भारत में खेलों को हमेशा से वह महत्व नहीं दिया गया, जो की विश्व के विभिन्न देशों में दिया जाता है। इस कमी को दूर करने के लिए वर्ष 2016 से खेल और खिलाड़ियों को प्रोत्साहन देने के लिए एक विशेष कार्यक्रम का शुभारंभ किया है। इस कार्यक्रम का नाम “खेलो इंडिया” रखा गया है।
क्या है खेलो इंडिया कार्यक्रम:
भारत सरकार के खेल मन्त्राल्य ने वर्ष 2016 में “खेलो इंडिया” नाम के अनोखे कार्यकर्म को शुरू किया था। इस कार्यक्रम का उद्देशय भारतीय खिलाड़ियों और विभिन्न खेलों को वैश्विक स्तर के प्रदर्शन योग्य बनाना है। समय-समय पर इस कार्यक्रम में अनेक परिवर्तन किए जाते रहे हैं जिससे आवश्यकतानुसार खिलाड़ियों को समुचित प्रशिक्षण और सुविधाएं प्रदान की जा सकें। वास्तव में यह कार्यक्रम पूर्व में चलाये जा रहे राजीव गांधी खेल योजना, शहरी खेल संरचना योजना तथा प्रतिभा खोज योजना का सम्मिलित रूप है। इस कार्यक्रम के लिए इन सभी योजनाओं को एक नए कार्यकर्म ‘खेलो इंडिया’ में समाविष्ट कर दिया गया।
उद्देशय:
“खेलो इंडिया” नाम के कार्यक्रम का संचालन निम्न उद्देश्यों की पूर्ति के लिए किया गया है :
- खिलाड़ियों के व्यक्तिगत, सामुदायिक और आर्थिक और संतुलित विकास पर बल देना। इसके साथ ही खेल और खिलाड़ियों को राष्ट्र की मुख्य धारा के साथ जोड़ना।
- इसमें खेलों की तकनीक, प्रशिक्षण और प्रतिस्पर्धा की दृष्टि से खेलों की अर्थव्यवस्था का विकास करना ।
- ओलंपिक में प्रदर्शन करने हेतु, देश में “ओलंपिक पोडियम” का आयोजन जिससे खिलाड़ियों को वास्तविक पूर्वानुभव प्राप्त हो सके।
- प्रतिभाशाली खिलाड़ियों के विदेशी प्रशिक्षण की व्यवस्था करना।
खेलो इंडिया की विशेषताएँ:
भारत सरकार के इस कार्यकर्म में मुख्य और नयी बातें इस प्रकार हैं:
- 1000 अद्वितीय प्रतिभावन खिलाड़ियों को छात्रव्रती योजना द्वारा प्रोत्साहित करना;
- इस कार्यक्रम के प्रत्यके खिलाड़ी को 8 वर्षों तक पाँच लाख की वार्षिक छात्रवृति प्रदान करना;
- देश के 20 चुने हुए विषविध्यालयों को खेलों की दृष्टि से विकसित करना;
- देश में ‘व्यापक फिटनेस कार्यकर्म’ का आयोजन करना जिससे 10-18 आयु वर्ग के 200 मिलियन बच्चों को लाभान्वित करना;
- प्रतिस्पर्धी खिलाड़ियों की श्रंखला का विकास करना जिससे विश्व स्तर पर जीत हासिल की जा सके।
खेलो इंडिया का परिणाम:
- देश के अशांत और सुविधाहीन क्षेत्रों की युवा प्रतिभा को खेलों की ओर आकर्षित करके उनके समुचित विकास में योगदान देना।