सितम्बर 14 – हिन्दी दिवस (Hindi Diwas)

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मातृभाषा की उन्नति के बिना किसी भी समाज की तरक्की संभव नहीं है तथा अपनी भाषा के ज्ञान के बिना मन की पीड़ा को दूर करना असंभव है।  – भारतेन्दु हरिश्चंद

नमस्कार दोस्तो। स्वागत है हमारे आज के इस लेख में जिसका शीर्षक है, सितम्बर 14 – हिन्दी दिवस

हिन्दी दिवस के अवसर पर देश के आदरणीय गृहमंत्री जी ने देश को सम्बोधित करते हुए कहा है कि, किसी भी देश का समग्र विकास तब ही संभव है, जब उस देश के नागरिक अपनी राजभाषा में विचार, चिंतन और लेखन करते हैं। किसी भी देश कि मातृभाषा ही उसकी पहचान होती है, मातृभाषा ही स्वयं के ज्ञान और अभिव्यक्ति का सबसे अच्छा और उत्तम साधन होती है। भारतेन्दु हरिश्चंद जी द्वारा 150 वर्षों पूर्व कही गयी बात आज एकदम सटीक और सत्य साबित हो चुकी है , इसका जीता-जागता उदाहरण है -चीन। चीन ने अपने ज्ञान और तजुर्बे की अभिव्यक्ति का माध्यम केवल अपनी मातृभाषा को बनाया और स्वयं को एक मजबूत और विकसित राष्ट्र के रूप में प्रस्तुत किया है। मैं इस बात के लिए क्षमा चाहता हूँ, कि मैंने चीन को उदाहरण के रूप में प्रस्तुत किया है। यद्यपि चीन के साथ हमारे सम्बन्ध मधुर नहीं है, लेकिन उससे प्रेरणा लेने योग्य यह बात अवश्य है, प्रभु श्री राम ने भी रावण से ज्ञान प्राप्त करने को लक्ष्मण जी को भेजा था। कहने का अर्थ यही है ज्ञान जहाँ से मिले ले लेना चाहिए, बिना राग-द्वेष और भेद-भाव के।

some facts about hindi diwas

हम उस समाज में जी रहें हैं, जहाँ हिंदी के लिए अभी भी 2 दबाना पड़ता है। इस समाज में अंग्रेजी की महत्ता इस कदर हावी है , कि इससे व्यक्ति के ज्ञान और स्टेटस को श्रेष्ठ समझा जाता है। यद्यपि वर्तमान केंद्र सरकार और स्वतंत्रता के बाद नेहरू सरकार ने हिंदी के लिए बहुत ही सराहनीय प्रयास किये हैं , किन्तु ये प्रयास सम्पूर्ण भारत में हिंदी को बढ़ावा देने में पूर्णतः सफल नहीं हुए हैं। बहुत अच्छा लगता है यह देखकर कि देश के प्रधानमंत्री और गृहमंत्री राष्ट्र को हिंदी में सम्बोधित कर रहें हैं, क्योकि हिंदी ही हमारी प्राथमिक राजभाषा है और हम पूरा अधिकार रखते है की देश-दुनिया या पढ़ाई का कोई भी ज्ञान हमें अपनी मातृभाषा में ही दिया जाये। किन्तु अंतर्राष्ट्रीय भाषा का टैग लिए अंग्रेजी के सामने हमारी प्राथमिक राजभाषा हिंदी कमजोर पड़ जाती है। ऐसा प्रतीत होता है ,हमारा देश 1947 में आजाद हो गया था , किन्तु हिंदी अभी आजाद नहीं हुई है। आज के इस लेख में हम अपनी राजभाषा और मातृभाषा हिंदी के विषय में विस्तार से चर्चा करेंगे। तो चलिए शुरू करते हैं आज का लेख हिन्दी दिवस 2023.

