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COVID-19 के खिलाफ तीन हथियार Social Distancing, Quarantine और Isolation, जानें इनके बीच का अंतर



कोरोना वायरस के संक्रमण की वजह से होने वाली बीमारी COVID-19 से अब जब WHO के अनुसार दुनियाभर में 15 लाख से अधिक लोग संक्रमित हो चुके हैं ( as of April 14, 2020) और मरने वालों की तादाद भी एक लाख की ओर तेजी से बढ़ती हुई नजर आ रही है, तो वैसे में इसका कोई टीका या दवाई उपलब्ध न होने की दशा में सोशल डिस्टेंसिंग, क्वारंटाइन और आइसोलेशन को ही बचाव का सबसे प्रभावी माध्यम माना जा रहा है। भारत में भी चूंकि स्वास्थ्य मंत्रालय के मुताबिक मरीजों की तादाद अब लगभग साढ़े छ: हजार तक पहुंच चुकी है और मरने वालों की संख्या भी 110 को पार कर गई है, तो ऐसे में यहां भी इन तीनों ही चीजों को बेहद महत्वपूर्ण माना जा रहा है। ऐसे में यहां हम आपको social distancing, quarantine और isolation के बीच के difference के बारे में विस्तार से बता रहे हैं।

क्या है Social Distancing?

सेंटर्स फॉर डिजीज कंट्रोल एंड प्रिवेंटेशन (CDC) के अनुसार सोशल डिस्टेंसिंग को फिजिकल डिस्टेंसिंग भी कह सकते हैं। इसका मतलब यह हुआ कि घर के बाहर अपने और दूसरे लोगों के बीच दूरी बनाये रखना है। Social या Physical Distancing के लिए आपको अन्य लोगों से 6 फीट या दो मीटर की दूरी पर रहना चाहिए। हालांकि, WHO कहता है कि 3 फीट या एक मीटर की दूरी भी चलेगी।

WHO कहता है कि COVID-19 के against fight करने के दौरान effective precautionary measures के तहत सोशल डिस्टेंसिंग इस तरीके से मददगार हो सकता है कि जब कोई खांसता है, छींकता है या फिर ज़ोर से बोलता या हंसता है, तो ऐसे में उसके मुंह से जो ड्रॉपलेट्स निकलकर बाहर आते हैं, उनमें वायरस हो सकते हैं। यदि आप उस व्यक्ति के बेहद नजदीक हैं तो आपके सांस लेने से उस व्यक्ति के कोरोना वायरस से संक्रमित होने की स्थिति में कोरोना वायरस आपके शरीर में पहुंचकर आपको भी अपना शिकार बना सकते हैं।

क्यों बरतें सामाजिक दूरी?

सीडीसी का कहना है कि droplets के जरिये कोरोना वायरस सांस के माध्यम से फेफड़ों तक पहुंचकर इसे संक्रमित कर देते हैं। हालिया शोध के अनुसार जो लोग संक्रमित हो चुके हैं, मगर अब तक उनमें कोविड-19 के लक्षण नहीं दिखे हैं, वे भी महामारी का फैलाव कर सकते हैं। संभव है कि किसी संक्रमित व्यक्ति के ड्राॅपलेट्स किसी सतह पर हों और उस सतह को कोई और छू ले, तो ऐसे में भी कोविड-19 का संक्रमण बढ़ता है। इसलिए infected people व contaminated surfaces के संपर्क में आने से रोकने में सोशल डिस्टेंसिंग महत्वपूर्ण भूमिका अदा करता है।

सोशल डिस्टेंसिंग के टिप्स

सोशल डिस्टेंसिंग के टिप्स CDC के अनुसार निम्नवत् हैं:

क्या है Quarantine?

CDC के मुताबिक क्वारंटाइन का अर्थ है कि यदि कोई व्यक्ति COVID-19 के संक्रमण के शिकार किसी इंसान के संपर्क में आ गया है तो उसे खुद को दूसरों से अलग कर लेना चाहिए। जो लोग self quarantine में होते हैं, वे न केवल दूसरों से अलग हो जाते हैं, बल्कि अपने मूवमेंट पर पाबंदी लगाते हुए न तो घर से बाहर निकलते हैं और न ही उस जगह से जहां वे वर्तमान में मौजूद हैं। हो सकता है कि कोई व्यक्ति बिना जाने ही संक्रमण का शिकार हो गया हो। उदाहरण के लिए यात्रा करते वक्त या फिर अपने समुदाय के लोगों के बीच में। बिना लक्षणों का अनुभव किये भी उनमें coronavirus हो सकता है। क्वारंटाइन से इस संक्रमण को फैलने से रोका जा सकता है।

WHO के अनुसार कैसे करना चाहिए क्वारंटाइन?

Isolation का मतलब

CDC के मुताबिक स्वस्थ लोगों को self-isolate होना चाहिए। जो लोग self isolation में हैं, उन्हें घर में ही रहना चाहिए। घर में यदि कोई बीमार है तो उसे घर के बाकी लोगों से अलग एक अलग कमरे में रहने के लिए चले जाना चाहिए और अलग बाथरूम का भी इस्तेमाल करना चाहिए।

किन्हें होना चाहिए Isolate?

जो लोग खुद को बीमार महसूस कर रहे हैं, उन्हें तत्काल खुद को सेल्फ आइसोलेट कर लेना चाहिए। लक्षण दिखने के तुरंत बाद मेडिकल केयर लेने से पहले सेल्फ आइसोलेशन इसलिए जरूरी होता है कि इस दौरान एक तो लक्षणों पर गौर करके इसकी गंभीरता के अनुसार मेडिकल केयर लेने का निर्णय लिया जा सकता है और दूसरा शरीर की COVID-19 के संक्रमण से सुरक्षा हो सकती है, क्योंकि बीमार लोगों पर यह संक्रमण और तेजी से हमला करता है।

निष्कर्ष

इसमें कोई शक नहीं कि कोरोना वायरस के खिलाफ जंग में social distancing के साथ quarantine और isolation मजबूत हथियार साबित हो सकते हैं, मगर इस दौरान आप distance learning को अपना सकते हैं। साथ ही video call व phone आदि के जरिये दूर रह रहे परिवार के सदस्यों और दोस्तों से भी जुड़े रह सकते हैं।