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कहानी भारतीय हॉकी की ओलम्पिक यात्रा की

दोस्तों 5 अगस्त 2021 को जब भारतीय हॉकी टीम जर्मनी के साथ ब्रॉन्ज़ मेडल के लिए खेल रही थी। तब पूरे देश की नजर टीवी स्क्रीन पर गढ़ी थी और सभी के ज़ेहन मे एक ही गीत गूंज रहा था – “चक दे, चक दे इंडिया”। मैं यक़ीन के साथ कह सकता हूँ कि भारतीय टीम की जर्मनी को हराकर ब्रॉन्ज़ पदक जीतने की ख़ुशी, उसके ओलम्पिक मे गोल्ड पदक जीतने सरीख़ी ही रही होगी। आज के इस लेख मे मैं भारत हॉकी के उस स्वर्णिम इतिहास को आपके सामने रखने जा रहा हूँ , जिसने भारत को विश्व पटल पर पहचान दिलाने मे महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी। मैं दावे के साथ कह सकता हूँ कि आज आपको अपने इस प्रश्न का उत्तर तो अवश्य मिल जायेगा आखिर भारत का राष्ट्रीय खेल “हॉकी” क्यों हैं। साथ मैं जानेंगे कि कैसे ओलम्पिक मे धन एकत्रित करके पहुंचने वाला यह देश स्वर्ण जीतकर चमत्कार करता है। तो चलिए दोस्तों शुरू करते हैं आज का यह लेख “कहानी भारतीय हॉकी की ओलम्पिक यात्रा की “

इस लेख मे हम आपके लिए लाये हैं –

ऐसे शुरू हुआ भारतीय हॉकी का ओलम्पिक सफर

जब ब्रिटेन को ओलम्पिक से लेना पड़ा था नाम वापिस

ऐसे लिखा गया 1928, एम्स्टर्डम ओलम्पिक का स्वर्णिम इतिहास

1932 लॉस एंजिलिस ओलंपिक का सफर

कहानी बर्लिन ओलम्पिक 1936 की

1956 मेलबर्न ओलम्पिक में लगाया स्वर्ण का छक्का

1964 टोक्यो ओलम्पिक में फिर से की स्वर्णिम वापसी

1980 मॉस्को ओलम्पिक में 8वी बार बने हॉकी के बेताज बादशाह

2020 टोक्यो ओलम्पिक में की कांस्य के साथ वापसी

खेल के प्रति हमेशा निष्ठावान एवं भेदभाव रहित रहे ब्रिटिश

कोलकाता की हमेशा ऋणी रहेगी भारतीय हॉकी

ओलम्पिक के सम्बन्ध मे अधिक जानकारी के लिए आप हमारे यह लेख भी पढ़े।

कौन हैं नीरज चोपड़ा?

टोक्यो ओलम्पिक 2020 और ओलम्पिक इतिहास

ओलम्पिक जीतने वाली भारतीय महिलाएं

कौन हैं लवलीना बोरगोहेन?

चलतेचलते

दोस्तों मुझे उम्मीद है कि हमारे इस लेख से आपको कम से कम इस प्रश्न का उत्तर तो अवश्य मिल गया होगा कि आखिर क्यों हमारा राष्ट्रीय खेल हॉकी है। हमे गर्व है हमारे देश ने विश्व हॉकी ओलम्पिक मे 28 साल तक अजेय रहने का रिकॉर्ड बनाया। हमारे देश ने हॉकी मे सर्वाधिक 8 गोल्ड मेडल का रिकॉर्ड बनाया है। हमारे देश ने विश्व हॉकी को ध्यानचंद जैसे महान खिलाड़ी दिये, जिनके हॉकी खेल की दुनिया दीवानी थी उन्हें हॉकी का जादूगर कहा जाता था। अब भारत सरकार ने खेल रत्न पुरस्कारों का नाम मेजर ध्यानचंद खेल रत्न पुरस्कार रखने का निर्णय किया है। इस उम्मीद के साथ की निकट भविष्य मे भारतीय हॉकी के सुनहरे दिन फिर से लौटेंगे और हम दुनिया से गर्व से कह सकेंगे लीजेंड इस बैक”, आज का यह लेख यही समाप्त करते हैं। धन्यवाद!