1956 में आज के ही दिन अस्तित्व में आई थी भारतीय जीवन बीमा निगम

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LIC


Life Insurance Corporation of India की स्थापना 1 सितंबर, 1956 को की गई थी। भारतीय जीवन बीमा निगम के नाम से इसे शुरू किया गया था। यह जब अस्तित्व में आया तो देशभर में चल रहीं सभी 245 बीमा कंपनियों के व्यवसाय का इसने अधिग्रहण कर लिया। देश को जिस वक्त आजादी मिली थी, उस वक्त अनेक बीमा कंपनियां देशभर में कार्यरत थीं। हालांकि आर्थिक अनियमितताओं के कारण इनके प्रति लोगों के मन में शंका बनी हुई थी। इन्हीं अनियमितताओं पर लगाम कसने के उद्देश्य से देशभर में जीवन बीमा के राष्ट्रीयकरण का कदम 19 जनवरी, 1956 को उठाया गया था।

इस लेख में आपके लिए हैः-

  • भारत में बीमा का इतिहास
  • द्वितीय विश्वयुद्ध से पहले
  • जीवन बीमा का राष्ट्रीयकरण
  • भारत में जीवन बीमा के राष्ट्रीयकरण के कारण
  • भारतीय जीवन बीमा निगम के उद्देश्य
  • भारतीय जीवन बीमा निगम के कार्य
  • भारतीय जीवन बीमा का प्रतीक चिह्न

भारत में बीमा का इतिहास

  • भारत में बीमा की शुरुआत 18वीं शताब्दी के अंत में हुई थी। वर्ष 1793 में बंबई में बंबई इंश्योरेंस कंपनी की स्थापना हुई थी। यह कंपनी केवल अंग्रेजों को ही जीवन बीमा की सुरक्षा प्रदान करती थी।
  • भारतीयों के लिए जीवन बीमा जारी करने की कोशिश कुछ ब्रिटिश कंपनियों द्वारा की गई, लेकिन उन्हें अपने निर्णय पर बाद में पश्चाताप करना पड़ा। कई कंपनियों का विलय हो गया।
  • जब यूरोपियन और अल्बर्ट नाम की ब्रिटिश कंपनियां विफल हो गईं तो इसकी वजह से देश के बहुत से लोगों का बड़ा नुकसान हुआ।
  • भारतीयों के लिए जीवन बीमा की सबसे पुरानी पॉलिसी 1845 में रॉयल कंपनी की तरफ से सेठ फ़ारदूनजी नामक व्यक्ति को दी गई थी।
  • Insurance company वर्ष 1870 तक भारत में कोई भी ऐसी नहीं थी, जो कि यूरोपियन के समान शर्तों पर भारतीय नागरिकों को सामान्य जीवन बीमा उपलब्ध कराए।
  • वर्ष 1870 में जब बॉम्बे म्युचुअल इंश्योरेंस का निर्माण हुआ तो उसके बाद देश में जीवन बीमा का संगठित प्रयास शुरू हो गया। जिन कारणों से अल्बर्ट और यूरोपियन कंपनियों का पतन हुआ था, उनसे बचने के लिए Bombay Mutual Insurance Limited अपनी स्थापना के वक्त से ही बेहद सतर्क व जागरूक रही।
  • वर्ष 1905 में स्वदेशी आंदोलन के प्रभाव से देश में कई बीमा कंपनियों का उदय हुआ। इन कंपनियों में यूनाइटेड इंडिया, हिंदुस्तान को-ऑपरेटिव, मुंबई लाइफ, नेशनल जनरल और इंडियन मर्केंटाइल आदि प्रमुख हैं।

द्वितीय विश्वयुद्ध से पहले

  • जिस वक्त प्रथम विश्व युद्ध समाप्त हुआ था, तब तक भारत में जीवन बीमा व्यवसाय के अधिकांश हिस्से पर विदेशी कंपनियों का ही अधिकार था, लेकिन द्वितीय विश्वयुद्ध के समाप्त होने से पहले के दशकों में भारतीय जीवन बीमा व्यवसाय में समृद्धि आनी शुरू हो गई थी।
  • वर्ष 1928 में देशभर में जीवन बीमा के करीब 80 दफ्तर हुआ करते थे, लेकिन 1938 में यह संख्या बढ़कर 280 हो गई थी। साथ ही वार्षिक व्यवसाय में भी और औसतन डेढ़ गुना की बढ़ोतरी हुई थी।
  • वर्ष 1935 में 12 बीमा कंपनियों की स्थापना हुई थी। इस तरह से जीवन बीमा के इतिहास में एक वर्ष में यह सबसे बड़ी संख्या थी।

जीवन बीमा का राष्ट्रीयकरण

भारत में जीवन बीमा व्यावसाय के व्यवस्थापन के साथ इसके नियंत्रण को एक अध्यादेश के माध्यम से केंद्र सरकार में सम्मिलित करते हुए जीवन बीमा के व्यावसाय के राष्ट्रीयकरण के दृष्टिकोण से 19 जनवरी, 1956 को भारत सरकार ने पहला कदम उठाया। उस वक्त देश के वित्त मंत्री सीडी देशमुख थे। उन्होंने तब कहा था कि जीवन बीमा का राष्ट्रीयकरण जनता को प्रमाणिक सेवा देने की भावना से ओतप्रोत है।

