माननीय राष्ट्रपति श्री प्रणव मुखर्जी ने 11 दिसंबर को अपने जन्मदिन के मौके पर राष्ट्रपति भवन में “100 मिलियन के लिए 100 मिलियन” अभियान का एलान किया। यह घोषणा “पुरस्कृत और बच्चों के लिए नेता शिखर सम्मेलन” के समापन समारोह के दरमियान की गई। यह अभियान नोबल पुरस्कार विजेता कैलाश सत्यार्थी की सोच है और इसका आयोजन उन्हीं की संस्था “कैलाश सत्यार्थी चिल्ड्रन फाउंडेशन” द्वारा किया गया था।
इस मौके पर राष्ट्रपति जी ने बताया कि दुनिया में विज्ञान की इतनी तरक्की के बावजूद करीब 100 मिलियन बच्चे स्कूल नहीं जा पाते। वे बचपन का आनंद नहीं ले पाते और उनका कई प्रकार से शोषण किया जाता है। यह समस्या अल्प विकसित देशों में और भी गंभीर है। भारत भी इससे दूर नहीं रह सका है। एक अच्छे भविष्य के लिए इस समस्या का तुरंत समाधान करना जरुरी है। इसका सबसे अच्छा समाधान यही होगा कि जो बच्चे इन समस्याओं से पीड़ित है उन्हें स्वयं उठकर खुद की और अन्य पीड़ितों की सहायता करनी होगी। यही विचार इस अभियान की नींव है !
अभियान के मुख्य मुद्दे:
- इस अभियान का मुख्य उद्देश्य 100 मिलियन बच्चों को दुनिया के अन्य वंचित बच्चों की मदद लिए प्रोत्साहित करना है।
- इस अभियान के अनुसार हर बच्चे को मूल अधिकार-जैसे कि सुरक्षा, स्वतंत्रता और पढाई करने का मौका मिले उसके लिए बढ़ावा दिया जाएगा।
- करीब 100 बच्चों को अन्य 100 वंचित बच्चों के लिए आवाज़ उठाने के लिए प्रोत्साहित किया जाएगा । इससे आगे जाकर बच्चों के लिए एक अच्छे समाज का निर्माण होगा।
- दिल्ली के राष्ट्रपति भवन में “पुरस्कृत और बच्चों के लिए नेता शिखर सम्मेलन” का आयोजन किया गया था। इस सम्मेलन में 25 आदर्श पुरस्कार विजेता और नेताओं को एक स्टेज पर इकठ्ठा किया गया था। इस सम्मेलन में कई विचारक, UN के प्रतिनिधि, बाल नेता, व्यापारी और शिक्षक भी शामिल थे।
- राष्ट्रपति जी ने यह भी बताया कि भारत में दुनिया की सबसे बड़ी बच्चों की आबादी है। इस लिए इस अभियान का आरंभ भारत से करना एक सही निर्णय है। उन्होंने उम्मीद जताई है कि अगले 5 सालों में दुनिया भर में बच्चों की जिंदगी में बड़ा सुधार आ सकेगा और अभियान सफल रहेगा।