ऐसे १० बड़े कानून, जिन्हें अंग्रेज़ों ने बनाया और भारत में आज भी है उनका अस्तित्व

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British Laws still exists in India

भारत ने अपनी आज़ादी के सात दशक देख लिए हैं। इसमें कोई दो राय नहीं है कि इन सात दशकों में हमारे देश में बहुत सारे बदलाव हुए। दुनिया भर में भी अब भारत की अपनी अलग पहचान बन चुकी है। हमारे देश में २०० सालों तक राज करने वाले अंग्रेज़ों की बहुत सारी यादें भी अब धुंधली हो चुकी है, लेकिन क्या आपको मालूम है कि अभी भी अंग्रेज़ों की बहुत सी चीजें ऐसी हैं, जिसका अस्तित्व आज भी भारत में मौजूद है। जी हां, उनमें से सबसे प्रमुख है कानून। अंग्रेजी शासन काल में बने बहुत से कानून आज भी हमारे आज़ाद भारत का हिस्सा हैं। वे कानून जो कभी अंग्रेज़ों ने अपनी सुविधा के लिए बनाए थे। जिनका एकमात्र उद्देश्य भारत में राज करना और विरोध करने वाले को दबाना था। ऐसे में चलिए आज आपको बताते हैं कि अंग्रेज़ों के बनाए ऐसे १० कौन- कौन से प्रमुख कानून हैं जो अभी भी स्वतंत्र भारत में लागू हैं।

  1. राजद्रोह कानून (Sedition law)

भारतीय दंड संहिता यानि आईपीसी के सेक्शन १२४-A के तहत मौखिक या लिखित, इशारों में या स्पष्ट रूप या फिर किसी भी अन्य तरीके से ऐसे शब्दों का प्रयोग करता है, जो भारत में विधि द्वारा स्थापित सरकार के लिए घृणा या अवमानना, उत्तेजना या असंतोष पैदा करने की कोशिश करे। उसके दोषी साबित होने पर उम्रकैद और जुर्माना या ३ साल की कैद और जुर्माना या केवल जुर्माने की सजा दी जा सकती है। इस अपराध को राजद्रोह या देशद्रोह की श्रेणी में रखा जाता है। ब्रिटिश औपनिवेशिक काल की सरकार ने १९वीं और २०वीं सदी में राष्ट्रवादी असंतोष को दबाने के लिए यह कानून बनाए थे। खुद ब्रिटेन ने अपने देश में राजद्रोह कानून को २०१० में समाप्त कर दिया। हाल ही में दिल्ली की जेएनयू के छात्रों,  दिल्ली विश्वविद्यालय के पूर्व प्रोफेसर एसएआर गिलानी से पहले कार्टूनिस्ट असीम त्रिवेदी, लेखिका और सामाजिक कार्यकर्ता अरुंधती रॉय, चिकित्सक और एक्टिविस्ट बिनायक सेन जैसे कई लोगों पर राजद्रोह का आरोप लगा है।

 

  1. भारतीय पुलिस अधिनियम (Indian Police Act )

इंडियन पुलिस एक्ट १८६१ में बनाया गया। ये अधिनियम १८५७ की पहली क्रांति के बाद बना। अंग्रेज़ों के इस कानून को बनाने के पीछे एकमात्र उद्देश्य ये था, कि सरकार के खिलाफ होने वाले किसी भी विद्रोह को खत्म किया जा सके। अंग्रेज़ों ने इसे बनाया था भारतीयों का दमन और अत्याचार करने के लिए। इसमें पुलिस को कई विशेष अधिकार भी दिए गए। आपको बता दें कि इसी कानून का फायदा उठा कर लाला लाजपत राय पर लाठियां चलायी गयी थी और लाला जी की मृत्यु हो गयी थी। लेकिन लाला लाजपत राय पर लाठी चलाने वाले सांडर्स को कुछ नहीं हुआ। आज़ाद भारत में ७० सालों बाद भी वही भारतीय पुलिस अधिनियम आज भी लागू है।