भारत में जीवन बीमा के राष्ट्रीयकरण के कारण

  • प्रतियोगिता में बेकार की कोशिशें न की जाएं।
  • पाॅलिसीधारकों को 100 फीसदी सुरक्षा मिले।
  • कई अवांछनीय प्रथाएं, जिनका इस्तेमाल कुछ बीमा कंपनियों के व्यवस्थापक अपने पद और विशेषाधिकारों का दुरुपयोग करके पॉलिसीधारकों की संपत्ति को डुबोने के लिए करना चाह रहे थे, उनका अंत करना।
  • बीमा धन का उपयोग राष्ट्रीय हित के कार्यों में किया जा सके।

भारतीय जीवन बीमा निगम के उद्देश्य

History of September 1 पर जब हम नजर डालते हैं तो भारतीय जीवन बीमा निगम की स्थापना की याद आती है। इसके उद्देश्यों के बारे में तत्कालीन वित्त मंत्री सीडी देशमुख ने कहा था कि जीवन बीमा का राष्ट्रीयकरण किये जाने से द्वितीय पंचवर्षीय योजना के लक्ष्य को प्राप्त करना सुगम हो जायेगा। देश के ग्रामीण एवं पिछड़े क्षेत्रों में रहने वाले लाखों नागरिकों के जीवन में इससे एक नई आशा का संचार होगा, जिसके दम पर उनके लिए सुरक्षित आर्थिक जीवन का ढांचा तैयार हो सकेगा। जनता की सच्ची सेवा की उच्च भावना से ही राष्ट्रीयकरण का विचार प्रेरित है। भारतीय जीवन बीमा निगम के उद्देश्य निम्नवत् हैं:-

  • समाजवादी समाज की स्थापना देश में हो सके।
  • देश के हर क्षेत्र में बीमा का प्रसार हो पाए।
  • कल्याणकारी योजनाओं को देश में लागू किये जाने के लिए आर्थिक संसाधनों को जुटाया जा सके।
  • सामाजिक हित में बढ़ोतरी हो सके।
  • व्यावसाय का संचालन अधिकतम मितव्ययता के साथ हो सके।
  • जिन लोगों ने बीमा करवाया है, उनके हितों की रक्षा हो सके।
  • बीमा व्यवसाय में प्रशासनिक एवं संचालन व्यय को घटाया जा सके।
  • उचित प्रीमियम का निर्धारण कर पाना मुमकिन हो।
  • गलाकाटा प्रतिस्पर्धा के साथ अकुशलता का निजी बीमाकर्ताओं में पूरी तरह से उन्मूलन किया जा सके।
  • उचित एवं सही मूल्यों पर पर्याप्त वित्तीय सुविधाएं प्रदान की जा सकें।

भारतीय जीवन बीमा निगम के कार्य

भारतीय जीवन बीमा निगम अधिनियम 1956 की धारा 6 के मुताबिक भारतीय जीवन बीमा निगम के दायित्व निम्नवत् हैं:-

  • जीवन बीमा व्यवसाय का संचालन देश में और देश के बाहर करना।
  • संपत्तियों की खरीद, संचय और बिक्री निगम के व्यवसाय के लिए करना।
  • पूंजी शोधन के साथ निश्चित जीवन की वृत्तियों का व्यवसाय करना और जीवन बीमा व्यवसाय से जुड़ी बीमा को दोबारा करना।
  • समय पर विनियोग को वसूलना। साथ ही उस संपत्ति का प्रबंध करना जो प्रतिभूति के रूप में प्राप्त हुई है।
  • जरूरत पड़ने पर संपत्ति बेचकर धन वसूल करना।
  • निगम के हित में यदि हो तो किसी भी व्यक्ति या व्यक्तियों के समूह को भारत से बाहर किये गये जीवन बीमा व्यवसाय का हस्तांतरण करना।

भारतीय जीवन बीमा का प्रतीक चिह्न

LIC Policy, जो अलग-अलग आयु वर्ग के लोगों के साथ अलग-अलग हितों को ध्यान में रखकर तैयार की गई हैं, इन्हें प्रदान करने वाले भारतीय जीवन बीमा निगम के प्रतीक चिह्न के बारे में भी आपको जानना चाहिए। जलता हुआ दीप और उस दीप की लौ की रक्षा में उठे हुए दो हाथ वाला चित्र और इसके नीचे श्रीमद्भगवतगीता के नौवें अध्याय के 22वें श्लोक के अंतिम दो शब्द योगक्षेमं वहाम्यम् भारतीय जीवन बीमा निगम का प्रतीक चिह्न है। इसका अर्थ यह होता है कि एकाग्र भाव से जो लोग मेरी उपासना करते रहेंगे या फिर मेरे सदस्य नियमित तौर पर अंशदान यानी कि प्रीमियम लगातार भरते रहेंगे, ऐसे भक्तों की आर्थिक जरूरतों के साथ उनके परिवार की आर्थिक सुरक्षा का दायित्व मैं निभाता रहूंगा।

निष्कर्ष

Life Insurance Corporation of India जनता के लिए आर्थिक जीवन का निर्माण करने के लिए अस्तित्व में आया था। बीमा से जुड़ीं सभी योजनाओं को आकर्षक बनाने में यह लगा हुआ है, जिससे कि जनता में बचत की भावना को प्रोत्साहित किया जाना मुमकिन हो पाया है। बीमा का विकास कार्यक्रमों में तेजी भी पिछड़े इलाकों में इसकी वजह से आने लगी है। कुल मिलाकर यह कहना गलत नहीं होगा कि देश के आर्थिक विकास में भारतीय जीवन बीमा निगम की बेहद महत्वपूर्ण भूमिका रही है।

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