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NASA Launches Apollo 7: पहले अपोलो मिशन की कहानी जिसके बाद ‘चाँद’ पर एक कारवां लिखा गया



अगर ‘मून मिशन’ या ‘स्पेस मिशन’ की बात होती है तो एक सामान्य ज्ञान का सवाल निकलकर सामने आता है कि चाँद में जाने वाला पहला भारतीय कौन था? काफी ज्यादा लोग इसका जवाब देते हैं राकेश शर्मा। लेकिन आपको बता दें कि ये जवाब गलत है। जी हां,आपने सही सुना ये जवाब गलत है।

आपको बता दें कि गूगल में सर्च भी करेंगे तो आपके पास गलत जानकारी ही निकलकर सामने आएगी। हम ये तो नहीं कह सकते कि ये गलत जानकारी आपके पास कैसे आ रही है? लेकिन फिलहाल इसका सही जवाब आपको ज़रूर बता सकते हैं।

बता दें कि राकेश शर्मा चाँद में नहीं बल्कि अन्तरिक्ष में जाने वाले पहले और इकलौते भारतीय हैं। जहाँ तक चाँद की बात है तो वहां पर अभी तक किसी भी भारतीय ने कदम नहीं रखा है। भारतीय से मतलब है जिसके पास भारतीय नागरिकता हो, इसी स्पेस के सफर में हमें कल्पना चावला और सुनीता विलियम्स भी नज़र आती हैं। लेकिन आपको बता दें कि कल्पना चावला का जन्म भारत में हुआ था लेकिन वो अमेरिकी नागरिक थीं। वहीं सुनीता विलियम्स का जन्म भी अमेरिका में हुआ था और उनके पास नागरिकता भी वहीँ की थी।

यही वजह है कि कल्पना चावला और सुनीता विलियम्स की यूनिफार्म में हमें अमेरिका का झंडा नजर आता है और राकेश शर्मा की यूनिफार्म में हमें तिरंगा दिखता है।

इस लेख के मुख्य बिंदु-

अगर अब हम नासा के स्पेस और मून मिशन (Apollo 7 NASA mission) की बात करेंगे तो हमें याद आएगा अपोलो-7 (Apollo 7 mission) और तारीख याद आएगी 11 अक्टूबर साल 1968 (History of 11th October)

आपको अवगत करा दें कि 11 अक्टूबर 1968 (History of 11th October) को ही नासा ने पहला क्रू अपोलो स्पेस मिशन को लॉन्च किया था।

 सबसे पहले जान लेते हैं कि क्या है NASA?

नासा (NASA) का फुल फॉर्म नैशनल एयरोनॉटिक्स एंड स्पेस एडमिनिस्ट्रेशन होता है। जिसे सरकारी अमेरिकी अंतरिक्ष संस्थान के रूप में जाना जाता है।

क्या था नासा का अपोलो-7 (NASA Apollo 7) मिशन?

11 अक्टूबर 1968 को अपोलो-7 (Apollo 7 the NASA mission)  संयुक्त राज्य अमेरिका द्वारा लॉन्च किया गया मानव अंतरिक्ष यान मिशन था। बता दें कि यह संयुक्त राज्य अमेरिका के अपोलो कार्यक्रम में अंतरिक्ष में एक दल को ले जाने वाला पहला मिशन था।

जानिये अपोलो मिशन के सभी ज़रूरी फैक्ट्स

अपोलो 1-  27 जनवरी 1967 को प्री-लॉन्च परीक्षण के दौरान ही क्रू एरिया में आग लगने से मिशन बंद हो गया था।

अपोलो 7- वॉल्टर शिरा, वॉल्टर कनिंगघम और डॉन आइसल को लेकर पहला अपोलो मिशन 11 अक्टूबर 1968 को लॉन्च किया गया था। ये पृथ्वी की ऑर्बिट में 11 दिनों तक रहा था।

अपोलो 8-  21 से 27 दिसम्बर 1968 सैटर्न-5 रॉकेट के जरिये अन्तरिक्ष में भेजा गया था।

अपोलो 9- 13 मार्च 1969 में इसका परिक्षण किया गया था।

अपोलो 10- 18-16 मई 1969 को लूनर मॉड्यूल चाँद की सतह से 16 किलोमीटर पास तक गया था।

अपोलो 11- 24 जुलाई 1969 को ये सम्पन्न हुआ था। इस मिशन के तहत नील आर्मस्ट्रांग, एडविन ‘बज’ एल्ड्रिन और माइकल कॉलिंस ने चाँद की सतह पर कदम रखा था।

अपोलो 12- इस मिशन में चाँद के वातावरण की जांच की गई थी।

अपोलो 13- 11-17 अप्रैल 1970 को ये मिशन सम्पन्न हुआ था। दरअसल इस मिशन की टीम ऑक्सीजन की कमी के कारण चाँद तक नहीं पहुंच सकी थी। ये मिशन विफल हो गया था।

अपोलो 14- इस मिशन पर गई टीम ने करीब 3 किलोमीटर तक चाँद पर चहल कदमी की थी। इसी के साथ उन्होंने वहां पर गोल्फ भी खेला था।

अपोलो 15- 26 जुलाई से 7 अगस्त 1971 तक इस मिशन को अंजाम दिया गया था।

अपोलो 16- 16-27 अप्रैल 1972 को जॉन यंग, चार्ल्स ड्यूक और केन मैटिंग्ली ने नासा के दूसरे रोवर मिशन को अंजाम दिया था।

अपोलो 17- 7 से 19 दिसम्बर 1972 तक में नासा के इस मिशन को अंजाम तक पहुंचाया गया था। इस मिशन के तहत चाँद पर 7 घंटों तक चहलकदमी की गई थी।

अपोलो 18- बजट की कमी के चलते मिशन इसी मोड़ पर खत्म हो चुका था। 25।4 बिलियन का खर्च इस मिशन में आया था।

सरांश

अगर चाँद तक पहुँचने तक की यात्रा का ज़िक्र होगा। तो कुछ तारीखों का भी ज़िक्र होना लाज़मी है। उन्ही तारीखों में से है 2 मई 1945 की तारीख और 25 मई 1961 की तारीख।

आपको अवगत करा दें कि 25 मई 1961 ही वो तारिख थी। जब तब के अमेरिकी तत्कालीन राष्ट्रपति जॉन एफ केनेडी ने वहां की संसद को संबोधित करते हुए कहा था कि इस दशक में अमेरिका इंसान को चंद्रमा में लेकर पहुंच चुका होगा। उसके बाद की सभी तारीखें आज इतिहास में दर्ज हो चुकी है।