बदलते दौर में आज महिलाएं हर क्षेत्र में पुरुषों से कदम से कदम मिला कर आगे बढ़ रही है। वहीं खेल को जहां पुरुषों के लिए ही उचित माना जाता रहा है, उसमें भी अब महिलाओं ने अपना वर्चस्व कायम कर लिया है। बहुत कम लोगों को ही ये मालूम होगा कि जिस ओलंपिक में आज महिलाएं भी धूम मचा रही हैं, उसी ओलंपिक में किसी वक्त महिलाएं को हिस्सा लेने की भी इजाजत नहीं थी। 1896 में हुए पहले आधुनिक ओलंपिक खेलों में एक भी महिला ने शिरकत नहीं की, क्योंकि उन वक्त खेल में महिलाओं को शामिल करना अव्यवहारिक और गलत माना जाता था। महिलाओं ने 1900 में हुए पेरिस ओलंपिक में पहली बार हिस्सा लिया था। इसके बाद एक- एक कर ओलंपिक के हर खेल में महिलाओं की भागीदारी बढ़ती गई। इतना ही नहीं कई महिला एथलीटों ने तो वो भी कर दिखाया जिसे देख पूरी दुनिया स्तब्ध रह गई। आइए जानते हैं छह उन महिला ओलंपिक एथलीटों के बारे में, जो बनी हमारे लिए प्रेरणास्त्रोत।
- विल्मा रुडोल्फ – दुनिया में कई ऐसे लोग हैं जो किसी भी हाल में अपनी जिद्द पूरी कर ही लेते हैं। उन्हीं में से एक है विल्मा रुडोल्फ भी। 1960 में महज 21 साल की लड़की ने ओलंपिक दौड़ में 3 गोल्ड मेडल जीते। लेकिन हैरान करने वाली बात तो ये कि ये वही लड़की थी, जो ढाई साल की उम्र में पोलियो की शिकार हुई और 11 साल की उम्र तक बिना ब्रेस के चल भी नहीं सकती थी। बेहद ही गरीब परिवार से ताल्लुक रखने वाली विल्मा अमेरिका की पहली अश्वेत महिला खिलाड़ी बनी, जिसने ओलंपिक में तीन गोल्ड मेडल जीते।
- एलिस कोचमैन– ओलिंपिक में गोल्ड जीतने वाली दुनिया की पहली अश्वेत महिला एथलीट एलिस कोचमैन डेविस ही थीं। एलिस ने 1948 के लंदन ओलंपिक में लॉन्ग जंप में पहला स्थान हासिल किया था। उन्होंने 1.68 मीटर की जंप लगाई थी। जो उस समय का रिकॉर्ड था। रंगभेद और गरीबी की वजह से एलिस के करियर में भी काफी कठिनाईयां आईं, लेकिन एलिस ने डटकर सबका सामना किया। साल 2014 में एलिस का निधन हो गया।
- लिस हार्टेल– पोलियो की जंग से जीतते हुए डेनमार्क की घुड़सवार लिस हार्टेल ने ड्रेसेज ग्रां प्री में एक रजत पदक जीता था। दरअसल 1952 ओलंपिक के घुड़सवारी में महिला और पुरुषों की मिक्सड टीमों को शामिल करना शुरू हुआ।
- लोर्ना जॉन्स्टोन– 69 साल की उम्र में लोर्ना जॉन्स्टोन ने 1972 के ओलंपिक में एक घुड़सवार के तौर पर हिस्सा लिया। उस वक्त लोर्ना ओलंपिक में हिस्सा लेने वाली सबसे ज्यादा उम्र की खिलाड़ी बनी। उन्होंने 1956 और 1958 में भी घुड़सवारी प्रतियोगिता में हिस्सा लिया था।
- रोबिना जलाली– अफगानिस्तान की पूर्व एथलीट रोबीना जलाली को रोबीना मुकिमयार के नाम से भी जाना जाता है। रोबिना ने साल 2004 और 2008 के ओलंपिक में अफगानिस्तान का प्रतिनिधित्व किया था । अफगानिस्तान की रोबिना जलाली ने उस वक्त अंतरराष्ट्रीय स्तर पर सबका ध्यान खींचा जब उन्होंने एथलेटिक्स स्पर्धा में हिजाब पहनकर हिस्सा लिया। रोबिना उन लाखों अफगानिस्तानी लड़कियों के लिए प्रेरणास्त्रोत बनीं, जो बेड़ियों से निकलकर आगे बढ़ना चाहती हैं।
- मैरी कॉम- भारत की बॉक्सर मैरीकॉम पूरे देश के लिए प्रेरणास्त्रोत है। साल 2012 में मैरी कॉम ने ओलंपिक में ब्रोंज मेडल हासिल किया था। इसमें सबसे बड़ी बात ये रही कि पहली बार कोई भारतीय महिला बॉक्सर यहां तक पहुंची। इसके अलावा भी मैरी 5 बार वर्ल्ड बॉक्सर चैंपियनशिप जीत चुकी है। मैरी का जीवन कई उतार- चढ़ाव से भरा रहा। मैरी कॉम बॉक्सिंग के लिए अपने परिवार वालों से भी खिलाफ हो चुकी थीं।