हिन्दी दिवस 2023

14 सितम्बर 1949 को भारतीय संविधान सभा ने हिंदी को भारत की राजभाषा के रूप में स्वीकार किया था। देश में स्वदेशी भाषा और मातृभाषा के महत्व, सम्मान और उपयोगिता को परिभाषित करने के उद्देश्य से देश भर में 14 सितम्बर राष्ट्रीय हिंदी दिवस के रूप में मनाया जाता है इस दिवस को मनाये जाने की शुरुआत साल 1953 से की गयी थी। हिंदी दिवस के लिए 14 सितम्बर का दिन चुने जाने के पीछे वजह है इस दिन हिंदी के प्रसिद्ध साहित्कार व्यौहार राजेंद्र सिंह का जन्मदिवस होना, राजेंद्र सिंह उन प्रमुख साहित्कारों में शामिल थे जिन्होंने हिंदी को राजभाषा बनाये जाने के लिए बहुत मेहनत की थी। यद्यपि हिंदी देश की राजभाषा है किन्तु इंग्लिश को भी देश में राजभाषा के समान ही स्थान दिया जाता है। देश में राजभाषा की इस लड़ाई के पीछे एक विस्तृत इतिहास है जिसकी चर्चा हम यहाँ करने वाले हैं।

 तीन दिन की बहस के बाद मिला हिंदी को राजभाषा का दर्जा

15 अगस्त, 1947 को जब देश आजाद हुआ तब देश में बहुत सी भाषा और बोलियां प्रचलित थी। इन भाषाओं में सबसे अधिक बोली जाने वाली भाषा हिंदी ही थी। इसके अतिरिक्त देश के कई गणमान्य लोग हिंदी को समर्थन दे चुके थे। किन्तु भारत में बहुत सारे गैर हिंदी भाषी प्रान्त भी सम्मिलित थे , उनका मत अन्य लोगों से अलग था। वे लोग अंग्रेजी के पक्ष में अधिक थे, क्योकि जब देश अंग्रेजों की गिरफ्त में था तब देश में अंग्रेजी का प्रचार -प्रसार व्यापक रूप से  हो चुका था।

आख़िरकार, संविधान सभा के सामने 278 पृष्ठों की भाषा विषयक बहस रिपोर्ट प्रस्तुत की गयी और 12 सितंबर से 14 सितंबर तक तीन दिन की लम्बी बहस के बाद हिंदी को राजभाषा का दर्जा दे दिया गया। इस बहस में डॉ. कन्हैयालाल माणिकलाल मुंशी और गोपाल स्वामी अयंगर का बहुत बड़ा योगदान रहा था।

नेहरूजी ने किये थे विशेष प्रयास

13 सितंबर, 1949 को देश के प्रथम प्रधानमंत्री जवाहर लाल नेहरू जी ने संविधान सभा के सामने अपने विचार रखे थे। उन्होंने सभा से कहा, कोई भी राष्ट्र किसी विदेशी  भाषा से महान नहीं बन सकता हैकोई भी विदेशी भाषा स्वदेशी लोगों की आम बोलचाल की भाषा नहीं हो सकती है। इसके पश्चात नेहरू जी ने सबसे ऐतिहासिक और निर्णायक बात सबके सामने रखी-भारत के हित में, भारत को एक शक्तिशाली राष्ट्र बनाने के हित में, ऐसा राष्ट्र बनाने के हित में, जो अपनी आत्मा को पहचाने, जिसमें आत्मविश्वास हो, जो संसार के साथ सहयोग कर सके, हमें हिंदी को अपनाना चाहिए।

आसान नहीं था हिंदी का राजभाषा के रूप में सफर

जो भाषा भारत के दिलों में राज करती है , वो भाषा हिंदी है- महात्मा गाँधी

सर्वप्रथम साल 1918  में हिंदी साहित्य सम्मलेन में महात्मा गाँधी जी ने हिंदी को राष्ट्रीय भाषा बनाये जाने का प्रस्ताव रखा था। उनका मानना था की हिंदी जनमानस की भाषा है। गाँधी जी की बात का मान रखते हुए और साथ में काका कालेलकर , हजारी प्रसाद द्विवेदी, व्यौहार राजेंद्र सिंह आदि के संयुक्त प्रयासों से संविधान सभा ने हिंदी को संघ की राजभाषा बनाये जाने का निर्णय लिया था। इसी दिन देश के संविधान ने देवनागरी लिपि यानी हिंदी को तरजीह देते हुए आधिकारिक राजभाषा का दर्जा देकर उसका उत्थान किया गया था।

