भारत के वो 10 कवि, जिन्होंने हिंदी साहित्य को दिया नया आयाम

[simplicity-save-for-later]
12130

भारत की राष्ट्र भाषा हिंदी के दीवाने ना सिर्फ भारत बल्कि विदेशों में भी हैं। प्राचीन काल से ही हिंदी भाषा में अलग-अलग धर्मों और उसके अनुयायियों के लिए बहुत सी बातें लिखी और कही गयी हैं। भारत हमेशा से ही रचनाकारों का घर रहा है। यहां के लेखक, कलाकार, कवि, मूर्तिकार, गीतकार आदि लोगों ने ही तो यहां की संस्कृति और इतिहास को आज तक अपनी रचनाओं के जरिए जीवित रखा है। हिंदी साहित्य की बात की जाए तो हमारे जेहन में अनगिनत लेखकों के नाम आते है। वैसे ही हिंदी कविता भी हिंदी साहित्य की वो विधा है, जो खूबसूरत से खूबसूरत विचार को कम से कम शब्दों में कहना जानती है। यूं तो हिंदी साहित्य में कविता लिखने वाले अनगिनत सितारे रहे हैं जिनकी कलम ने हर दौर में हिंदी को एक से बढ़कर एक बेहतरीन रचनाएं दी।  लेकिन आज हम हिंदी कविता के उन 10 कवियों  के बारे में बताएंगे जिन्होंने हिंदी साहित्य को नया आयाम दिया और उनके संग्रह को सदियों तक याद किया जाएगा।

  1. सूरदास

कवि सूरदास की रचनाएं हमेशा ही कृष्ण भक्ति पर ही आधारित होती थी। इन्हें हिंदी साहित्य में भक्तिकाल का सबसे बड़ा कवि माना जाता था। सूरदासजी को वात्सल्य रस का राजा माना जाता है। उन्होंने श्रृंगार रस का भी बड़ा सुन्दर वर्णन किया है। कुछ विद्वानों की मानें तो इनका जन्म साल 1478 ई को रुनकता गांव में हुआ था। हालांकि इनके जन्म और मृत्यु के बारे में कोई सही जानकारी नहीं मिल पाई है। भक्ति काल में सूरदास की भक्ति और कविता की प्रशंसा के साथ इनके अंधे होने के बारे में भी बताया गया है।

  1. कबीरदास

संत कबीरदास हिंदी साहित्य के भक्ति काल के इकलौते ऐसे कवि हैं, जो आजीवन समाज और लोगों के बीच व्याप्त आडंबरों पर कुठाराघात करते रहे। वह कर्म प्रधान समाज के पैरोकार थे और इसकी झलक उनकी रचनाओं में साफ़ झलकती है। वे 15वीं सदी के भारतीय रहस्यवादी कवि और संत थे। कबीरदास सफल साधक के साथ एक समाज सुधारक भी थे।

  1. रहीम

अब्दुल रहीम ख़ान-ए-ख़ाना को ‘रहीम’ के नाम से ही जाना जाता है। 17 दिसम्बर 1556 यानी कि मुग़ल काल में पाकिस्तान के लाहौर में रहीम का जन्म हुआ। ये अकबर के दरबार के नौ रत्नों में एक थे। रहीम अवधी और बृज दोनों भाषा में लिखते थे। उनकी रचनाओं में कई रस मिलते हैं। उनके लिखे दोहे, सोरठे और छंद बेहद मशहूर हैं। रहीम मुसलमान थे और कृष्ण भक्त भी। जन्म से एक मुसलमान होते हुए भी हिंदू जीवन के अंतर्मन में बैठकर रहीम ने जो मार्मिक तथ्य अंकित किये थे, उनकी विशाल हृदयता का परिचय देती हैं।

