेशन पहुंच कर स्टेशन मास्टर को भी इसके बारे में बता सकते थे, क्योंकि ट्रेन अभी भी फिरोजाबाद स्टेशन की परिधि में ही मौजूद थी।
- स्टेशन का पश्चिमी केबिन वहां से लगभग 400 मीटर पीछे था। ड्राइवर ने यह मान लिया कि केबिन मैन को पता चल गया होगा कि कालिंदी एक्सप्रेस रुक गई है। वे आराम से चुपचाप बैठ गए। यही नहीं, उन्होंने इस बारे में न तो कंट्रोल रूम को कोई सूचना दी और न ट्रेन ही आगे बढ़ी।
स्विचमैन की चूक
- Firozabad Rail Disaster के लिए वेस्ट केबिन में इस वक्त तैनात 54 साल के गोरेलाल की चूक भी जिम्मेवार रही। रात में 1:00 बजे उनकी ड्यूटी शुरू हुई थी। गोरेलाल के ड्यूटी करने के दौरान लगभग 60 ट्रेनें हर दिन यहां से गुजरा करती थीं। कालिंदी एक्सप्रेस से पहले भी लगभग 10 ट्रेनें यहां से पास हो गई थीं।
- गोरेलाल यदि खिड़की से बाहर झांक कर भी देख लेते तो उन्हें कम-से-कम कालिंदी एक्सप्रेस के पीछे का भाग तो दिख ही जाता। उन्हें कम-से-कम वहां जल रही लाल बत्ती भी नजर आ जाती। गोरेलाल को समझ में आ जाता कि कालिंदी एक्सप्रेस रुकी हुई है। ऐसे में वे स्टेशन को तुरंत चेतावनी भेज सकते थे।
- गोरेलाल ने न तो खिड़की से बाहर झांका और न ही केबिन में लगे हुए पैनल में जलती हरी लाइट को ही उन्होंने देखा। इसे दरअसल लीवर कहते हैं। ट्रेन यदि स्टेशन के एडवांस स्टार्टर सिगनल से 42 फीट दूर पहुंच जाती तो इस चैनल पर लाल बत्ती दिखने लगती। फिर एक अलार्म बज जाता, जिससे कि यह साफ हो जाता कि ट्रेन लॉक करने वाला लीवर अब पूरी तरीके से फ्री है और दूसरी ट्रेन के लिए रास्ता खाली हो चुका है।
असिस्टेंट स्टेशन मास्टर की चूक
- Indian Railway accidents में फिरोजाबाद रेल हादसे का नाम शामिल होने में असिस्टेंट स्टेशन मास्टर एसबी पांडेय की भी भूमिका रही। उन्होंने गोरेलाल के केबिन में फोन करके उनसे इस बारे में जानकारी मांगी कि ट्रैक खाली है या नहीं। उन्होंने कहा कि सुपरफास्ट पुरुषोत्तम एक्सप्रेस को अब गुजरना है।
- गोरेलाल ने हां में उत्तर दे दिया। वैसे, असिस्टेंट स्टेशन मास्टर ने भी यहां चूक कर दी। कोई भी ट्रेन स्टेशन से निकलती है तो असिस्टेंट स्टेशन मास्टर को अगले स्टेशन से बात कर लेनी पड़ती है। पूछा जाता है कि लाइन क्लियर है या नहीं। दोनों ओर से बात कर लेने के बाद ही दोनों केबिन्स को हरी बत्ती दिखाने का और लाइन लॉक करने का निर्देश दिया जाता है, ताकि ट्रेन वहां से गुजर सके।
- ऐसे में एसबी पांडेय को अगले स्टेशन हीरनगांव फोन करके यह पता कर लेना चाहिए था कि कालिंदी एक्सप्रेस वहां पहुंची या नहीं। पुरुषोत्तम एक्सप्रेस के पास होने के लिए लाइन क्लियर है या नहीं?
- असिस्टेंट स्टेशन मास्टर को फोन करने पर यह जानकारी मिल जाती कि कालिंदी एक्सप्रेस अभी वहां नहीं पहुंची है। ऐसे में पुरुषोत्तम एक्सप्रेस को प्लेटफार्म पर ही रोका जाना मुमकिन था और यह दुर्घटना टाली जा सकती थी, लेकिन उन्होंने भी यहां गलती कर दी और पुरुषोत्तम एक्सप्रेस को पास होने के लिए लाइन दे दी गई।
पुरुषोत्तम एक्सप्रेस के ड्राइवर की चूक
- Railway safety in India में ड्राइवर की भी भूमिका अहम होती है। पुरुषोत्तम एक्सप्रेस के ड्राइवर दयाराम ने सिग्नल पर पीली लाइट जलती हुई देखी थी। ऐसे में उन्हें ट्रेन की रफ्तार घटा देनी चाहिए थी।
- स्टार्टर सिग्नल से पहले उन्हें ट्रेन को रोक देना चाहिए था, लेकिन दयाराम ने यह सोचकर पीली बत्ती को नजरअंदाज कर दिया कि लाइट का रंग हरा करने में पूर्वी केबिन के स्विच मैन को समय लग रहा होगा।
- इस तरह से 100 किलोमीटर प्रतिघंटे की रफ्तार में पुरुषोत्तम एक्सप्रेस ने कालिंदी एक्सप्रेस को पीछे से जोरदार टक्कर मार दी।
Firozabad Rail Disaster में नुकसान
तीन दिन लगे थे इन दोनों ट्रेनों के मलबे को खंगालने में। इसमें 300 से ज़्यादा लोगों की मौत हो गई थी। 393 लोग इस हादसे में घायल हुए थे। हादसा इतना भयावह था कि कालिंदी एक्सप्रेस के सामान्य कोच में सफर कर रहे केवल चार लोग ही जिंदा बच पाए थे।
…और अंत में
Firozabad Rail Disaster निश्चित तौर पर अपनी ड्यूटी कर रहे रेलकर्मियों की लापरवाही का नतीजा था। ऐसे में रेलकर्मियों को यह बात खुद से जरूर पूछनी चाहिए कि क्या वे कुछ ऐसा कर रहे हैं, जिसके कारण दुर्घटना घट सकती है। उन्हें याद रखना चाहिए कि हर दिन ट्रेन से सफर करने वाले लाखों यात्रियों की सुरक्षा की जिम्मेवारी उनके कंधों पर है।