हिंदी सहित 14 अन्य भाषाओं को दिया गया आधिकारिक भाषाओं का दर्जा

26 जनवरी 1950 को जब भारत का संविधान लागू हुआ था। तब  हिंदी के साथ 14 भाषाओं को आधिकारिक भाषाओं के रूप में आठवीं सूची में रखा गया था। इसी के साथ यह तय किया गया था कि 26 जनवरी 1965 यानि पंद्रह साल बाद हिंदी को पूर्ण रूप से स्वीकार कर लिया जायेगा और देश तथा राज्य को अपने सभी आपसी संवाद हिंदी में ही करने होंगे। 1965 तक राजकीय कार्यों में अंग्रेजी का हस्तक्षेप रहेगा उसके बाद हिंदी को पूर्णाधिकार दे दिया जायेगा।

हिंदी का कागजी और अंग्रेजी का वास्तविक विकास

उक्त घटना के बाद से हिंदी देश की कागजी राजभाषा बन गयी और अंग्रेजी कामकाजी भाषा के रूप में अपने विकास की सीढ़ियाँ चढ़ती चली गयी। देश के सरकारी/गैर सरकारी कार्यो में अंग्रेजी का वर्चश्व सभी स्थानों में देखा जाने लगा। देश में स्कूल, ऑफिस, खेल आदि सभी क्षेत्रों में अंग्रेजी के दबदबे ने हिंदी के विकास को अवरुद्ध कर दिया। हमारे देश के बड़े नेताओं ने भी वैश्विक मंचों में भी हिंदी से किनारा करना शुरू कर दिया था। जीर्ण-शीर्ण हालत में पड़ी हिंदी अपने उत्थान की बाट जोह रही थी, ऐसे समय पर वैश्विक मंच में आगमन होता है पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी बाजपेयी जी का, जिन्होंने संयुक्त राष्ट्र संघ में हिंदी में भाषण देकर देश की राजभाषा हिंदी में नए प्राण फूंक दिए। श्री अटल जी ने साल 1977 और साल 2000 में संयुक्त राष्ट्र संघ को हिंदी में सम्बोधित किया था।

जब दक्षिण भारतीय राज्यों ने किया हिंदी का विरोध

दक्षिण भारतीय गैर हिंदी भाषीय राज्यों को हिंदी का राजभाषा बनाया जाना स्वीकार नहीं था। उन्हें हिंदी का सम्मान उनकी अपनी मातृभाषा तमिल, तेलगु, कन्नड़, मलयालम आदि का अपमान लगा और कहीं न कहीं केंद्र में दक्षिण भारतीय राज्यों के प्रतिनिधित्व की उपेक्षा करना भी लगा। इसी कारण से उन्होंने साल 1963 राजभाषा अधिनियम के माध्यम से अंग्रेजी को भारत की कामकाजी प्रशासनिक भाषा की परिधि से बाहर नहीं जाने दिया। साल 1967 में तमिलनाडु में हिंदी के विरोध में बहुत सारे हिंसक प्रदर्शन हुए थे, जिसमे अनेकों लोगों की जान चली गई थी। आख़िरकार भारी दबाव में राजभाषा अधिनियम में संसोधन करके, गैर हिंदी भाषी राज्यों की मांग के अनुसार अंग्रेजी को कार्यकारी प्रशासनिक भाषा के रूप में जारी रखा गया था।

