पिछले कुछ सालों से सुर्ख़ियों में रहने वाले इस विधेयक के बारे में जरुरी जानकारी बहुत कम लोगों को प्राप्त है । यह एक ऐसा कानून है जो हर छोटे से छोटे आर्थिक विनिमय को असर करता है । इस लिए यह हमारे लिए महत्त्वपूर्ण है की हम इस कानून के बारे में समझे और जाने।
जी.एस.टी. विधेयक क्या है?
इसे सबसे पहले केलकर टास्क फ़ोर्स द्वारा राजकोषीय सुधारों और बजट प्रबंधन अधिनियम 2004 के अनुसंधान में प्रस्तावित किया गया था। अगर यह विधेयक हमारे संसद में पास हो जाता है तो हमारे देश की टैक्स संरचना पर महत्त्वपूर्ण असर होगा। अभी तक भारत में अलग अलग राज्यों में सामान एवं सेवाओं पर अलग अलग टैक्स लगता है। जैसे की अगर आप कोई कार मुंबई में और कानपुर में खरीदते है तो दोनों जगह आपको एक ही कार की भिन्न कीमत चुकानी पड़ेगी! जी.एस.टी. के आ जाने के बाद सभी राज्यों में सामान और सेवाओं पर एक ही टैक्स (वैट) लगेगा। इसका मतलब यह हुआ की आप कोई भी सामान या सेवा, देश के किसी भी प्रदेश में ख़रीदे, आपको एक ही कीमत चुकानी पड़ेगी। इस विधेयक के अनुसार एक्साइज और सर्विस टैक्स नहीं चुकाना पड़ेगा जो की अलग अलग राज्यों में भिन्न है।
जी.एस.टी. के उद्देश्य:
- पूरे देश में समान कर लागू करना
- सामान और सर्विस पर लगाए जाने वाले टैक्स की संख्या कम करना और इससे कीमतों में कमी लाना
- देश में व्यवसायी यों की उत्पादन क्षमता बढ़ाना
- देश में कर चोरी और भ्रष्टाचार को कम करना
जी.एस.टी. के फायदे:
इस कानून के बहुत से फायदे है जो यहाँ पर बताए गए है।
अन्य करों की समाप्ति!
इससे केंद्र सरकार को चुकाने पड़ते एक्साइज और सर्विस टैक्स ख़त्म हो जाएगा। राज्य सरकार को मिलने वाले मनोरंजन, लोटरी, वेट इत्यादि टैक्स भी समाप्त हो जायेंगे।
उद्योगों को बढ़ावा मिलेगा
इस कानून से भारतीय उत्पादकों को चुकाने पद रहे करों की संख्या में कटौती होगी जिसके तनाव से उन्हें मुक्ति मिलेगी। यह देश में उत्पादकों के लिए एक सवस्थ वातावरण बनाएगा और देश की उत्पादन क्षमता बढ़ेगी।
राज्यों के बीच आर्थिक विनिमय को सरल बनाना और एकता को बढ़ावा देना
पूरे देश में एक सा कर लगने से अलग अलग राज्यों में व्यापार करना सरल हो जाएगा और पूरा देश एक आर्थिक डोर से बांध जाएगा। इससे देश में एकता और शांति को बढ़ावा मिलेगा।
टैक्स को समझना आसान हो जाएगा
एक ही चीज़ पर लगने वाले बहुत से टैक्स ख़त्म हो जाने से सामान की कीमत समझना आसान हो जाएगा। जी.एस.टी. खुद एक आसानी से समझा जा सकने वाला टैक्स है।
कर दाताओं की संख्या में बढौतरी
सामान और सेवाओं पर लगने वाले टैक्स की संख्या और कुल टैक्स कम हो जाने से लोग कर चोरी से बचेंगे और करदाता ओं की संख्या में बढौतरी होगी। इससे देश में भ्रष्टाचार कम होगा।
जी.एस.टी. के नुकसान:
इतना पढ़ने के बाद हमें लगेगा की इस विधेयक से सी फायदे हो रहे है। लेकिन हर सिक्के के दो पक्ष होते है। जी. एस. टी. के कुछ नुक्सान भी है हो यहाँ पर बताए गए है।
केंद्र का हावी होना
यह आसानी से समझा जा सकता है की इस विधेयक का एक उद्देश्य केंद्र को ज्यादा हावी करना है और राज्य सरकारों के प्रभाव को कम करना है। कुल कर में सभी राज्यों की भागीदारी सामान हो जाने से हो सकता है की कुछ राज्यों को आर्थिक नुकसान भी हो! केंद्र सरकार टैक्स में कभी भी बढौतरी कर सकती है जिसे सभी राज्यों को बिना को शर्त मानना पडेगा। इससे देश में विरोध की भावना पैदा हो सकती है।
कुछ राज्यों को नुकसान होगा
जैसे की झारखंड! यह राज्य सामान के उत्पादनों पर निर्भर है। अगर इसमे होने वाले मुनाफे को केंद्र के साथ बाँटना पडा तो उसे नुकसान हो सकता है।
ग्राहकों पर बोझ बढेगा
इस वेधेयक के अनुसार जो कर उत्पादकों से लिए जाते थे वह अब सीधे ग्राहकों से लिए जायेंगे। इससे ग्राहकों पर बोझा बढ़ सकता है।
ज्यादा टैक्स रेट
जी.एस.टी. का रेट 16 % माना जा रहा है जोकि अभी के वेट से ज्यादा है।