राज्य सरकार और केंद्र सरकार के कर्मचारियों की सैलरी में अंतर दिखलाई पडता है। राज्य सरकार एवं केंद्र सरकार के कर्मचारियों के ग्रेड पे में कोई बहुत अंतर नहीं होता है, अंतर उनको मिलने वाले भत्ते के आधार पर उत्पन्न होता है । राज्य सरकार के कर्मचारियों को भत्ते केंद्र सरकार के कर्मचारियों की तुलना में कुछ कम मिलते हैं, साथ ही कुछ भत्ते केंद्र सरकार के कर्मचारियों को ही मिलते हैं, राज्य सरकार के कर्मचारियों के लिए उन भत्तों का प्रावधान नहीं है । केंद्र सरकार तथा राज्य सरकार के कर्मचारियों में प्रावीण्य सूची होती है। चयन की यह प्रक्रिया भी वेतनांतर का एक कारण है मतलब ऐसी भी परिस्थितियाँ हैं जो यह सैलरी भेद करती हैं । पदों के आधार पर भी सैलरी को वर्गीकृत किया जाता है । यह भेद पदोन्नति में भी देखी जाती है।
इस अंतर को विभिन्न बिंदुओं पर देखा जा सकता है:
१).आवासीय भत्ता :
केंद्र सरकार के कर्मचारियों को जो आवासीय भत्ता दिया जाता है वो लगभग-लगभग ३०% के या इससे ज्यादा भी होता है ये भत्ते शहरों के विकसित या विकासशीलता पर निर्भर होता है । शहरों का वर्ग निर्धारण (अ), (ब), (स) है यह निर्धारण राज्यों में भी है राज्य सरकार के कर्मचारियों को जो आवासीय भत्ता दिया जाता है वो लगभग-लगभग १५% ही होता है।
२). स्वास्थ्य भत्ता :
स्वास्थ्य भत्ता में भी इस तरह की विभिन्नता दिखलाई पडती है। केंद्र सरकार के कर्मचारियों की तुलना में राज्य सरकार के कर्मचारियों को स्वास्थ्य भत्ता में प्रतिशत कम मिलना भी एक कारण है।
३). दैनिक भत्ता:
उपर्युक्त दोनों भत्तों की तरह ही दैनिक भत्ते में केंद्र सरकार के कर्मचारियों को प्रतिशत के आधार पर राज्य सरकार के कर्मचारियों की तुलना में व्यापक रूप में मिलता है ।
४). पर्यटन भत्ता :
राज्य सरकार के कर्मचारियों के लिए इस तरह के भत्ते का प्रावधान नहीं है जबकि केंद्र सरकार के कर्मचारियों को साल में एक बार सपरिवार पर्यटन भत्ता का प्रावधान निर्धारित है। केंद्र में यह भत्ता केवल देशाटन हेतु ही नहीं अपितु कर्मचारियों के पदानुसार भत्ते विदेश पर्यटन के लिए भी सुलभ हैं।
उपर्युक्त बिंदुओं के अलावा कभी ऐसा भी होता है कि जिन भत्तों की घोषणा केंद्र सरकार करती है तो केंद्र सरकार के कर्मचारियों को उसका लाभ तुरंत मिलने लगता है जबकि राज्य सरकार के कर्मचारियों के लिए उसका लाभ मिलने काफ़ी समय लगता है। कभी तो अपना हक़ पाने के लिए कर्मचारियों को उग्र प्रदर्शन या आंदोलन का सहारा भी लेना पड़ता है बातें राज्य सरकारों पर निर्भर करती हैं ।राज्यों बहुतायत विभाग जो हैं वह स्वयंसेवी होते हैं को वह उनके अधीनस्थ कर्मचारियों को सैलरी अपनी शर्तों पर तय करते हैं जबकि उसी पद पर कार्यरत केंद्र सरकार के कर्मचारियों को सैलरी दोगुना या इससे ज्यादा भी होता है ।शासकीय सेवा में ऐसी कई विसंगतियाँ देखने को मिलते हैं जिसमें दोनों वर्ग के सरकारी कर्मचारियों में वैतनिक अंतर द्रष्टव्य हैं । ऐसा नहीं कि केवल सरकारी शासन पर ही सैलरी निर्धारित है बल्कि एक से ज्यादा प्रभार अर्थात् अतिरिक्त प्रभारी के पद को संभालता है तो उसमें भी वैतनिक असमानता दिखलाई पड़ती है। यह स्थिति दोनों सरकारी कर्मचारी को वैतनिक तौर पर प्रभावित करता है|