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हिमालय दिवस 2021 | Himalaya Diwas 2021

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Himalaya Diwas 2021: भारत का गौरव हिमालय, देश में आस्था, संस्कृति और पर्यटन का केंद्र है। हिमालय स्वयं में अनेकों नदियों, हिमनदों, जड़ी-बूटियों, गुफाओं कन्दराओं, जैव विविधताओं, वनस्पतियों और अनगिनत रहस्यों को समेटे हुए है। हिमालय उत्तर भारत की भौगोलिक परिस्थितियों को जीवन योग्य बनाने में बहुत बड़ा किरदार निभाता है। हिमालय का हमारे जीवन में महत्व और उसके उपकारों को उजागर करने के लिए प्रत्येक वर्ष 9 सितम्बर को उत्तराखण्ड राज्य में हिमालय दिवस मनाया जाता है। इस वर्ष राजधानी दिल्ली में भी राष्ट्रीय स्वच्छ गंगा मिशन ने नौला फाउंडेशन के सहयोग से हिमालय दिवस का आयोजन किया। इस अवसर पर पर्यावरणविद  पदमभूषण अनिल जोशी जी ने एक बात कही है, कि हिमालय को पालते केवल हिमालय के वासी हैं और हिमालय का उपभोग सभी करते हैं। उनकी इस बात पर हिमालय में बढ़ते मानवीय हस्तक्षेप तथा ग्लोबल वार्मिंग से उपजे खतरों की स्पष्ट छाप देखी जा सकती है। आज के इस लेख में हम हिमालय दिवस के महत्व तथा हिमालय के खतरों के विषय में विस्तार से बात करेंगे। चलिए शुरू करते है आज का लेख हिमालय दिवस 2021

हिमालय दिवस 2021

उत्तराखण्ड राज्य में प्रत्येक वर्ष 9 सितम्बर को हिमालय दिवस का आयोजन किया जाता है। हिमालय दिवस मनाये जाने का मुख्य उद्देश्य हिमालय की महत्वता को लोगों के बीच पहुँचाना है। हिमालय मे मानवीय क्रियाकलापों तथा ग्लोबल वार्मिंग से अनेक प्रकार के खतरों का जन्म हो चुका है। हिमालय के हिमनद, जीव जंतु, वनस्पति आदि इन खतरों का प्रत्यक्ष शिकार हुए हैं। हिमालय दिवस को मनाये जाने का प्रस्ताव जून 2010 में लाया गया था। इसको मनाये जाने की शुरुआत साल 2014 में तात्कालिक मुख्यमंत्री हरीश रावत ने की थी।

हिमालय दिवस 2021 थीम

हर वर्ष हिमालय दिवस पर एक थीम जारी की जाती है, जिससे की उस वर्ष के कार्यों को एक दिशा मिले इसी क्रम में इस वर्ष भी थीम जारी की गयी है। हिमालय दिवस 2021 की थीम ‘हिमालय का योगदान और हमारी जिम्मेदारियां’ रखी गयी है। इस वर्ष की थीम से स्पष्ट है की हमें हिमालय के प्रति अपनी जिम्मेदारियों का निर्वहन करना है। हिमालय मे किसी भी प्रकार के अप्राकृतिक हस्तक्षेप से परहेज करना है। देश दुनिया का ध्यान हिमालय की सुरक्षा तथा संरक्षण पर खींचना है।

हिमालय का महत्व

हिमालय संकट मे है

चलते चलते

उत्तराखण्ड राज्य ने अविभाजित उत्तर-प्रदेश के समय से ही हिमालय के संरक्षण के लिए कदम उठाये हैं। दुनिया भर मे वर्षों के संरक्षण के लिए प्रसिद्ध चिपको आंदोलन’ उत्तराखण्ड राज्य मे ही शुरू हुआ था। चिपको आंदोलन हिमालय के वृक्षों के संरक्षण के लिए उठाया गया कदम था। गौरा देवी, सुंदरलाल बहुगुणा, चंडीप्रसाद भट्ट आदि इस आंदोलन के प्रमुख चेहरे थे। सुंदरलाल बहुगुणा के हिमालय संरक्षण के लिए किये कार्यों के लिए उन्हें हिमालय पुत्र या पर्वत पुत्र के नाम से जाना जाता है। उत्तराखण्ड राज्य ने 9 सितम्बर 2021 मे सुंदरलाल बहुगुणा के नाम पर हिमालयी  पर्यावरण संरक्षण पुरस्कार दिए जाने की घोषणा की है। राज्य मे हिमालयी पर्वतों को देवताओं की संज्ञा दी जाती है तथा इनकी पूजा की जाती है। नंदादेवी, दूनागिरी, गंगोत्री, यमुनोत्री, बद्रीनाथ , केदारनाथ आदि पर्वत और हिमनदों को देवतुल्य माना जाता है तथा ये राज्य की हिमालय के प्रति आस्था के प्रमुख केंद्र हैं। इस उम्मीद के साथ कि हिमालय का योगदान और हमारी जिम्मेदारियां’ थीम को सदैव ध्यान मे रखकर हम सब अपनी जिम्मेदारियों का निर्वहन करंगे। हम इस लेख को यहीं समाप्त करते हैं।  जय हिन्द , जय हिमालय !