  1. भारतीय दंड संहिता (Indian Penal Code)- भारतीय दंड संहिता ब्रिटिश काल में साल १८६२ में लागू की गई थी। अंग्रेज़ों ने हमारे देश में एक कानून लागू किया था, जिसका नाम रखा Indian Panel Code (IPC)। ये अंग्रेज़ों के एक और गुलाम देश Irish Penal Code की फोटो कॉपी थी। आईपीसी की ड्राफ्टिंग अंग्रेज़ों के एक अधिकारी वी. मैकोले ने की थी। मैकोले ने एक पत्र में लिखा था कि ‘मैंने भारत की न्याय व्यवस्था को आधार देने के लिए एक ऐसा कानून बना दिया है जिसके लागू होने पर भारत के किसी आदमी को न्याय नहीं मिल पायेगा। इस कानून की जटिलताएं इतनी है कि, भारत का साधारण आदमी तो इसे समझ ही नहीं सकेगा।‘ इसलिए हमारी न्याय व्यव्स्था का ऐसा हाल है की यहां सालों तक मुकदमें पेंडिंग पड़े रहते हैं। हमारी न्याय व्यवस्था आज भी अंग्रेज़ों के इसी IPC के आधार पर चल रही है। बता दें कि भारत के जम्मू- कश्मीर और भारत की सेना पर ये संहिता लागू नहीं होती। जम्मू एवं कश्मीर में इसके स्थान पर रणबीर दण्ड संहिता (RPC) लागू होती है।

 

  1. बाएं हाथ की यातायात व्यवस्था (Left hand traffic system)

भारत में लोग सड़क पर बाएं हाथ की ओर गाड़ियां चलाते और पैदल चलते हैं, लेकिन क्या आपको मालूम है कि दुनिया के 90 फीसदी देशों में सड़क पर दाएं हाथ की ओर गाड़ी चलाने की व्यवस्था है। बाएं हाथ की यातायात व्यवस्था भारत सहित दुनिया के कुछ गिने चुने देशों में ही लागू है। भारत में बाएं ओर गाड़ी चलाने की यह व्यवस्था अंग्रेज़ों ने १८०० के दशक में शुरू की थी, जो आज तक चल रही है।

 

 

  1. भारतीय साक्ष्य अधिनियम (Indian Evidence Act )

भारतीय साक्ष्य अधिनियम को मूल रूप से साल १८७२ में ब्रिटिश संसद द्वारा पारित किया गया था। इस अधिनियम ने बनने के बाद से १२५ से अधिक वर्षों की अवधि के दौरान समय-समय पर कुछ संशोधन को छोड़कर अपने मूल रूप को बरकरार रखा है। यह अदालत की सभी न्यायिक कार्यवाहियों पर लागू होता है। यह अधिनियम इस बात के बारे में बताता है कि कोर्ट में कौन-कौन सी चीजें साक्ष्य के तौर पर इस्तेमाल की जा सकती हैं और इन सभी सबूतों और गवाहों की लिस्ट को कोर्ट के सामने पहले से ही बताना पड़ता है। भारत के न्यायिक व्यवस्था में आज भी यह कानून मुख्य भूमिका में है।

 

  1. संपत्ति स्थानांतरण अधिनियम (The Transfer of Property Act)

संपत्ति स्थानांतरण अधिनियम साल १८८२ में बना, एक भारतीय कानून है जो कि भारत में संपत्ति के हस्तांतरण को नियंत्रित करता है। संपत्ति के हस्तांतरण का मतलब ये है कि एक व्यक्ति अपनी संपत्ति को एक या एक से अधिक लोगों को खुद से दे सकता है। हस्तांतरण करने वालों में एक व्यक्ति, कंपनी या संस्था या व्यक्तियों का समूह शामिल हो सकता है।

 

  1. विदेशी अधिनियम (The Foreigners Act)