जानिए, कब-कब वैश्विक मंचो पर हिंदी बोली गयी

वैश्विक मंचों पर हिंदी की शुरुआत अटल बिहारी बाजपेयी जी ने की थी, उन्होंने 2 बार संयुक्त राष्ट्र संघ को हिंदी में सम्बोधित किया था। इसके पश्चात् वर्तमान बीजेपी केंद्रीय सरकार ने हिंदी के प्रसार में उल्लेखनीय वृद्धि की है। वर्तमान प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जी साल 2014 में संयुक्त राष्ट्र महासभा और 2015 में संयुक्त राष्ट्र टिकाऊ विकास शिखर सम्मेलन को हिंदी में सम्बोधित कर चुके हैं। पूर्व दिवंगत विदेश मंत्री सुषमा स्वराज जी ने भी दो बार संयुक्त राष्ट्र महासभा को हिंदी में सम्बोधित किया था।

मोदी सरकार ने उठाया राजभाषा के उत्थान का बेड़ा

मातृभाषा के विकास के लिए जितना कार्य वर्तमान मोदी सरकार कर रही है, देश के इतिहास में पहले कभी नहीं किया गया है। नयी शिक्षा नीति में इस पर विशेष ध्यान दिया गया है। नयी शिक्षा नीति का प्रमुख उद्देश्य ही मातृभाषा में शिक्षा उपलब्ध कराना है। जिससे की देश की सभी क्षेत्रीय भाषाओं का सर्वांगीण विकास सुनिश्चित होगा। प्रधानमंत्री जी ने लालकिले से देश को सम्बोधित करते हुए, तकनीकी शिक्षा को हिंदी में दिए जाने की बात कही है। हम आशा करते हैं विश्व में तीसरे  नंबर पर बोली जाने वाली भाषा को आप उसका स्थान दिलाएंगे और ऐसे ही ऐतिहासिक फैसले लेते हुए हिंदी और हिदुस्तान का सीना गर्व से चौड़ा करते जायेंगे।

हिंदी दिवस के अवसर पर कार्यक्रम और पुरस्कार

हिंदी दिवस को राष्ट्रीय स्तर पर सम्पूर्ण देश के कार्यालयों और स्कूलों में मनाया जाता है। इस अवसर पर हिंदी में विभिन्न कार्यक्रमों का आयोजन किया जाता है। जिसमे वाद-विवाद प्रतियोगिता, काव्य गोष्ठी, भाषण , हिन्दी निबन्ध लेखन, कवि सम्मेलन, विचार गोष्ठी आदि प्रमुख हैं। हिंदी दिवस के अवसर पर सरकार द्वारा राजभाषा गौरव पुरस्कार और राजभाषा कीर्ति पुरस्कार प्रदान किये जाते हैं। राजभाषा गौरव पुरस्कार तकनीकी और विज्ञान के क्षेत्र में हिंदी में उल्लेखनीय योगदान के लिए दिया जाता है। इसमें कुल 13 पुरस्कार शामिल हैं, जिसमे प्रथम पुरस्कार पाने वाले व्यक्ति को 2 लाख की धनराशि प्रदान की जाती है। राजभाषा कीर्ति पुरस्कार किसी समिति, विभाग, मण्डल आदि को उसके द्वारा हिन्दी में किए गए श्रेष्ठ कार्यों के लिए दिया जाता है। इसका मूल उद्देश्य सरकारी कार्यों में हिन्दी भाषा का उपयोग करने से है, इसमें कुल 39 पुरस्कार शामिल हैं।

