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आईएनएस ध्रुव (INS Dhruv) – भारत का पहला परमाणु मिसाइल ट्रैकिंग जहाज

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भारत ने समुद्र में ऐतिहासिक उपलब्धी हासिल करते हुए, देश का पहला परमाणु मिसाइल ट्रैकिंग जहाज आईएनएस ध्रुव विशाखापट्टनम में नौसेना को समर्पित किया है। इस उप्लब्धि ने भारत को विश्व की उन पांच महाशक्तियों की कतार में लाकर खड़ा कर दिया है जिनके पास यह क्षमता है। राष्ट्र की इस उप्लब्धि के गवाह बने देश के राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार (आईएनएस) अजित डोभाल, जिन्होंने 10 सितम्बर 2021 को आईएनएस ध्रुव देश को समर्पित किया है। आज के इस अंक में हम देश के पहले परमाणु मिसाइल ट्रैकिंग जहाज आईएनएस ध्रुव के बारे मे ही बात करने वाले हैं। तो चलिए दोस्तों शुरू करते है आज का यह लेख।

आईएनएस ध्रुव (INS Dhruv)

आईएनएस ध्रुव की खासियत 

केवल वीटो देशों के पास ही थी यह पावर

हमारे देश के लिए बहुत गर्व की बात है की हमारे देश के होनहार वैज्ञानिकों और इंजीनियरों ने सैटेलाइट और बैलेस्टिक मिसाइल विशेषता वाला बचाव अस्त्र बना दिया है। अभी तक इस तरह का जहाज केवल संयुक्त राष्ट्र संघ में वीटो पावर रखने वाले देशों अमेरिका, रूस, चीन,ब्रिटैन तथा फ्रांस के पास ही है। भारत ने भी अब इस क्षेत्र में विशेषज्ञता हासिल कर ली है। यह विशेषज्ञता भारत के संयुक्त राष्ट्र संघ में स्थायी सदस्यता के दावे को मजबूत करती है।

भारत के लिए आईएनएस ध्रुव का क्या महत्व है?

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बैलिस्टिक मिसाइल के खतरे से ऐसे  बचाएगा आईएनएस ध्रुव

आईएनएस ध्रुव देश को बैलेस्टिक मिसाइलों के खतरों से बचाएगा। बैलेस्टिक मिसाइलें एक परवलयाकार मार्ग का अनुसरण करती हुई अपने लक्ष्य तक पहुँचती हैं। तात्पर्य यह है कि, छोड़े जाने के बाद बैलेस्टिक मिसाइल हवा में एक निश्चित अधिकतम ऊंचाई तक जाती हैं उसके बाद वहां से अपने लक्ष्य की तरफ गिरती चली जाती हैं। जैसे ही कोई बैलेस्टिक मिसाइल लांच होगी उसकी स्थिति का पता सैटेलाइट के द्वारा पता लग जायेगा, इसके बाद आईएनएस ध्रुव में लगा राडार उसकी गति, दिशा और दूरी को ट्रेस करके तुरंत सारी जानकारी सैटेलाइट के माध्यम से हमारी सुरक्षा प्रणाली को भेजेगा। इसके पश्चात् सुरक्षा प्रणाली दुश्मन मिसाइल के ख़िलाफ़ हमला बोल कर उसको नाकाम करेंगी। आईएनएस ध्रुव भारत की समुद्री तथा सतही दोनों क्षेत्र की रक्षा में सक्षम है। इसके साथ ही आईएनएस ध्रुव समुद्र क्षेत्र की मैपिंग करके यहाँ दुश्मन देश की पनडुब्बियों की स्थिति का पता लगाने की क्षमता भी रखता है। इस तकनीक से हम अपने देश के नागरिक और सैन्य जहाजों का बचाव कर सकते हैं।

चलते चलते

रक्षा क्षेत्र में भारत के नित-रोज आगे बढ़ते कदम देश की सुरक्षा को अभेद्य बनाते जा रहे हैं। इसी वर्ष भारत ने आकाश नेक्स्ट जनरेशन मिसाइल का परीक्षण किया जो तेजी से उड़ने वाले ऑब्जेक्ट्स को निशाना बनाने वाली मिसाइल है। इसके बाद DRDO ने एडवांस्ड चेफ टेक्नोलॉजी को प्रस्तुत किया जो विमानों को दुश्मन देश के राडार से बचाने में सक्षम है। हाल ही में, वायु सेना द्वारा पाकिस्तान की सीमा के निकट बाड़मेर राष्ट्रीय राजमार्ग पर लड़ाकू विमानों की सफलतापूर्वक इमरजेंसी लैंडिंग करायी गयी और अब भारत ने  एकदम से आईएनएस ध्रुव का जलावतरण करके रणनैतिक रूप से अपना कद ऊँचा किया है। सबसे बड़ी बात यह है की भारत रक्षा क्षेत्र में आत्मनिर्भर भारत की ओर बढ़ता जा रहा है। इन्ही शुभकामनाओं के साथ कि देश नित-रोज नये आयामों को छूता चला जाये , हम आज का यह लेख यहीं समाप्त करते हैं। जय हिन्द !