विदेशी अधिनियम को भारत के आज़ाद होने से पहले १९४६ में अधिनियमित किया गया था। यह अधिनियम किसी भी ऐसे व्यक्ति को विदेशी बताता है जो कि भारत का नागरिक नहीं है। कोई व्यक्ति विदेशी है या नहीं इस बात को सिद्ध करने की जिम्मेदारी भी उसी व्यक्ति की है। अगर कोई व्यक्ति अपने भारतीय या विदेशी होने के दस्तावेजों को दिखाने में असमर्थ होता है, तो उस पर कानूनी कार्रवाई भी हो सकती है।

 

  1. भारतीय वन अधिनियम (Indian Forest Act)

भारतीय वन अधिनियम साल १८६५ में बनाया गया और इसे साल १८७२ में लागू किया गया। इस कानून के बनने के पहले जंगल गांव की सम्पति माने जाते थे और इस पर गांव के लोगों की सामूहिक हिस्सेदारी होती थी। वे ही इसकी देखभाल किया करते थे। साथ ही इन्ही जंगलों से जलावन की लकड़ी इस्तेमाल कर के वो खाना बनाते थे। लेकिन अंग्रेजों ने इंडियन फॉरेस्ट एक्ट कानून को लागू कर के जंगल के लकड़ी के इस्तेमाल को प्रतिबंधित कर दिया। उन्होंने इसे लिए एक पोस्ट बनाया District Forest Officer जो उन लोगों को सजा दे सके, जो जंगल से लकड़ियां काटते या चुराते हैं। लेकिन दूसरी ओर जंगलों के लकड़ी की कटाई के लिए ठेकेदारी प्रथा लागू की गयी जो आज भी लागू है।

 

  1. भूमि अधिग्रहण अधिनियम (Land Acquisition Act)

भूमि अधिग्रहण अधिनियम साल १८९४ में अंग्रेज़ों द्वारा बनाया गया एक ऐसा कानून है, जिसका इस्तेमाल कर सरकारें निजी भूमि का अधिग्रहण कर सकतीं हैं। इसके लिये सरकार द्वारा भूमि मालिकों को मुआवजा देना आवश्यक होता है। डलहौजी ने इस ‘जमीन को हड़पने के कानून’ को भारत में लागू करवाया, इस कानून को लागू कर के किसानों से जमीने छिनी गयी। जो जमीन किसानों की थी वो ईस्ट इंडिया कंपनी की हो गयी। १९४७ की आज़ादी के बाद ये कानून ख़त्म होना चाहिए था लेकिन नहीं, इस देश में ये कानून आज भी चल रहा है।

 

  1. आयकर अधिनियम (Income Tax Act)

इस आयकर अधिनियम के आधार पर ही भारत में आयकर लगाया जाता है जो कि कर को लगाने, वसूल करने, और कर ढांचे के बारे में दिशा निर्देशों को जारी करता है। लोगों पर इनकम टैक्स लगाने का नियम अंग्रेज़ों के शासनकाल से ही शुरू हुआ है। पहले अंग्रेज़ों ने भारत में टैक्स की दर ९७%  रखी थी, यानी कि १०० रुपया कमाओ तो ९७ रुपया टैक्स में दे दो। उसी समय ब्रिटेन से आने वाले सामानों पर हर तरीके के टैक्स की छुट दी जाती है ताकि ब्रिटेन के माल इस देश के गांव-गांव में पहुंच सके। आपको शायद मालूम ना हो लेकिन १९७०-७१ तक इस देश में इनकम टैक्स की दर ९७% ही हुआ करती थी।

निष्कर्ष

हालांकि भारत की आज़ादी के बाद, अंग्रेज़ों के बनाए बहुत से कानूनों में संशोध भी किया गया है। लेकिन इसके बावजूद अब भी अंग्रेजों के बनाए बहुत से ऐसे अधिनियम हैं, जिनका वहन हम आज तक कर रहे हैं। वैसे कानून जिन्हें बनाने का उद्देश्य भारत की अर्थव्यवस्था, सामाजिक व्यवस्था, शिक्षा व्यवस्था को ख़त्म करना था औक ख़त्म किया भी गया। आपको हमारा ये लेख कैसा लगा, नीचे कमेंट बॉक्स में कमेंट कर के हमें जरूर बताएं।

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