Open Naukri

पढ़े भारत अभियान (Padhe Bharat Campaign ) से यूं पड़ेगी पढ़ने को आदत

PLAYING x OF y
Track Name
00:00

00:00


Padhe Bharat Campaign यानी कि पढ़े भारत अभियान जो कि हाल ही में 100 दिनों के लिए शुरू किया गया है, यह बच्चों के अंदर पढ़ने की ललक जगाने के उद्देश्य पर केंद्रित है।

पढ़े भारत अभियान जब से गत 1 जनवरी से शुरू हुआ है, तब से इस अभियान की हर और खूब चर्चा है। आखिर चर्चा हो भी क्यों न। यह एक ऐसा अभियान है, जो बाल वाटिका से आठवीं तक के छात्र-छात्राओं के बीच किताबों को पढ़ने की आदत डालने के एक बड़े उद्देश्य से शुरू किया गया है। केंद्रीय शिक्षा मंत्री धर्मेंद्र प्रधान ने इस 100 दिवसीय गठन अभियान की शुरुआत की है। इस अभियान को यदि पूरी गंभीरता से चलाया जाए, तो बच्चों के अंदर पढ़ने की आदत विकसित करने में यह काफी मददगार साबित हो सकता है। इस लेख में हम आपको इस अभियान के बारे में संपूर्ण जानकारी दे रहे हैं।

जानें क्या है पढ़े भारत अभियान? | What is Padhe Bharat Campaign?

Padhe Bharat Campaign में ये हैं शामिल

केंद्रीय शिक्षा मंत्री ने कहा

पढ़े भारत अभियान की शुरुआत करते हुए केंद्रीय शिक्षा मंत्री धर्मेंद्र प्रधान ने अपने ट्वीट में यह लिखा कि किताबें पढ़ना एक स्वस्थ आदत है और संज्ञानात्मक, भाषा एवं सामाजिक कौशल को बेहतर बनाने का यह एक बड़ा ही उत्तम तरीका है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नागरिकों से नियमित रूप से किताबें पढ़ने के आह्वान से प्रेरित होकर जीवन भर मैं किताब पढ़ने की आदत विकसित करने के लिए प्रतिबद्ध हूं।

अपने ट्वीट में केंद्रीय शिक्षा मंत्री धर्मेंद्र प्रधान ने उन पांच पुस्तकों की सूची भी जारी की, जिन पुस्तकों को उन्होंने पढ़ने के लिए चुना है। ये पांच किताबें निम्नवत हैं:

  1. जेम्स क्लीन की एटोमिक हैबिट
  2. रस्किन बांड की ए लिटिल बुक ऑफ हैप्पीनेस
  3. स्वामी विवेकानंद की रिफ्लेक्शन्स
  4. के राधानाथ राय की चिल्का
  5. फकीर मोहन सेनापति की प्रायश्चित

अंतर्राष्ट्रीय मातृभाषा दिवस से जुड़ाव

Padhe Bharat Campaign से मिलते-जुलते अन्य महत्वपूर्ण अभियान

और अंत में

Padhe Bharat Campaign को वास्तव में केंद्रीय शिक्षा मंत्रालय की एक अनूठी पहल कहा जा सकता है, क्योंकि बच्चों के अंदर पठन की आदत विकसित करने की दिशा में यह बड़ा ही कारगर साबित होने वाला है। पढ़े भारत अभियान को सफल बनाने की लिए शिक्षकों के साथ-साथ माता-पिता एवं घर के सदस्यों को भी अपना योगदान इसमें देना पड़ेगा।