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Chandra Shekhar: विद्रोही तेवर के धनि थे भारत के आठवें प्रधानमंत्री “चन्द्रशेखर”



“जिसको गरीबी का खुद अनुभव नहीं, वो गरीबी मिटाने का काम नहीं कर सकता है. इस देश में जिन लोगों ने समाजवाद का नारा दिया और जिन्होंने सत्ता का भोग किया है. उन्होंने खुद कभी गरीबी का अनुभव नहीं किया था. उसकी पीड़ा को नहीं समझा था.”

ये वाक्त्व्य है अपने बागी और विद्रोही तेवर के लिए मशहूर भारत के आठवें प्रधानमंत्री चन्द्रशेखर के, उन्होंने अपनी जिंदगी में कभी लाल बत्ती नहीं ली. लगातार मंत्री के पद ठुकराते रहे. वो सिर्फ और सिर्फ सांसद रहे और जब बने तो सीधे इस देश के प्रधानमंत्री बने. आज इस लेख में बात होगी बागी बलिया के बाबूसाहब की यानी भारत के आठवें प्रधानमंत्री चन्द्रशेखर की.

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बलिया के बाबूसाहब के सियासी किस्सों की शुरुआत करते हैं-

इस लेख में आपको उनके किस्से और उनकी शख्सियत की जानकारी भी मिलेगी.

इंदिरा के ख़ास तो थे लेकिन प्रधानमंत्री के सामने कह दिया था कि या तो कांग्रेस समाजवाद की तरफ चलेगी या फिर टूट जायेगी-

साल 1977 के चुनाव के बाद-

11 नवंबर 1990 को उत्तरप्रदेश के बलिया जिले में पैदा हुए चन्द्रशेखर का सपना पूरा हो गया. बेबाक चन्द्रशेखर पूरी जिंदगी धारा के प्रवाह के उलट बहते रहे. बेबाकी ऐसी थी कि खुले-आम कह दिया करते थे कि जिन्हें आप माफिया कहते हैं. वो मेरे दोस्त हैं.

राजीव गाँधी ने ऐसे लिया था चन्द्रशेखर सरकार से समर्थन वापस-

आज के दौर में चन्द्रशेखर को क्यों याद किया जाना चाहिए?

फैक्ट्स-

सरांश

आपातकाल के दौरान जब चन्द्रशेखर जेल में थे. तब उन्होंने एक डायरी लिखी थी. उस डायरी का नाम ‘मेरी जेल डायरी’ है. बाद में इसे एक किताब के रूप में प्रकाशित भी किया गया था. भारतीय सियासत की एक ऐसी शख्सियत जिससे प्रधानमंत्री डरा करती थीं. तमाम नेताओं के पसीने छूट जाते थे. जिसने जीवन में कभी भी अपने युवा तुर्क अंदाज़ से दगा नहीं किया था. कुछ ऐसे ही थे इस देश के आठवें प्रधानमंत्री “चन्द्रशेखर”.