आइये जाने  गुलाबी शहर जयपुर का इतिहास

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सवाई जयसिंहजी द्वारा स्थापित इस गुलाबी नगरी की खूबसूरती पूरी दुनिया में मशहूर है। किले, महल और दूसरे कई स्थापत्यों से भरपूर इस नगरी को 1727 में स्थापित किया गया था। दिल्ली से लगभग 267 कि.मी. दूर बसी हुई इस नगरी का इतिहास बारहवीं सदी तक पुराना है। इस समय के दौरान कछवाह जाती के राजपूतोंने अर्वल्ली की पहाडियों में बसे पुराने अंबर के किले को जीत लिया। इस से पहले यहाँ पर सुसावत मीना लोग रहते थे जो की भारत के सबसे बड़े खजाने के रखवाले थे। इस फ़तह के बाद कछवाह राजपूतों ने मुग़लों के साथ मिल कर एक महान राज्य की स्थापना की। इसी कछवाह राजपूतों के कुल में जन्मे सवाई जयसिंहजी ने जयपुर की स्थापना की।

एक समय कछवाह राजपूतों का राज्य मेवाड़ से ले कर मारवाड़ तक था। जयसिंहजी ने औरंगजेब के बेटे आज़म शाह को अपने उत्तराधिकार की लड़ाई में मदद की लेकिन आज़म शाहने अपना ताज बहादुर शाह के हाथों में गँवा दिया।

उसके बाद आज़म शाह ने जयसिंहजी को सिंहासन से उतारने की मांग की। मुग़लों के साथ मिलकर जयसिंह खुद को फिर से ताज पर स्थापित करने में सफल रहे। उनके शासन में यह राज्य निखरा और बढा। जयसिंहजी ने अंबर के किले के पास जयपुर को स्थापित किया जोकि भारत का सब से पहला सुनियोजित शहर था, जिसे बंगाल के मुख्य वास्तुकार विध्याधर भट्टाचार्यजी ने रूपांकित किया था। विध्याधर भट्टाचार्यजी ने भारत की प्राचीन वास्तुकला-शिल्प शास्त्र और भारत की खगोल विध्या को ध्यान में रख कर जयसिंहजी के साथ मिलकर इस शहर की योजना को लागू किया। ऐसा कहा जाता है की इस शहर की बुनियाद स्वयं राजा जयसिंहजी ने 18 नवम्बर 1727 के दिन रखी थी। शहर के चौराहे, रास्ते, मुख्य जगह, महल, चारों और की दिवालें- यह सब को बनाने में बारीक से बारीक रणनीतिया बनाई गई।

सन 1744 में जयसिंहजी के मृत्यु के बाद, उनके बेटों के बीच सिंहासन के लिए लडाईयाँ हुई। बिना किसी राजा के, यह शहर बाहर के हमलावरों के लिए एक खुला मैदान बन चुका था। राजपूतों और मराठाओं ने जयपुर के बहुत सारे भागों पर अपना शासन कायम किया था। बाद में 1876 में महाराज राम सिंहजी ने शहर को गुलाबी रंग से सजाया, जो की आदर और सत्कार का प्रतिक है। यह सजावट वेल्स के राजकुमार (किंग एडवर्ड ज्योर्ज VII) के सत्कार के लिए की गई थी। तभी से जयपुर “गुलाबी शहर” के नाम से जाना जाता है। महाराज रामसिंहजी ने और भी बहुत से महत्वपूर्ण काम किए थे जो आज भी हम देख सकते है, जैसे की रामगढ़ तालाब। इस तालाब को इस नए और उभरते हुए शहर की पानी की जरूरतों को पूरा करने के लिए बनाया गया था।सन 1922 में मानसिंहजी I के द्वारा इस राज्य को ज़ीत लिया गया था और इसी समय महत्वपूर्ण मकानों जैसे सेक्रेटेरियट, पाठशालाएँ और हॉस्पिटल को बनाया गया था। भारत की आज़ादी के बाद जयपुर को जोधपुर, जैसलमेर और बीकानेर के साथ जोड़ कर भारत के सबसे बड़े राज्य का निर्माण किया गया जिसकी राजधानी जयपुर है।

अगर आप इस नगरी के इतिहास को और भी करीब से जानना चाहते है तो आप वहां के स्थापत्यों की मुलाक़ात ले सकते है जहां यह इतिहास आज भी जीवंत है।

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