  1. माखनलाल चतुर्वेदी

माखनलाल चतुर्वेदी भारत के ख्यातिप्राप्त कवि, लेखक और पत्रकार थे जिनकी रचनाएं अत्यंत लोकप्रिय हुईं। इनका जन्म मध्यप्रदेश के होशंगाबाद ज़िले में 4 अप्रैल 1889 को हुआ था। 1943 में उन्हें उनकी रचना ‘हिम किरीटिनी’ के लिए उस समय का हिंदी साहित्य का सबसे बड़ा पुरस्कार ‘देव पुरस्कार’ दिया गया था। हिम तरंगिनी के लिए उन्हें 1954 में पहले साहित्य अकादमी अवार्ड से नवाज़ा गया। राजभाषा संविधान संशोधन विधेयक के विरोध में उन्होंने अपनी पद्मभूषण की उपाधी लौटाई थी।

  1. मैथिलीशरण गुप्त

मैथलीशरण गुप्त का महाकाव्य साकेत हिन्दी साहित्य के लिए एक मील का पत्थर है। राष्ट्रकवि मैथिलीशरण गुप्त हिन्दी के प्रसिद्ध कवि थे। हिन्दी साहित्य के इतिहास में वे खड़ी बोली के पहले महत्त्वपूर्ण कवि हैं। उन्हें साहित्य जगत में ‘दद्दा’ नाम से सम्बोधित किया जाता था। इनका जन्म अगस्त 1886 में यूपी के झांसी ज़िले में चिरगाओं में हुआ था।

  1. महादेवी वर्मा

महादेवी वर्मा हिन्दी की सबसे प्रतिभावान कवयित्रियों में से हैं। महादेवी वर्मा को छायावाद के प्रमुख कवियों में गिना जाता है। आधुनिक हिन्दी की सबसे सशक्त कवयित्रियों में से एक होने के कारण उन्हें आधुनिक मीरा के नाम से भी जाना जाता है। इनका जन्म 1907 में यूपी के फर्रुखाबाद में हुआ था।

  1. सुमित्रानंदन पंत

हिंदी साहित्य में छायावाद के चार स्तंभों में से एक सुमित्रानंदन पंत जी का जन्म 20 मई 1900 में हुआ था। उत्तराखंड की खूबसूरत वादियों में जन्मे सुमित्रानंदन पंत की रचनाओं में भी प्रकृति और उससे जुड़ी खूबसूरत बातों का बखूबी ज़िक्र मिलता है। 1961 में उन्हें पद्मभूषण और 1968 में “चितंबरा” के लिए ज्ञानपीठ से नवाज़ा गया।

  1. जयशंकर प्रसाद

जयशंकर प्रसाद को भी हिंदी साहित्य के छायावाद के चौथे स्तंभ के रुप में माना जाता है। ये 30 जनवरी 1989 में उत्तरप्रदेश के वाराणसी में पैदा हुए। इन्होंने रूमानी से लेकर देशभक्ति तक की कवितायें लिखीं। इनकी सबसे ज़बरदस्त रचना है ‘कामायनी’।

  1. सूर्यकांत त्रिपाठी

सरोज शक्ति, कुकुरमुत्ता, राम की शक्ति पूजा, परिमल, अनामिका इनकी ख़ास रचनाएं हैं। इनकी रचनायें कल्पनाओं की जगह ज़मीनी हकीक़त को दिखाती हैं। इनका जन्म मिदनापुर बंगाल में 16 फरवरी 1896 को हुआ।

  1. रामधारी सिंह दिनकर

राष्ट्रकवि रामधारी सिंह दिनकर को वीर रस का सर्वश्रेष्ठ कवि माना जाता है, जिसका सबूत है उनका लिखा- ‘कुरुक्षेत्र’। ये 23 सितम्बर 1908, सिमरिया बिहार में जन्में। उनकी रचना ‘उर्वशी’ को ज्ञानपीठ पुरस्कार मिला है।

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here

This site uses Akismet to reduce spam. Learn how your comment data is processed.