हिंदी दिवस के विशेष रोचक तथ्य

  • भारतीय संविधान के भाग-17 के अध्याय की धारा 343 (1) के अनुसार भारत की राजभाषा हिंदी और लिपि देवनागरी है।
  • देवनागिरी लिपि में कुल 52 वर्ण हैं। जिन्हे क्रमशः 11 स्वर और 41 व्यंजनों में बांटा गया है।
  • विश्व हिंदी दिवस 10 जनवरी को वैश्विक रूप से मनाया जाता है। इस दिन विदेशों में स्थित दूतावासों में भारतीय लोग एकत्रित होकर इस दिवस को मनाते हैं। इसकी शुरुआत साल 2006 से की गयी थी।
  • विश्व में तीसरे नंबर पर हिंदी बोली और पढ़ी जाती है। भारत के अतिरिक्त हिंदी फिजी, मॉरीशस, इंडोनेशिया, मलेशिया, गुयाना, सूरीनाम, त्रिनिदाद और टोबैगो, पाकिस्तान, अफगानिस्तान और नेपाल सहित विश्व के 20 से अधिक देशों में बोली जाती है।
  • भारत में 40% लोगों के द्वारा हिंदी बोली जाती है। तथा विश्व में हिंदी बोलने वाले लोगों की संख्या 615 मिलियन है।
  • संयुक्त राज्य अमेरिका में 45 विश्वविद्यालयों तथा सम्पूर्ण विश्व में 176 विश्वविद्यालयों में हिंदी पढ़ायी जाती है।
  • हिन्दी के शब्दों ‘अच्छा’, ‘बड़ा दिन’, ‘बच्चा’, ‘सूर्य नमस्कार’ ,संविधान और आत्मनिर्भर जैसे शब्दों को भी ऑक्सफ़ोर्ड डिक्शनरी में शामिल किया गया है।
  • हिंदी भाषा में सबसे पहली कविता अमीर खुसरों ने लिखी थी। हिंदी के प्रथम महाकवि चन्दर बरदाई थे तथा उनकी रचना पृथ्वीराजरासो हिंदी में लिखा प्रथम महाकाव्य था।
  • हिंदी का प्रथम अख़बार उदन्त मार्तण्ड है तथा इसका लेखन जुगलकिशोर शुक्ल ने किया था। भारत में सबसे ज्यादा हिंदी भाषा का अख़बार पढ़ा जाता है।
  • हिंदी भाषा की पहली कहानी सैयद इंशाअल्ला खाँ की ‘रानी केतकी की कहानी’ थी जिसका लेखन वर्ष सन् 1803 के आसपास रहा था।
  • हिंदी भाषा की पहली फीचर फिल्म आलम-आरा थी, जिसके निर्माता निर्देशक अर्देशिर ईरानी थे।
  • प्रथम विश्व हिंदी सम्मलेन का आयोजन साल 1975 में नागपुर में किया गया था।
  • हिन्दी माध्यम से सम्पूर्ण शिक्षा देने वाली देश की पहली संस्था गुरुकुल कांगड़ी विश्वविद्यालय, हरिद्वार है।
  • हिन्दी का प्रथम अन्तरराष्ट्रीय विश्वविद्यालय महात्मा गाँधी अन्तरराष्ट्रीय हिन्दी विश्वविद्यालय, वर्धा (महाराष्ट्र) है।

Frequently Asked Questions (FAQs)

 

14 सितंबर को हिंदी दिवस क्यों मनाया जाता है?

14 सितम्बर 1949 को भारतीय संविधान सभा ने हिंदी को राजभाषा के रूप में मान्यता प्रदान की थी। हिंदी को राजभाषा के रूप में दर्जा देने के पीछे उद्देश्य विश्व में हिन्दी को राजकीय भाषा के रूप में प्रस्तुत करना , हिंदी को हर क्षेत्र में प्रसारित करना तथा इसके महत्व को लोगों के बीच प्रचारित करना था। इस उद्देश्य की पूर्ति हेतु राजभाषा प्रचार समिति, वर्धा के प्रयासों से 14 सितम्बर 1953 से हिंदी दिवस मनाये जाने की शुरुआत की गयी थी।

हिन्दी दिवस का क्या महत्व है?

