केंद्रीय व्यापार और उद्योग मंत्रालय के द्वारा शुरू की गई ट्रेड इन्फ्रास्ट्रक्चर फॉर एक्सपोर्ट स्कीम

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केंद्रीय वित्त मंत्री अरुण जेटली ने वित्त वर्ष 2017-18 के बजट में राज्य स्तर पर निर्यात को बढ़ावा देने के लिए बुनियादी ढांचे में सुधार के लिए एक स्कीम की घोषणा की थी। इस स्कीम का नाम ट्रेड इन्फ्रास्ट्रक्चर फॉर एक्सपोर्ट स्कीम (टी आई ई एस) है। यह स्कीम अगले वित्त वर्ष तक अमल में आ जाएगी। यह स्कीम इसी तरह की पुरानी पहल एसाइड (असिस्टेंट टू स्टेट फॉर इन्फ्रास्ट्रक्चर डेवलपमेंट ऑफ एक्सपोर्ट) की जगह लेगी। इसे वित्त वर्ष 2015-16 में बंद कर दिया गया था।

वाणिज्य मंत्री निर्मला सीतारमन राज्यों में निर्यात बुनियादी ढांचा खड़ा करने के लिए एक नई योजना की शुरूआत करेंगी। अधिकारियों के अनुसार ट्रेड इन्फ्रास्ट्रक्चर फोर एक्सपोर्ट स्कीम (टी आई ई एस) मुख्य रूप से बंदरगाहों पर शीत भंडारो व सीमा शुल्क चौकी जैसी परियोजनाओं पर केंद्रित होगी। वाणिज्य और उद्धयोग मंत्री श्रीमती निर्मला सीतारमन अनुसार व्यापर  बुनियादी ढाँचा योजना (टी आई ई एस) का उद्देश्य निर्यातकों की आवश्यताओं को पूरा करना है टी आई ई एस योजना के तहत बॉर्डर हाटस, भूमि सीमा शुल्क स्टेशनों, गुणवत्ता परीक्षण और प्रमाणन प्रयोगशालाओं, कोल्ड चेन, व्यापार प्रोत्साहन केंद्रों, ड्राई पोर्टों, निर्यात भंडारगृहों, पैकेजिंग, विशेष आर्थिक क्षेत्रों अर्थात अस इ ज़ेड और बंदरगाहों, हवाई अड्डों पर कार्गो टर्मिनस जैसी अधिक निर्यात से जुड़ी अवसंरचना परियोजनाओं की स्थापना और उनके विकास के लिये सहायता प्रदान करेगी

योजना के मुख्य बिंदु:

  1. टीआईईएस योजना राज्यों को दिए गए कोषों से बुनियादी ढांचा तैयार की दिशा में हस्तांतरण बढ़ाने को प्रोत्साहित करने हेतु महत्वपूर्ण है.
  2. प्रस्तावित योजना का उद्देश्य निर्यात बुनियादी ढांचे की खामियों को समाप्त कर निर्यात प्रतिस्पर्धा को बढ़ाना, निर्यात संवर्द्धन परियोजनाओं के लिए पहले और आखिरी स्तर के बीच संपर्क स्थापित करना और गुणवत्ता तथा प्रमाणीकरण सुविधा प्रदान करना है।
  3. योजना के अंतर्गत निर्यात संवर्द्धन परिषदों, कमोडिटीज बोर्डों, एसईजेड प्राधिकारियों और भारत सरकार की एक्जिम नीति के अंतर्गत मान्यता प्राप्त शीर्ष व्यापार निकायों सहित केंद्रीय और राज्य एजेंसियां वित्तीय समर्थन पाने हेतु पात्र होंगी।
  4. योजना वर्तमान वित्त वर्ष 2017-18 से (अप्रैल से शुरू) अगले वित्त वर्ष 2019-20 तक संचालित की जाएगी।
  5. योजना हेतु कुल 600 करोड़ रुपये का बजटीय आवंटन किया गया है और इसके लिए सालाना 200 करोड़ रुपये खर्च किया जाएगा.
  6. इस योजना के तहत केंद्र और राज्य की आधी-आधी भागीदारी होगी और केंद्र प्रत्येक परियोजना को अधिकतम 20 करोड़ रुपये देगा।
  7. योजना के अंतर्गत किसी परियोजना की अधिकतम राशि 40 करोड़ रुपये तक होनी चाहिए।
  8. केवल पहाड़ी राज्यों और पूर्वोत्तर राज्यों को ही केंद्र सरकार परियोजना की 80 फीसदी तक सहायता देगी।

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