गणतंत्र दिवस और स्वतंत्रता दिवस में क्या अंतर है?

1795
Independence day vs republic day

PLAYING x OF y
Track Name
00:00

00:00


गणतंत्र दिवस और स्वतंत्रता दिवस दोनों ही हमारे देश के सबसे महत्वपूर्ण राष्ट्रीय त्योहार हैं, पर इन दोनों के बीच बहुत से अंतर हैं, जिनके बारे में इस लेख में आप जानेंगे।

गणतंत्र दिवस और स्वतंत्रता दिवस में अंतर की जब बात आती है, तो स्पष्ट तौर पर जो नजर आता है वह यह है कि 15 अगस्त, 1947 को भारत आजाद हुआ था और इसी उपलक्ष्य में आजादी का जश्न मनाने के लिए स्वतंत्रता दिवस समारोह का आयोजन हर वर्ष 15 अगस्त को किया जाता है। वहीं, 26 जनवरी, 1950 के दिन भारत के संविधान को लागू किया गया था और इसी दिन की याद में हम हर साल 26 जनवरी को गणतंत्र दिवस मना कर पूरी दुनिया को यह संदेश देते हैं कि दुनिया के सबसे बड़े गणतांत्रिक देश में गणतंत्र कितनी अच्छी तरह से काम कर रहा है और यहां के लोगों की रगों में किस तरह से गणतंत्र का खून बहता है। गणतंत्र दिवस और स्वतंत्रता दिवस ये दोनों ही राष्ट्रीय त्योहार हमारे देश के गौरव हैं और पूरे उत्साह के साथ इन त्योहारों को मनाना देश के हर नागरिक का कर्तव्य है। दोनों ही त्योहार राष्ट्रीयता की पहचान हैं और इन दोनों त्योहारों को मना कर हम राष्ट्र के प्रति अपनी सच्ची निष्ठा और अपनी देशभक्ति का परिचय देते हैं।  इसलिए तो हम कहते हैं

राष्ट्रभक्ति ले ह्रदय में

हो खड़ा यदि देश सारा।

संकटों को मात कर यह

राष्ट्र विजयी हो हमारा।

 

भारत का स्वतंत्रता दिवस

अंग्रेजों ने भारत पर लंबे समय तक शासन किया था। उन्होंने हमारे देश के लोगों पर बहुत अत्याचार किए। हमारे देश के स्वतंत्रता सेनानियों ने देश को आजाद कराने के लिए अपना तन, मन, धन सब कुछ न्योछावर कर दिया। आखिरकार अंग्रेजों को झुकना पड़ा और 15 अगस्त 1947 को उन्होंने भारत को आजादी दे दी।

यह दिन केवल एक सामान्य दिन न होकर भारत के लिए इसके इतिहास का सबसे स्वर्णिम दिन बन गया, क्योंकि इसी दिन सैकड़ों वर्षो के बाद भारतवासियों ने आजाद हवा में सांस ली थी। जाहिर सी बात है कि जिस दिन देश को आजादी मिली, वह दिन किसी त्योहार से कम नहीं था। ऐसे में भला इस त्योहार को केवल एक दिन तक सीमित कैसे रखा जा सकता था। तभी तो हर साल 15 अगस्त के दिन भारत अपना स्वतंत्रता दिवस मनाता है और इस दिन सभी स्वतंत्रता सेनानियों और महापुरुषों की शहादत और उनके योगदान को याद करता है, जो कि देश को आजाद कराने के लिए अपना कुछ भी त्याग करने से पीछे नहीं हटे। जिन्होंने अपने समूचे जीवन को सिर्फ देश को आजाद कराने के लिए समर्पित कर दिया। जिन्होंने हंसते-हंसते देश की आजादी के लिए अपने प्राणों का उत्सर्ग कर दिया। जिन्होंने देश की आजादी के लिए न केवल अपने घर-परिवार को छोड़ दिया, बल्कि देश को परतंत्रता की जंजीरों से मुक्त कराने के लिए अपना सुख-चैन, अपनी सारी खुशियां, अपनी सारी ख्वाहिशें, अपना भविष्य और यहां तक कि अपनी जिंदगी भी इस देश के नाम कर दी।

