सामान्य शब्दों में प्रोयुओरमेंट को वस्तुओं और सेवाओं के क्र्य-विक्रय को कहा जाता है। वस्तु व सेवा की मांग के उत्पन्न होने से शुरू होने वाली यह प्रक्रिया विक्रय होने के बाद रसीद की प्राप्ति पर समाप्त होती है। तकनीकी परिवर्तन के बाद यह प्रक्रिया डीजटल माध्यम से होने लगी और इसे ई-प्रोक्योरमेंट का नाम दिया गया।
ई-प्रोक्योरमेंट:
ई-प्रोक्युओरमेंट तंत्र के अंतर्गत अंतर-व्यावसायिक, व्यवसाय-उपभोक्ता, व्यवसाय-सरकार के साथ होने या किए जाने वाले लेन-देन से जुड़ी हर प्रकार की जानकारी उपलब्ध होती है। यह तंत्र विश्व में भारत के अतिरिक्त 10 अन्य देशों में भी लागू किया जा चुका है।
भारतीय रेल ई प्रोक्युओरमेंट सिस्टम क्या है:
भारत में वर्ष 2016 के आरंभ में रेलवे मंत्रालय ने टेंडर प्रक्रिया में पारदर्शिता लाने के लिए ई-प्रोक्योरमेंट सिस्टम की शुरुआत करी है। इस सिस्टम के अंतर्गत रेलवे विभाग में 20 लाख से अधिक के टेंडर ऑनलाइन एप्लाई और ई-ऑक्शन के जरिये ही अवार्ड किए जाएँगे। इसमें टेंडर की सारी प्रक्रिया ऑनलाइन विधि के द्वारा ही पूरी की जाएगी। इस सिस्टम को महत्व देते हुए रेलवे विभाग ने ई-प्रोक्योरमेंट नाम से एक पूरा पोर्टल (www.ireps.gov.in) भी शुरू किया है।
ई-टेंडर:
जो व्यवसायी रेलवे विभाग के साथ किसी प्रकार का काम करना चाहते हैं, वो स्वयं को www.ireps.gov.in पर रजिस्टर करके आगे की प्रक्रिया कर सकते हैं। इसके साथ ही वो संबन्धित टेंडर इस पोर्टल से डाउन्लोड करके, संबन्धित प्रपत्रों के साथ ही अपलोड भी कर सकते हैं।
टेंडर की लागत या ईएमआई भी ऑनलाइन माध्यम से ही जमा की जाएगी। इसके लिए भारत का केन्द्रीय बैंक स्टेट बैंक ऑफ इंडिया को अधिकृत किया गया है। यह बैंक इस पोर्टल पर पेमेंट गेटवे के रूप में वित्तीय लेन देन का काम करेगा।
जो व्यवसायी इस पोर्टल पर रजिस्टर्ड होकर अपना टेंडर जमा करेंगे उन्हें एसएमएस के द्वारा टेंडर की प्रगति की जानकारी भी दी जाएगी।
टेंडर प्रक्रिया:
- व्यवसायी को रेलवे के टेंडर भरने के लिए इस पोर्टल पर स्वयं को रजिस्टर करना होगा।
- इसके बाद पोर्टल के सर्च बॉक्स से इच्छित टेंडर को सर्च करके उसके संबन्धित टेंडर प्रपत्र डाउनलोद किए जा सकते हैं। यह सुविधा केवल रजिस्टर्ड व्यवसायियों के लिए ही है। शेष केवल टेंडर की जानकारी देख सकते हैं।
- बिडिंग को आगे बढ़ाने के लिए पहले टेंडर की कीमत/लागत ऑनलाइन जमा करनी होगी। इसके बाद यदि व्यवसायी चाहे तो ईएमआई व्यक्तिगत तौर पर भुगतान कर सकता है।
- टेंडर की प्रक्रिया पूरा करने के लिए सारी जानकारी ऑनलाइन जमा की जाती है। इस जानकारी को अंतिम तिथि से पूर्व कभी भी अपडेट भी किया जा सकता है।
- अंतिम रूप से टेंडर को सबमिट करते समय डिजिटल सिग्नेचर करके टेंडर प्रक्रिया को पूर्ण किया जाता है।
ई-टेंडर प्रक्रिया का सबसे बड़ी विशेषता , टेंडर के खुलने के बाद टेकनों-कमर्शियल टेबुलेशन को देखा जाना है। जो पहले संभव नहीं था।
इस पोर्टल के माध्यम से अब रेलवे की टेंडर प्रक्रिया को पूरा करके प्रोजेक्ट 30 दिन के अंदर अवार्ड हो जाता है, जबकि पहले यह काम 2 महीने में होता था।