26 जून: जब United Nations Charter ने दुनिया में जलाई थी उम्मीद की लौ

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मानवता तब त्राहि-त्राहि कर रही थी। हर खुशी दुनिया की द्वितीय विश्व युद्ध की भेंट चढ़ चुकी थी। निराशा का अंधकार पूरी दुनिया को अपने आगोश में ले रहा था। तभी उम्मीद की एक लौ जगी 26 जून, 1945 को। United Nations Charter पर 50 देशों के प्रतिनिधियों ने अपने हस्ताक्षर कर दिए।

इस तरह से मार्ग प्रशस्त हुआ एक अंतरराष्ट्रीय संगठन के अस्तित्व में आने का, जो युद्ध की आग में झुलस चुकी दुनिया को थोड़ी शीतलता प्रदान करने वाला था। जो न केवल युद्ध में मिले घावों पर मरहम लगाने वाला था, बल्कि जो आने वाले सुनहरे कल की लकीर भी खींचने वाला था।

United Nations के इसी घोषणा पत्र के आधार पर आखिरकार 24 अक्टूबर, 1945 को औपचारिक रूप से संयुक्त राष्ट्र संघ अस्तित्व में आ गया. इस लेख में हम आपको Charter of United Nations के प्रमुख अध्यायों के बारे में सबसे प्रमुख जानकारी उपलब्ध करा रहे हैं, जो इस दुनिया के एक शांतिप्रिय नागरिक के तौर पर आपको जरूर जाननी चाहिए।

United Nations के उद्देश्य

संयुक्त राष्ट्र के घोषणापत्र के अध्याय 1 के अनुच्छेद 1 में दुनियाभर में शांति और सुरक्षा का माहौल बनाए रखना इसका सबसे प्रमुख उद्देश्य बताया गया है। इसके अलावा समान अधिकार और आत्मनिर्णय के प्रति सम्मान की भावना को आधार बनाते हुए विभिन्न देशों के बीच दोस्ताना संबंधों को प्रोत्साहित करना भी इसका उद्देश्य है। इसका और महत्वपूर्ण उद्देश्य सामाजिक, आर्थिक, सांस्कृतिक एवं मानव कल्याण से जुड़ी सभी अंतरराष्ट्रीय समस्याओं के समाधान के साथ मानव अधिकारों की रक्षा के लिए अंतरराष्ट्रीय सहयोग को हासिल करना भी है।

इन सभी सामान्य उद्देश्यों को पूरा करने के लिए विभिन्न देशों के द्वारा उठाए जा रहे कदमों के बीच समन्वय स्थापित करने हेतु एक केंद्रीय संगठन के तौर पर कार्य करने को United Nations Charter में इसका एक प्रमुख उद्देश्य बताया गया है।

संयुक्त राष्ट्र की सदस्यता

Charter of United Nations के अध्याय 2 में सदस्यता के बारे में अनुच्छेद 3 से लेकर अनुच्छेद 6 तक में जानकारी दी गई है। इसके अलावा इस अध्याय में सदस्यता से संबंधित नियमों के साथ सदस्यता खोने के लिए जिम्मेदार परिस्थितियों के बारे में भी विस्तार से बताया गया है।

संयुक्त राष्ट्र के अंग

संयुक्त राष्ट्र के घोषणापत्र के अध्याय 3 के अनुच्छेद 7 में बताया गया है कि महासभा, सुरक्षा परिषद, आर्थिक एवं सामाजिक परिषद, न्यास परिषद, अंतर्राष्ट्रीय न्यायालय तथा सचिवालय संयुक्त राष्ट्र के अंग होंगे और जरूरत के हिसाब से सहायक अंग भी स्थापित किया जाने संभव हैं।

महासभा

United Nations Charter के अध्याय 4 के अनुच्छेद 9 में महासभा के गठन के बारे में बताया गया है, जबकि अनुच्छेद 10 से लेकर अनुच्छेद 17 तक में इसकी कार्यप्रणाली और शक्तियों का जिक्र किया गया है। अनुच्छेद 18 से लेकर 19 तक में मतदान प्रक्रिया की, जबकि अनुच्छेद 20 से लेकर अनुच्छेद 22 तक में महासभा की क्रियाविधि के बारे में जानकारी दी गई है।