तभी तो 15 अगस्त के दिन हर भारतवासी न केवल स्वतंत्रता दिवस मनाता है, बल्कि वह इसे एक उत्सव की तरह मनाता है, क्योंकि यह उत्सव है बलिदान का। यह उत्सव है बुराई पर अच्छाई की जीत का। यह उत्सव है निराशा पर आशा की विजय पताका लहराने का। यह उत्सव है समर्पण पर आक्रमण को विजय का। यह उत्सव है अत्याचार पर संघर्ष की जीत का। यह उत्सव है लाखों की शहादत के रंग लाने का। यह उत्सव है भारत माता के परतंत्रता की जंजीरों को तोड़ देने का। यह उत्सव है भारत के आजाद हवा में सांस लेने का। यह उत्सव है हर उस भारतवासी को श्रद्धांजलि देने का, जिन्होंने कि देश की आजादी में किसी-न-किसी तरह से अपना योगदान दिया। यह उत्सव है उन महापुरुषों को श्रद्धांजलि देने का, जिन्होंने कि देश की आजादी की पटकथा लिखने के साथ इस देश को एक राष्ट्र के रूप में निर्मित करने के लिए अपना पूरा जीवन लगा दिया।

इसलिए 15 अगस्त के दिन हम सभी तिरंगा फहराते हैं और देश की आजादी को अक्षुण्ण बनाए रखने का संकल्प लेते हैं। राष्ट्रगान गाकर हम अपने देश के प्रति अपनी सच्ची श्रद्धा का परिचय देते हैं। अपने देश पर अभिमान आखिर हमें क्यों होना चाहिए, यह मैथिलीशरण गुप्त ने भी अपनी कविता में बताया है:-

जिनको न निज गौरव तथा

निज देश का अभिमान है।

वह नर नहीं नर पशु निरा है

और मृतक समान है।

 भारत का गणतंत्र दिवस

भारत को 15 अगस्त, 1947 को अंग्रेजों के चंगुल से आजादी तो मिल गई थी, लेकिन इसके बाद भारत के लिए यह बहुत ही जरूरी था कि उसका अपना खुद का संविधान हो। अंग्रेजों के कानूनों को हटाया जाए और हमारे खुद के कानून हों, जिनका हम पालन करें। इसके लिए स्वतंत्रता प्राप्त होने के बाद से ही प्रयास शुरू हो गए थे और इन प्रयासों ने तब मूर्त रूप ले लिया, जब 26 जनवरी, 1950 के दिन भारत में गणतंत्र को लागू कर दिया गया।

यही वह दिन था जिस दिन हमारा खुद का संविधान लागू हुआ और हम एक गणतांत्रिक देश बन गए। भारत ने 26 जनवरी, 1950 के दिन एक बड़ा ही ऐतिहासिक कदम उठाया, क्योंकि इसी के आधार पर हमारा यह देश दुनिया का सबसे बड़ा लोकतांत्रिक देश बन गया। यही कारण है कि हर साल 26 जनवरी के दिन हम गणतंत्र दिवस मनाते हैं और इस दिन हम उन सभी महापुरुषों को याद करते हैं, जिन्होंने कि भारत का संविधान बनाने में अपना महत्वपूर्ण योगदान दिया। विशेषकर डॉक्टर भीमराव आंबेडकर का भारत के संविधान के निर्माण में सबसे अहम योगदान रहा और इस दिन हम विशेष रूप से उन्हें याद करते हैं।

भारतीय कांग्रेस ने तो 26 जनवरी, 1930 को ही लाहौर अधिवेशन के बाद रावी नदी के तट पर पूर्ण स्वराज्य की घोषणा कर दी थी। पंडित जवाहरलाल नेहरु की अध्यक्षता में दिसंबर, 1929 में अधिवेशन का आयोजन किया गया था, जिसके बाद यह घोषणा हुई थी। इसी 26 जनवरी को यादगार बनाए रखने के लिए भारत के गणतंत्र दिवस के लिए भी 26 जनवरी का दिन ही चुना गया।

भारत का संविधान बनाने की शुरुआत 9 दिसंबर, 1947 को ही हो गई थी। भारतीय संविधान बनाने में 2 वर्ष 11 माह 18 दिन का वक्त लगा था। देशभर में 26 जनवरी को गणतंत्र दिवस के अवसर पर रंगारंग कार्यक्रमों का आयोजन किया जाता है और इस दौरान देश के स्वतंत्रता सेनानियों और महापुरुषों को हम याद करते हैं। तिरंगा फहराने के साथ इस दिन हम राष्ट्रगान गाते हैं और अपने गणतंत्र की महानता का यह त्योहार मनाते हैं।

विशेषकर वर्तमान परिस्थितियों में जब हमारे गणतंत्र को हर ओर से चुनौतियों का सामना करना पड़ रहा है, तो ऐसे में गणतंत्र दिवस मनाना क्या अर्थ रखता है, यह सचमुच एक विचारणीय प्रश्न बन गया है। वर्तमान परिस्थितियों पर यह पंक्तियां बिल्कुल ही सटीक बैठती हैं:-

हम कौन थे, क्या हो गए और क्या होंगे अभी?

