भारतीय संविधान अनुच्छेद 52 के तहत भारत का एक राष्ट्रपति होगा जो देश के कल्याण और हित को मद्देनज़र रखते हुए संविधान में दी गई शक्तियों और कर्तव्यों का निर्वाहन करेगा। राष्ट्रपति भारतीय राज्य के मुखिया तथा प्रथम नागरिक हैं। उन्हें राष्ट्र की एकता और अखंडता का प्रतीक माना जाता है। राष्ट्रपति को भारतीय संविधान की रक्षा के लिए कुछ अनिवार्य कर्तव्यों व शक्तियों का निर्वाहन करना होता है जैसे कि – कार्यकारी शक्तियां, विधायी शक्तियां, वित्तीय शक्तियां, न्यायिक शक्तियां, राजनयिक शक्तियां, सैन्य शक्तियां तथा आपातकाल से जुड़ी शक्तियां।
कुछ कार्यकारी शक्तियां निम्नलिखित हैं:
1) सभी भारत सरकार के कार्यकारी कार्य औपचारिक रूप से राष्ट्रपति के नाम पर लिए जाते है।
2) राष्ट्रपति, केंद्र सरकार के व्यापार के लेनदेन और मंत्रियों के बीच व्यापार के आवंटन को और अधिक सुविधाजनक बनाने के लिए नियम बना सकते हैं।
3) प्रधानमंत्री और अन्य मंत्रियों की नियुक्ति करने का कार्य राष्ट्रपति का होता है।
4) भारत के अटॉर्नी जनरल, नियन्त्रक एवं महालेखापरीक्षक, मुख्य निर्वाचन आयुक्त और अन्य चुनाव आयुक्तों, संघ लोक सेवा आयोग के अध्यक्ष और सदस्यों, राज्यों के राज्यपाल, वित्त आयोग के सदस्यों, इत्यादि की नियुक्ति करने का कार्य राष्ट्रपति का होता है।
5) राष्ट्रपति अनुसूचित जाति, अनुसूचित जनजाति और अन्य पिछड़े वर्गों की स्थिति में जांच करने के लिए आयोग नियुक्त कर सकते हैं।
कुछ विधायी शक्तियां इस प्रकार हैं:
1) राष्ट्रपति के पास संसद सत्रावसान और उसको बुलाने तथा लोकसभा भंग करने की ताकत होती है। वह दोनों सदनों की संयुक्त बैठक भी बुला सकते हैं जिसकी अध्यक्षता लोकसभा अध्यक्ष के अंतरगत होगी।
2) राष्ट्रपति साहित्य, विज्ञान, कला और सामाजिक सेवा में विशेष ज्ञान या व्यावहारिक अनुभव रखने वाले लोगों के बीच से राज्य सभा के 12 सदस्यों को नामांकित कर सकते हैं।
3) राष्ट्रपति एंग्लो-इंडियन समुदाय से लोकसभा के 2 सदस्यों का नामांकन कर सकते हैं।
4) जब कोई बिल संसद द्वारा पारित होने के बाद राष्ट्रपति को भेजा जाता है, तो वह निम्नलिखित कार्य कर सकते हैं:
a) बिल को अपनी सहमति देना,
b) बिल पर अपनी सहमति रोक कर रखना,
c) संसद के पुनर्विचार के लिए बिल को वापस लौटाना,
5) जब संसद सत्र में नहीं है तो वह अध्यादेश प्रख्यापित कर सकते हैं।
सैन्य शक्तियां के अंतर्गत वह रक्षा बलों के सर्वोच्च कमांडर है तथा सेना, नौसेना और वायु सेना के प्रमुखों की नियुक्ति करने का कार्य राष्ट्रपति का होता है। वह किसी भी व्यक्ति की उमर कैद या फाँसी की सजा को निलंबित या परिहार कर सकते हैं।










































