योग मानव जाति के लिए भारत द्वारा दिया गया एक उपहार है, भारत में योग का अभ्यास इतिहास में लंबे समय से होता आ रहा है। ये माना जाता है की योग का पहला स्रोत ऋग वेद है हालांकि शुरुआती ग्रंथों में योग की प्रथा का वर्णन करने वाली समय रेखा अस्पष्ट है। उपनिषदों में भी कहीं-कहीं योग का उल्लेख विशेष रूप से किया गया है। पुरे भारत में महर्षि पतंजलि के योग को ही राजयोग माना जाता है और ये भी कहा जाता है की योग के उक्त आठ अंगों में ही सभी प्रकार के योग का समावेश हो जाता है। योग का अभ्यास भारत में सालो पहले से किया जा रहा था पर जब “पतंजलि के योग सूत्रों” को पतंजलि ने तैयार किया तब योग की अवधारणा जीवन के रूप में बदलने लगी। ये सूत्र 20 वीं सदी में पश्चिम में प्रसिद्ध हो गए। योग के चित्रण का एक और रूप 11 वीं सदी के आसपास उभरा है जिसे तंत्र में हठ योग कहा जाता है। बाद में कुछ मुहरों को सिंधु घाटी सभ्यता से भी खोजा गया है जो योग की प्रथा दर्शाता है।
योग का विकास
योग भारत का विश्व के लिए दिया हुआ सबसे अनमोल तोहफा है। 19 वीं और 20 वीं शताब्दी के शुरुआती दिनों में स्वामी विवेकानंद की सफलता के बाद, योग के प्रचार और बढ़ावा देने के लिए आधुनिक भारत के योग गुरु ने पश्चिम में यात्रा की। 1980 तक, योग पश्चिम में काफी लोकप्रिय हो गया, लेकिन मुख्य रूप से शारीरिक व्यायाम के रूप में पर कुछ वर्षों में योग को जीवन के एक मार्ग के रूप में अपनाया जाने लगा। योग अब सिर्फ एक शारीरिक व्यायाम ही नहीं बल्कि एक ऐसी क्रिया के रूप में अपनाया गया जिसमें न केवल भौतिक आधार है बल्कि मानसिक और आध्यात्मिक आधार भी है । यह साबित हुआ जब योग को यूनेस्को द्वारा अमूर्त सांस्कृतिक विरासत का शीर्षक मिला।
अंतरराष्ट्रीय योग दिवस
आज योग को जीवन का एक अमूल्य अंग मन जाता है, और योग को उसका उचित स्थान दिलाने के लिए भारतीय प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदीजी ने संयुक्त राष्ट्र की 2014 की सभा में कहा “योग भारत की प्राचीन परम्परा है जो विश्व के लिए एक वरदान है। योग मन और शरीर को एक करता है: विचार और क्रिया, संयम और पूर्ति, इन सबका एक संगम है योग। योग ज़रूरी है क्युकी वो मनुष्य और कुदरत के बीच में एक संतुलन बनाये रखता है। योग केवल एक व्यायाम ही नहीं परंतु ऐसी प्रक्रिया है जिससे आपको को खुद को जानने में मदद मिलती है। योग एक द्रष्टिकोण है जो स्वास्थ्य और कल्याण को संयुक्त करता है।” योग मनवा जीवन के लिए अमूल्य है और इसके पुरे विश्व ने माना है तभी तो मोदी जी द्वारा रखा गया प्रस्ताव सिर्फ 90 दिनों में संयुक्त राष्ट्र ने स्वीकार कर 21 जून को विश्व योग दिवस घोषित किया।