समय के साथ कई संस्कृतियां नष्ट हो रही है। अगली पीढियां अपने पुराने रीति रिवाजों और संस्कृति को भूल रही है। इसकी वजह से आज कई भाषाएं, नृत्य, चित्रकला, त्यौहार इत्यादि नष्ट होने की कगार पर है। यह सब चीज़े एक तरह से मानव संस्कृति के अनमोल रत्न है और इन्हें बचाने के लिए हमें हर तरह से प्रयास करने चाहिए। इसी दिशा में काम करते हुए यूनेस्को ने अमूर्त सांस्कृतिक विरासत की सूची बनायी है।
अमूर्त सांस्कृतिक विरासत की सूची घोषित करके यूनेस्को इन विरासतों को बचाने का प्रयास कर रहा है। यूनेस्को ने हर देश की अमूर्त सांस्कृतिक विरासत की अलग अलग सूची बनायी है।
इस सूचि को सबसे पहले 2008 में बनाया गया था जब अमूर्त सांस्कृतिक विरासत की सुरक्षा के कन्वेंशन को लागू किया गया था। 2010 में रचित इस प्रोग्राम में मुख्य दो सूचियां है।
मानवता की अमूर्त सांस्कृतिक विरासत की प्रतिनिधि सूची और अमूर्त सांस्कृतिक विरासत की सुरक्षा के लिए तत्काल आवश्यकता वाली सूची- जिसमे उन विरासतों को शामिल किया शामिल किया गया है जिनको तत्काल उपायों की जरुरत है।
भारतीय संस्कृति 5000 सालों से भी पुरानी है। सिंधु और गंगा नदी के किनारे विकसित हुई इस संस्कृति को आगे ले जाने के लिए यूनेस्को द्वारा कई गैरसरकारी संगठन और सरकार को आर्थिक एवं अन्य सहायता दी जा रही है। यह सहायता भारत की अमूर्त सांस्कृतिक विरासत की सूची में शामिल चीजों के रक्षण लिए दी जा रही है।
यहाँ पर इसी सूची को दर्शाया गया है।
2016
Nawrouz, Novruz, Nowrouz, Nowrouz, Nawrouz, Nauryz, Nooruz, Nowruz, Navruz, Nevruz, Nowruz, Navruz- यह “नव वर्ष ” के लिए उपयोग किये जाने वाले शब्द है। इस दिन लोग एक दूसरे से मिलते है, साथ में खाना खाते है, बधाइयाँ देते है और नृत्य और संगीत का आनंद लेते है।
योग – यह शरीर और मन को स्वस्थ रखने वाली सुप्रसिद्ध सोच है।
2014
जांडियाला गुरु, पंजाब, भारत के ठठेरै के पीतल और तांबे के बर्तन और शिल्प बनाने की पारंपरिक कला
2013
मणिपुर के संकीर्तन, अनुष्ठान गायन, ढोल वादन
2012
लद्दाख के बौद्ध जप: ट्रांस हिमालयन लद्दाख क्षेत्र, जम्मू और कश्मीर, भारत में पवित्र बौद्ध ग्रंथों का सस्वर पाठ
2010
छऊ नृत्य -यह पूर्व भारत की एक नृत्य कला है जिसमे महाभारत और रामायण के प्रसंगों को दिखाया जाता है।
कालबेलिया लोक गीत और राजस्थान के नृत्य
मुडियेत्तु , अनुष्ठान थिएटर और केरल मुडियेत्तु की नृत्य नाटिका
2009
गढ़वाल हिमालय, भारत के रम्मन, धार्मिक त्योहार और अनुष्ठान थिएटर
2008
कुट्टियम , संस्कृत थिएटर
वैदिक श्लोक की परंपरा
रामलीला- रामायण के पारंपरिक प्रदर्शन