सुरक्षा परिषद

Charter of United Nations के अध्याय 5 के अनुच्छेद 23 में सुरक्षा परिषद के गठन के बारे में बताया गया है, जिसमें सुरक्षा परिषद के सदस्यों का जिक्र है। अध्याय 5 में ही अनुच्छेद 24 से 26 तक में सुरक्षा परिषद के कार्य एवं शक्तियों की जानकारी दी गई है। इसके अनुच्छेद 27 में सुरक्षा परिषद में होने वाले मतदान एवं अनुच्छेद 28 से लेकर अनुच्छेद 32 तक में इसकी कार्यप्रणाली का ब्यौरा दिया गया है।

विवादों को शांतिपूर्ण तरीके से सुलझाना

संयुक्त राष्ट्र के घोषणा पत्र में अनुच्छेद 35 से लेकर अनुच्छेद 38 तक में समझाया गया है कि संयुक्त राष्ट्र किस तरह से विभिन्न देशों के बीच विवादों का शांतिपूर्ण तरीके से हल निकाल कर युद्ध जैसी परिस्थितियां उत्पन्न होने से रोकने में अपना योगदान देगा।

शांति भंग होने की स्थिति में

Charter of United Nations के अध्याय 7 में अनुच्छेद 39 से लेकर अनुच्छेद 51 तक में यह बताया गया है की शांति को खतरे में डालने वाले मामलों के साथ शांति भंग होने एवं आक्रामक कार्यों के संबंध में संयुक्त राष्ट्र किस तरीके से कार्रवाई करेगा।

प्रादेशिक प्रबंध का प्रावधान

संयुक्त राष्ट्र के घोषणा पत्र में अध्याय 8 में अनुच्छेद 52 से लेकर अनुच्छेद 54 तक में प्रादेशिक प्रबंध के बारे में बताया गया है कि अंतर्राष्ट्रीय शांति एवं व्यवस्था बनाए रखने से संबंधित क्षेत्रीय कार्यवाही के दौरान प्रादेशिक प्रबंध किस तरह से किए जाएंगे।

अंतर्राष्ट्रीय आर्थिक एवं सामाजिक सहयोग

विभिन्न राष्ट्रों के बीच अंतरराष्ट्रीय आर्थिक एवं सामाजिक सहयोग आपस में किस तरीके से विकसित किए जाएंगे, ताकि दुनियाभर में आर्थिक और सामाजिक प्रगति सुनिश्चित की जा सके, इसके बारे में United Nations Charter के अध्याय 9 में अनुच्छेद 55 से लेकर 60 तक में विस्तार से बताया गया है।

साथ ही अध्याय 10 के अनुच्छेद 61 में आर्थिक व सामाजिक परिषद के गठन और अनुच्छेद 62 से लेकर अनुच्छेद 66 तक में इसकी कार्य व शक्तियों के साथ अनुच्छेद 67 में इसके मतदान एवं अनुच्छेद 68 से लेकर 72 तक में इसकी कार्यप्रणाली का ब्यौरा दिया गया है।

अंतर्राष्ट्रीय न्यायालय धारिता तंत्र एवं न्यास धारिता परिषद

Charter of United Nations के अध्याय 12 के अनुच्छेद 75 से लेकर अनुच्छेद 85 तक ने अंतर्राष्ट्रीय न्यासधारिता तंत्र एवं अध्याय 13 के अनुच्छेद 86 से लेकर अनुच्छेद 91 तक में न्यासधारिता परिषद के गठन, कार्य एवं शक्तियों, मतदान व इसकी कार्यप्रणाली के बारे में बताया गया है।

अंतर्राष्ट्रीय न्यायालय एवं सचिवालय

दुनिया के विभिन्न देशों के बीच पारस्परिक विवादों को समझाने के लिए United Nations Charter के अध्याय 14 में अनुच्छेद 92 से लेकर अनुच्छेद 96 तक में अंतरराष्ट्रीय न्यायालय की भूमिका के बारे में भी बताया गया है। वहीं, अध्याय 15 में अनुच्छेद 97 से लेकर 101 तक में संयुक्त राष्ट्र सचिवालय के बारे में जानकारी दी गई है।

चलते-चलते

United Nations Charter ने जिस संयुक्त राष्ट्र संघ की स्थापना का मार्ग प्रशस्त किया, वर्तमान परिस्थितियों में भी इसकी प्रासंगिकता का अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि द्वितीय विश्वयुद्ध के बाद से अब तक दुनियाभर में इतनी बार तनाव देखे जाने के बावजूद तृतीय विश्वयुद्ध की नौबत नहीं आने दी गई है। उम्मीद की लौ 75 साल बाद भी प्रज्ज्वलित है।

5 COMMENTS

  1. The way you have written this article I don’t have words to appreciate. An extraordinary writing style you have.

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