भारत सरकार ने नोट बंदी के प्रभाव को स्पष्ट करने हेतु एक नया अधिनियम पारित किआ है जिसमे बंद किए गए नोट को रखना (सीमित संख्या में) भी गैरकानूनी कर दिया गया है. इस संबंध में सरकार की मंशा यह है की अब कोई भी नागरिक बंद किए गए नोट को किसी भी प्रकार से उपयोग में न रखे, एवं इन्हें पुर्णतः अवैधानिक मान लें, ताकि न ही इन नोटों को कोई स्वीकार करे न ही इन्हें चलाने का प्रयत्न करे, ऐसा करते हुए पाए जाने पर दोषी व्यक्ति कानूनन अपराधी माना जाएगा.
निर्दिष्ट बैंक नोट्स (कानूनन समाप्ति) अधिनियम 2017 – के अनुसार कुछ विन्दु स्पष्ट किए गए हैं जिन्हें जानना आवश्यक है ताकि आप किसी भी प्रकार से क़ानून का उलंघन करने से बच सकें, इन विन्दुओं से स्पष्ट होता है की आपको भारत देश के जिम्मेदार नागरिक होने के नाते क्या करना है और क्या नहीं करना है, साथ ही अगर आप किसी भी व्यक्ति को उल्लंघन करते हुए पाएं तो तुरंत पुलिस को सूचना दे सकते हैं.
अधिनियम के अनुसार –
1. अधिनियम के धारा 5 के अनुसार जानबूझकर या स्वेक्षा से नियत समय सीमा (सरकार द्वारा निर्दिष्ट) के बाद किसी भी तरह से निर्दिष्ट बैंक नोट (बंद किए गए) का हस्तांतरण, प्राप्ति या जमा करना गैर क़ानूनी होगा.
2. कोई भी व्यक्ति 10 से अधिक नोट संगृहीत नहीं कर सकता, हलाकि यदि कोई व्यक्ति किसी सात्विक उददेश जैसे अध्ययन, अनुसंधान (शोध) या सिक्कावाद हेतु नोट संगृहीत करता है तो भी अधिकतम 25 नोट ही संगृहीत कर सकता है, इससे अधिक गैर क़ानूनी संग्रहण माना जाएगा.
3. यदि अधिनियम की धारा 5 में निर्दिष्ट सीमाओं का उल्लंघन किया जाता है तो दंड (सजा) के तौर पर हर्जाना रूपए 10 हजार या पाए गए अवैधानिक नोट की कुल राशी का 5 गुना, जो भी अधिक होगा वो वशूल किआ जाएगा.
4. धारा 4 की उप-धारा 1 के अनुसार, इससे सम्बंधित कोई भी व्यक्ति झूठा या निराधार बयांन देता है, या इस प्रकार के बयान से जुड़ी कोई भी समघ्री रखता है, जिसका उसे अधिकार नहीं हो, एवं उसके बयान को सत्य प्रमाणित करने लायक सबूत न हों, तो सम्बंधित को निर्दिष्ट बैंक नोट पर अंकित मूल्य में राशी 50 हजार या उपस्थित नोट्स के मूल्य का 5 गुना, जो भी अधिक हो, हर्जाना के रूप में वशूल किआ जाएगा.
5. इस अधिनियम के प्रावधानों का उल्लंघन होने पर प्रथम श्रेणी न्यायलय, या महानगरीय न्यायलय (मेट्रोपॉलिटन मजिस्ट्रेट की अदालत) द्वारा जुर्माना लगाया जा सकेगा.