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Bihar Election 2020: आगामी बिहार चुनाव की हर बारीकी पर रहनी चाहिए आपकी नज़र



सुनो भाई घुड़सवार, मगध किधर है,मगध से आया हूँ

मगध मुझे जाना है

किधर मुड़ूँ, उत्तर के दक्षिण या पूर्व के पश्चिम में?

लो, वह दिखाई पड़ा मगध,लो, वह अदृश्य

श्रीकांत वर्मा ने जब ये पंक्तियां कहीं थीं तो इसी के साथ उन्होंने ये भी कहा था कि बंधुओं ये वो मगध नहीं है। जिसे तुमने किताबों में पढ़ा था बल्कि ये वो मगध है जिसे तुम मेरी तरह ही गवां चुके हो।

जी हां, आज आपसे बिहार की बात होगी, बिहार विधानसभा चुनाव 2020 (Bihar Elections 2020) की बात होगी। आसमान में हैलीकॉप्टर उड़ रहे हैं और नीचे किसान देख रहा है। मतलब साफ़ है कि चुनाव की तारीखों का ऐलान भी हो चुका है।

आपको बता दें कि बिहार (Bihar) में होने वाले विधानसभा चुनाव (Bihar Election Dates announce) के लिए चुनाव आयोग ने तारीखों पर मुहर लगा दी है। इस बार बिहार में तीन चरणों में मतदान होंगे।

आज के दौर में बिहार की सियासत को समझने वालों के भीतर सबसे बड़ा मौजूद सवाल यही है कि इस बार बिहार में किसकी सरकार बनेगी?

इस लेख के मुख्य बिंदु-

किन-किन तारीखों में होंगे मतदान?

 आपको अवगत करा दें कि बिहार विधानसभा चुनाव 2020 में पहले चरण का मतदान 28 अक्टूबर को होगा। दूसरे चरण का 3 नवंबर और तीसरे चरण का मतदान 7 नवंबर को होगा। इसी के साथ 10 नवंबर को सभी प्रत्याशियों के किस्मत का फैसला भी हो जाएगा।

चुनाव की तारीखों के इस खेल को भी समझिये

एक नज़र इस तस्वीर पर भी

एक नज़र में साल 2015 बिहार विधानसभा चुनाव की तस्वीर

सियासत का रुख उस दौर में ऐसा था कि नीतीश कुमार की अगुआई में जदयू की लालू यादव की पार्टी राष्ट्रीय जनता दल से दोस्ती अपने शबाब पर थी। दोनों पार्टियों ने साथ में चुनाव लड़ा था। उस दौर में जदयू, राजद, कांग्रेस और अन्य दलों को मिलाकर एक महागठबंधन का निर्माण किया गया था। उस  महागठबंधन का सीधा मुकाबला मोदी लहर से था।

फिर आया 2017 और पूरी तस्वीर ही बदल गई थी

कहा जाता है कि राजनीति में ना ही कोई किसी का दोस्त होता है और ना ही दुश्मन। समय बदलता है और कुर्सी के लिए सियासी रिश्ते भी बदल जाते हैं। साल 2017 आते-आते बिहार ने भी कुछ ऐसा ही देखा था।

बिहार चुनाव 2020 के गठबंधन की फिल्म कुछ ऐसी है

रंगमंच सज चुका है। नेता अपने-अपने किरदार में आ चुके हैं। कोई किसान बना हुआ दिखाई दे रहा है तो कोई गरीबों का मसीहा बन रहा है। इसलिए इस चुनावी माहौल को फिल्म का ही दर्जा दिया जा सकता है।

एक चर्चित चेहरा पुष्पम प्रिया चौधरी का भी है

इस बार के बिहार के विधानसभा चुनाव में पुष्पम प्रिया चौधरी कितना बदलाव ला पाएंगी। ये तो कहना सही नहीं होगा लेकिन इन्होने मीडिया की सुर्खियाँ तो काफी ज्यादा बटोरी हैं।

15 सालों से सत्ता में हैं नीतीश कुमार

बिहार का आगामी विधानसभा चुनाव कई मायनों में ख़ास है। इस बार के चुनाव में लालू यादव का चुनावी तड़का भी देखने को नहीं मिलेगा। पिछली बार के चुनाव में लालू यादव ही नीतीश कुमार को महागठबंधन में साथ लाये थे ।

सरांश

केंद्र की सियासत में भी बिहार के महत्त्व की बात सबको पता है। वो दौर भी लोगों को याद है जब जय प्रकाश नारायण के आन्दोलन ने केंद्र की कांग्रेस सरकार की जड़ों को ध्वस्त कर दिया था। उस आन्दोलन की शुरुआत भी बिहार से ही हुई थी। अगर लोकसभा 2019 की बात करें तो एनडीए ने 40 में से 39 सीटों को अपने नाम किया था। अब सवाल उसके सामने वही खड़ा है कि क्या वो अपने प्रदर्शन को दोहरा पाएगी? कुछ भी हो इन सब सवालों का जवाब आने वाली 10 नवंबर को मिल ही जाएगा।