आओ विचारे आज मिलकर ये समस्याएं सभी। 

गणतंत्र दिवस और स्वतंत्रता दिवस में अंतर | Republic Day vs Independence Day

गणतंत्र दिवस और स्वतंत्रता दिवस में क्या अंतर है, अब हम इस पर डालते हैं एक नजर:-

  • स्वतंत्रता दिवस 15 अगस्त को मनाया जाता है, क्योंकि इसी दिन ब्रिटेन से भारत को स्वतंत्रता मिली थी। वहीं, 26 जनवरी को गणतंत्र दिवस के रूप में इसलिए मनाया जाता है, क्योंकि इसी दिन वर्ष 1950 में भारत को एक स्वतंत्र गणराज्य घोषित किया गया था और भारतीय संविधान लागू हुआ था।
  • स्वतंत्रता दिवस के दिन भारत के प्रधानमंत्री दिल्ली के लाल किले पर राष्ट्रीय ध्वज तिरंगा फहराते हैं। भारत के प्रथम प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू ने 15 अगस्त, 1947 के दिन स्वतंत्रता दिवस के अवसर पर लाल किले पर राष्ट्रीय ध्वज को फहराया था। 26 जनवरी के दिन भारत के राष्ट्रपति राजपथ पर तिरंगा झंडा फहराते हैं और इस अवसर पर राजपथ पर परेड का भी आयोजन किया जाता है, जिसकी सलामी हमारे राष्ट्रपति लेते हैं।
  • 15 अगस्त यानी कि स्वतंत्रता दिवस के अवसर पर किसी अन्य देश के राष्ट्रप्रमुख को आमंत्रित नहीं किया जाता है, लेकिन गणतंत्र दिवस के दिन दूसरे देश के राष्ट्रप्रमुखों को रिपब्लिक डे परेड में मुख्य अतिथि के रुप में आमंत्रित किए जाने की परंपरा वर्ष 1950 से ही चली आ रही है।
  • स्वतंत्रता दिवस के दिन रस्सी से खींच कर तिरंगे को नीचे से ऊपर ले जाया जाता है और खोलकर फहराया जाता है, जो कि ध्वजारोहण के नाम से जाना जाता है। वहीं 26 जनवरी यानी कि गणतंत्र दिवस के मौके पर ऊपर ही झंडा बंधा होता है और खोलकर इसे फहरा दिया जाता है। भारतीय संविधान में इसके लिए अंग्रेजी शब्द फ्लैग अनफर्लिंग (Flag Unfurling) का प्रयोग किया गया है।
  • स्वतंत्रता दिवस समारोह के जश्न का समापन उसी दिन हो जाता है, जबकि गणतंत्र दिवस समारोह 29 जनवरी को बीटिंग रिट्रीट सेरेमनी से समाप्त होता है।
  • गणतंत्र दिवस के मौके पर देश की सांस्कृतिक विविधता और सैन्य ताकत का प्रदर्शन किया जाता है, जबकि स्वतंत्रता दिवस के दिन यह नहीं होता।
  • पद्म पुरस्कार गणतंत्र दिवस की शाम को वितरित किए जाते हैं, जबकि स्वतंत्रता दिवस के दिन कोई पुरस्कार वितरित नहीं किया जाता।

आखिर में

गणतंत्र दिवस और स्वतंत्रता दिवस के बीच का अंतर इस लेख को पढ़ने के बाद आप समझ ही गए होंगे। दोनों ही उत्सव हमारी विविधता में एकता का प्रतीक हैं और पूरे उत्साह के साथ हमें इन्हें मनाना चाहिए और ये हमारी राष्ट्रभक्ति के परिचायक होने चाहिए, ताकि माखनलाल चतुर्वेदी की ये पंक्तियां चरितार्थ हो सकें-

मुझे तोड़ लेना वनमाली

उस पथ पर देना तुम फेंक।

मातृभूमि पर शीश चढ़ाने

जिस पथ जाएं वीर अनेक।

Leave a Reply !!

This site uses Akismet to reduce spam. Learn how your comment data is processed.