आर्टिकल 35 ए (Article 35A) क्या है?

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कश्मीर मुद्दे के साथ ही एक और मुद्दा भारत के जन मानस में कई वर्षों से चिंगारी बन कर सुलग रहा है। यह मुद्दा है आर्टिकल 35 ए का । दरअसल यह आर्टिकल 35 ए क्या है, इसको समझने से पहले संविधान के धारा 370 को भी जानना जरूरी है।

धारा 370 :

भारत को 1947 में आजादी मिलने के बाद जब 1950 में भारतीय संविधान लागू किया गया तब जम्मू-कश्मीर को विशेष दर्जा देने के लिए धारा 370 का प्रावधान किया गया। इसके अनुसार कश्मीर के लोगों की पहचान पूर्ववत रखते हुए यह निर्णय लिया गया की कश्मीर के रक्षा, विदेश नीति, वित्त और संचार संबंधी मामलों में भारत सरकार का हस्तक्षेप रहेगा। अन्य मामलों में जैसे राज्य की नागरिकता, मौलिक अधिकार जैसे मामले कश्मीर राज्य के अपने अधिकार में रहेंगे। इसी कारण काश्मीर का ध्वज और प्रतीक चिन्ह अलग है। इस प्रकार धारा 370 के आधार पर कश्मीर के लोगों को कुछ ऐसे विशेष अधिकार मिले जो अन्य राज्य के लोगों के पास नहीं हैं ।

आर्टिकल 35 ए :

14 मई 1954 को तत्कालीन राष्ट्रपति डॉ राजेन्द्र प्रसाद ने धारा 370 की उपधारा (1) के तहत एक आदेश पारित करके आर्टिकल 35ए  को संविधान में जोड़ा गया। इसके अनुसार जम्मू-कश्मीर की विधान सभा को स्थायी नागरिकता को तय करने, उनकी पहचान करने और उन्हें विशेषाधिकार देने का अधिकार है।

हालांकि संविधान से संबन्धित किसी भी प्रलेख में इस आर्टिकल के बारे में कोई जिक्र नहीं है। राजनीति और संविधान के जानने वालों के अनुसार संविधान में जीतने भी संशोधन हुए हैं, उन सबका उल्लेख कहीं न कहीं संविधान की किताबों में मिलता है। लेकिन उन लेखों में कहीं भी आर्टिकल 35ए का किसी प्रकार का वर्णन नहीं है। इसका कारण यह है की इस आर्टिकल को संविधान के मुख्य भाग में न करके बल्कि अपनेडिक्स या परिशिष्ट में शामिल किया गया है, और यही वजह है की अधिकतर लोगों को इसकी जानकारी नहीं है।

आर्टिकल 35ए की सांवैधानिक स्थिति:

राजनीति के गलियारे के कुछ लोगों का मानना है की आर्टिकल ए का सांवैधानिक महत्व कुछ नहीं है। अपने तथ्य के समर्थन में यह लोग कहते हैं की संविधान में संशोधन का अधिकार केवल संसद का है। आर्टिकल ए को राष्ट्रपति के आदेश से मुख्य संविधान में शामिल किया गया था लेकिन संसद का अनुमोदन न होने के कारण इसे रद्द किया जाना चाहिए। वहीं कुछ लोगों का मानना है की यदि यह आदेश असंवैधानिक है तो अब तक न तो न्यायालय ने और न ही किसी केंद्र सरकार ने इस आर्टिकल के विरोध में आवाज क्यूँ नहीं उठाई। इसका उत्तर भी वही है की बहुत से लोगों को आर्टिकल ए की जानकारी के बारे में अधिकतर लोग जानते ही नहीं हैं।

आर्टिकल 35 ए के परिणाम :

आर्टिकल 35 ए के लागू होने के कारण जो हिन्दू दलित 1947 में पाकिस्तान से जम्मू में आ बसे थे, उन्हें अन्य स्थानीय लोगों जैसे मूल अधिकार भी प्राप्त नहीं है। इनमें वोट देने, सरकारी नौकरी पाने, सरकारी कॉलेज या जमीन खरीदने जैसे मूल अधिकार भी प्राप्त नहीं हैं।

सरल शब्दों में आर्टिकल 35 ए कुछ लोगों को अब तक शरणार्थी मानने के लिए मजबूर करता है।

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