हिन्दी को भारतीय संघ की राजभाषा के रूप में स्थापित करवाने के लिए व्यौहार राजेन्द्र सिंह, काका कालेलकर, हजारीप्रसाद द्विवेदी, सेठ गोविन्ददास आदि साहित्यकारों ने काफी मेहनत और प्रयास किये थे। संभवतः ये  हिंदी के महत्व को भलीभांति समझते थे और उसे लोगों के बीच पहुँचाना चाहते थे। यदि हम स्वतंत्रता के परिदृश्य में हिंदी की बात करें, तब देश में बहुत सी भाषा एवं बोलियों प्रचलित थी , उन सब में केवल हिंदी ही ऐसी भाषा थी जिसने पूरे देश में लोकप्रियता हासिल थी , उस समय हिंदी में व्यापक पत्र -पत्रिकायें, गद्य -पद्य एवं कहानियां लिखी एवं पढ़ी जाती थी। यही कारण था कि महात्मा गाँधी एवं अन्य महापुरुषों ने स्वतंत्रता प्राप्ति हेतु हिंदी को ही प्रचार-प्रसार का माध्यम बनाया था।

वर्तमान परिदृश्य में बात करें तो पूरे भारत में बोली जाने वाली भाषाओं में हिंदी प्रथम स्थान पर है। 2011 की  जनगणना के अनुसार हिंदी 43.63% लोगों द्वारा बोली एवं पढ़ी जाती है। 2022 -23 में इसकी प्रतिशतता और अधिक बढ़ सकती है। यही कारण है कि पूरे देश में हिंदी के प्रचार-प्रसार में सरकार विशेष रूप से ध्यान दे रही है। देश के प्रमुख संस्थानों में हिंदी के प्रयोग को महत्त्वता दी जा रही है।

हिंदी दिवस की स्थापना कब हुई?

हिंदी को राजभाषा की मान्यता संविधान सभा द्वारा 14 सितम्बर 1949 को दी गयी तथा विधिवत रूप से हिंदी दिवस मनाये जाने की शुरुआत 14 सितम्बर 1953 से हुई थी।

हिंदी को राजभाषा क्यों कहते हैं?

हिंदी को राजभाषा इसीलिए कहा जाता है क्योकि हिंदी देश की लगभग 44% आबादी का प्रतिनिधित्व करती है। देश में अन्य किसी भाषा के मुकाबले सबसे ज्यादा पत्र-पत्रिकायें , पुस्तकें, संग्रह, उपन्यास, मासिक, पाक्षिक, अंक आदि हिंदी प्रकाशित होते हैं। इसके अतिरिक्त इस प्रश्न के दूसरे पहलु के अनुसार, हिंदी को राजभाषा क्यों कहा जाता है , राष्ट्रभाषा क्यों नहीं ? तो इसका उत्तर यह है, कि भारत भौगौलिक एवं सांस्कृतिक रूप से अनेकताओं में एकता का देश है। यहाँ पर लगभग 15000 से अधिक बोलियां प्रचलित हैं, जिसमे से 22 भाषाओं को संविधान में आधिकारिक भाषा का दर्जा प्राप्त है , यहाँ पर हर क्षेत्र विशेष की भाषा का सम्मान किया जाता है। इनमे से किसी एक भाषा को राष्ट्रभाषा के रूप में वर्णित करना एक संतुलित फैसला प्रतीत नहीं होता है , इसीलिए भारत में किसी भी भाषा को राष्ट्रभाषा स्वीकार नहीं किया गया है , किन्तु अघोषित रूप से हिंदी ही भारत की राष्ट्रभाषा है।

विश्व हिंदी दिवस कब मनाया जाता है?

विश्व हिंदी दिवस प्रतिवर्ष 10 जनवरी को मनाया जाता है।  इसका उद्देश्य  विश्व में हिंदी के प्रचार-प्रसार के लिये जागरूकता पैदा करना तथा हिन्दी को अन्तरराष्ट्रीय भाषा के रूप में पेश करना है। विदेशों में भारत के दूतावास इस दिन को विशेष रूप से मनाते हैं। विश्व हिंदी दिवस मनाये जाने की शुरुआत 10 जनवरी 1975 को नागपुर में हुए विश्व हिंदी सम्मलेन से की गयी थी।

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