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जब Aurangzeb ने करवाई अपनी ताजपोशी



Aurangzeb जिसका पूरा नाम अबुल मुज़फ़्फ़र मुहिउद्दीन मुहम्मद औरंगज़ेब आलमगीर था‚ भारत पर शासन करने वाला वह छठा मुगल शासक था। आलमगीर या औरंगजेब का शाब्दिक अर्थ विश्व विजेता होता है। ये दोनों ही शाही नाम हैं‚ जिसे जनता द्वारा प्रदत्त माना जाता है। वर्ष 1659 में औरंगजेब ने अपनी ताजपोशी करवाई थी और 1707 तक मृत्युपर्यंत उसने राज किया।

इस लेख में आप जानेंगे

औरंगजेब का लक्ष्य

बना दक्कन का सूबेदार

फारस के सफवियों से संघर्ष

Aurangzeb ने कंधार पर नियंत्रण पाने की चाहत में फारस के सफवियों से कई बार लोहा लिया‚ मगर हर बार उसे हार ही नसीब हुई। साथ ही अपने पिता शाहजहां की उपेक्षा का भी औरंगजेब शिकार हो गया था। दक्कन के सूबेदार की जिम्मेवारी एक बार फिर से औरंगजेब को 1652 में मिली और इस बार वह बीजापुर व गोलकोंडा को जीतने के बिल्कुल करीब पहुंच गया‚ लेकिन ऐन वक्त पर सेना को शाहजहां ने वापस बुला लिया।

औरंगजेब का सत्ता के लिए संघर्ष

औरंगजेब को मालूम था कि दारा शिकोह के कहने पर शाहजहां ने ऐसा किया है। अंदर–ही–अंदर वह गुस्से से उबल रहा था। फिर जब 1652 में गंभीर रूप से शाहजहां बीमार हुआ‚ तो दारा शिकोह‚ शाह भुजा व औरंगजेब के बीच सत्ता को लेकर संघर्ष की शुरुआत हो गई। जहां खुद को बंगाल का राज्यपाल घोषित करने वाले शाह भुजा ने बर्मा के अरकन में अपने बचाव के लिए शरण ले लिया‚ वहीं गद्दारी का आरोप लगाते हुए दारा शिकोह को फांसी पर लटका दिय गया।

Mughal Emperor के तौर पर औरंगजेब की ताजपोशी

युद्ध‚ विद्रोह और दमन

संघर्षों में यूं उलझा रहा Mughal Emperor Aurangzeb

औरंगजेब की धार्मिक नीतियां

कुरान के आधार पर औरंगजेब अपना शासन चला रहा था और यह इस बात की पुष्टि करता है कि इस्लाम धर्म के महत्व को उसने स्वीकारा था। गाना–बजाना पर उसने रोक लगा दी थी। नौरोज के त्योहार के साथ कलमा खुदवाने और भांग की खेती को भी उसने प्रतिबंधित कर दिया था। दोबारा तीर्थ कर उसने लगाना शुरू कर दिया था। औरंगजेब ने जहां अपने शासनकाल के 11वें साल में झरोखा दर्शन को प्रतिबंधित कर दिया था‚ वहीं 12वें साल में तुलादान प्रथा को भी रोक दिया था।

Aurangzeb की death

अपने शासनकाल के अंतिम 25 वर्षों के दौरान औरंगजेब प्रायः अपनी राजधानी से दूर ही रहा था। लगभग 50 वर्षों तक शासन करने वाले औरंगजेब की मृत्यु 3 मार्च‚ 1707 को अहमदनगर में हो गई थी। उसे दौलताबाद में फ़कीर बुरुहानुद्दीन की क़ब्र के अहाते में दफनाया गया था।

चलते–चलते

Aurangzeb की नीतियां ही ऐसी थीं‚ जिनकी वजह से उसने बहुत से विरोधी पैदा कर लिये थे। इसी वजह से औरंगजेब की वजह से Mughal Empire के पतन की शुरुआत हो गई। उसकी मौत के बाद मुगल सल्तनत को सिमटने में ज्यादा देर नहीं लगी।