काले धन को थामने के लिए 500 और 1000 रु के नोट बंद

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भारत की लगभग 40 प्रतिशत अर्थव्यवस्था छोटे और मध्यम आकार के उद्योगों पर निर्भर है और ये सारे उद्योग मोटे तौर पर नकद लेनदेन पर चलते है। काला धन भारत के विकास में वर्षों से अवरोध बना पड़ा है। विविध सरकारों ने इसे थामने के लिए अलग अलग तरीके अपनाये थे। इनमे से एक महत्त्व पूर्ण निर्णय दो दिन पहले लिया गया है। आइये जानते है क्या है यह निर्णय जो कालेधन को कम कर सकता है। प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी के मंगलवार ( 8 नवंबर, 2016) को एक आश्चर्यजनक कदम ने सबको एकदम से चौंका दिया है। उन्होंने घोषणा की के काले धन और नकली मुद्रा पर शिकंजा कसने के लिए 500 और 1000 के नोटों को बंद कर दिया गया है और सरकार द्वारा इसे आम जनता से कुछ समय के लिए वापिस लिया जायेगा। अस्पतालों में 11 नवंबर तक इन संप्रदायों की मुद्राओं लेने के लिए अनुमति दी जाएगी। हवाई अड्डों पर 5,000 रुपए तक की मुद्रा का आदान-प्रदान करने की व्यवस्था की जाएगी।

अब पुराने नोटों का क्या करें – डाकघरों और बैंकों में 500 से 1000 रुपये के नोटों का आदान-प्रदान करने के लिए सरकार ने 10 नवंबर से 30 दिसंबर तक यानी कि 50 दिन की समय अवधि दी है।अगर कोई व्यक्ति इस समय सीमा के भीतर सभी पुराने नोटों को प्रस्तुत करने में असमर्थ है तो एक घोषणा प्रदान कर 31 मार्च 2017 तक भारतीय रिजर्व बैंक में भी पैसे जमा करवाये जा सकते हैं।

प्रभाव – वर्तमान में RBI के अनुसार कई करोड़ रुपये भारत की अर्थव्यवस्था में काम कर रहे हैं। इनमें से 500 रुपये के नोट मुद्रा व्यापार का 45% है और 1000 रुपये मूल्य के नोटों का 39% हिस्सा है। आईये जानते हैं इस कदम से होने वाले अलग अलग प्रभावो के बारे में :

बाज़ार पर प्रभाव – बाजार विश्लेषकों ने प्रधानमंत्री के इस कदम का स्वागत किया है। उनके अनुसार भारत की अर्थव्यवस्था में सुधार के दृष्टिकोण से देखें तो यह एक बहुत अच्छा उपाय है। मुद्रास्फीति की दर नियंत्रित होगी और यह राजकोषीय घाटे को नियंत्रित करने के लिए भी सहायक होगी। काले धन की मात्रा काफी नीचे आ जाएगी।

आम आदमी पर प्रभाव- बैंकों में लंबी कतारों में खड़ा होकर अपने पुराने नोटों को नए नोटों से बदलवाना होगा। बैंकों और डाकघरों से पैसे निकालने की एक सीमा निश्चित की गयी है तो अगर कोई लेनदेन के लिए इलेक्ट्रॉनिक हस्तांतरण या एटीएम का प्रयोग नहीं करता तो बाजार से चीजों को खरीदने में बड़ी समस्या होगी। शहरों के मुकाबले गाँव में रहने वाले व्यक्तियों को ज्यादा दिक्कत होने की संभावना है।

काले धन वालों पर प्रभाव- आतंकवादियों की गतिविधियों में ज्यादा धन नहीं निवेश हो पायेगा। इसके अलावा अचल संपत्ति के कारोबार में जहां काले धन का प्रयोग थोक में होता है वहां वो बंद होगा। स्कूलों और अन्य संस्थानों के रिश्वत लेने के अब परिणामों का सामना करना होगा। और भी अन्य रूप में काला धन इकठा करके रखने वाले लोग सकते में आएंगे।

सब कुछ नियंत्रित होने तक क्या करें – इस समय सबसे आम और आसान विकल्प है क्रेडिट, डेबिट और प्रीपेड कार्ड का इस्तेमाल। सभी लेनदेन के लिए दूसरा विकल्प है इलेक्ट्रॉनिक रूप से एक दूसरे के बैंक खाते से पैसे के हस्तांतरण करना। इ- वॉलेट जो आजकल काफी लोकप्रिय है भी प्रयोग कर सकते हैं , इसमें अपने खाते से पैसे प्रीलोड करके सेवाओ के लिए भुगतान किया जा सकता है। और एकीकृत भुगतान इंटरफेस (UPI) प्रणाली जिसे एनपीसीआई द्वारा शुरू किया गया उसके द्वारा भी बैंक खातों पर तत्काल लेनदेन की अनुमति है।

नए नोटों की उपलब्धता – 500 और 2000 के नए नोटों का 10 नवंबर को प्रक्षेपण किया जायेगा। रिजर्व बैंक और वित्त मंत्रालय में इसके लिए कंट्रोल रूम बनाये गए हैं ताकि सही तरह से इस काम को अंजाम दिया जा सके।

काले धन पर अंकुश लगाने के लिए ये उद्देश्य एक क्रांतिकारी कदम हो सकता है। इस निर्णय को सफल होने के लिए जरुरी है कि 2000 रूपये के नोटों के लेनदेन पर निगरानी रखी जाए। इस निर्णय से देश में पड़े काले धन को उजागर कर सकते है लेकिन देश के बाहर के काले धन को देश में वापिस नहीं लाया जा सकता। देखना अब ये है कि बड़े स्तर पर काले धन रखने वाले इस कदम से कितना प्रभावित होते हैं।

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