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क्या है ‘खुंटकट्टी’ कानून? | What is Khuntkatti Law?

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4 जनवरी 2022 को झारखण्ड राज्य के सिमडेगा जिले के अंतर्गत कोलेबिरा थाना क्षेत्र के बेसराजारा बाजार से मॉबलिंचिंग की एक दर्दनाक घटना सामने आयी , जब भीड़ द्वारा एक स्थानीय युवक संजू प्रधान को पीट-पीटकर जिन्दा आग के हवाले कर दिया गया। मामले की तपतीश करने में पर जो बात सामने निकलकर आयी उसके अनुसार, इलाके में आदिवासी परंपरा का खूंटकट्टी नियम लागू है। कोई भी व्यक्ति खूंटकट्टी पंचायत के बिना पेड़ नहीं काट सकता, संजू बार-बार चेतावनी के बावजूद पेड़ काट रहा था। अतः उसको इसका परिणाम भुगतना पड़ा है। अभी कुछ समय पहले ही झारखण्ड की विधानसभा में एंटी मॉब लिंचिंग बिल पारित हुआ है, बावजूद इसके राज्य में इतनी बड़ी घटना को भीड़ द्वारा अंजाम दे दिया जाता है, जो इस घटना को और भी दुखद बना देता है। आइये जानते हैं, क्या है खुंटकट्टी कानून (Khuntkatti Law)?, और क्यों स्थानीय आदिवासी लोगों द्वारा इसका पालन किया जा रहा है? 

क्या हैखुंटकट्टी’ कानून?| What is Khuntkatti Law?

खुंटकट्टी’ प्रणाली आदिवासी वंश द्वारा संयुक्त स्वामित्व या भूमि का स्वामित्व है। मुंडा आदिवासी आमतौर पर जंगलों को साफ करते थे और भूमि  को खेती के लिए उपयुक्त बनाते थे, जो तब पूरे कबीले के स्वामित्व में होता था, न कि किसी विशेष व्यक्ति का। 

जानिए खुंटकट्टी का इतिहास | History of Khutkatti     

जानिए कौन थे बिरसा मुंडा?

जानिए कैसे सम्बंधित है बिरसा मुंडा खुंटकट्टी से?

ब्रिटिश सरकार के विरुद्ध सरदार आंदोलन, कोल आंदोलन और बिरसा आंदोलन की मूल में भूमि-समस्या है। भूमि के स्वामित्व की आदिवासी धारणा वह नहीं है, जो ईस्ट इंडिया कम्पनी और ब्रिटिश सरकार द्वारा निर्धारित भूमि कानून बताते हैं। आदिवासी पूर्वजों ने जंगल काट कर खेती योग्य जमीन तैयार की थी। इस तरह तैयार की गयी जमीन का मालिक जंगल काटने वाला होता था। चूँकि इस भूमि को तैयार एक व्यक्ति विशेष न करके पूरा आदिवासी समाज करता था अतः इस पर किसी एक का स्वामित्व न होकर पूरे मुंडा समाज का अधिकार होता है, यही खुटकट्टी कानून है। अंग्रेजों ने जब आदिवासी समाज की भूमि को लेकर उसके ऊपर रैयत लगायी तो इसका विरोध सम्पूर्ण आदिवासी समाज ने खुंटकट्टी कानून के आधार पर किया था।

अंत में

खुंटकट्टी’ कानून बिरसा समाज के भूमि स्वामित्व की एक लम्बी लड़ाई का प्रतीक है, यह स्वस्थ समाज में भूमि पर समान अधिकार की अगुवाई करता है , किन्तु वर्तमान समय में इसके उल्लंघन पर भीड़ द्वारा आरोपित व्यक्ति को जिन्दा जला देना, देश में न्यायिक व्यवस्था पर एक प्रश्न चिन्ह है, भारत संघ में सबसे ऊपर संविधान है उसके बनाये कानून के आधार पर ही हम कार्य करते हैं , तो यहाँ पर रहने वाले सभी समुदायों का यह मौलिक कर्तव्य है कि हम संविधान का आदर करें। सिमडेगा में खुंटकट्टी कानून का सहारा लेकर जिस घटना हो अंजाम दिया गया वह निंदनीय है। बिरसा मुंडा के प्रयासों से एक मजबूत आंदोलन के कारण ब्रिटिश हुकूमत आदिवासियों की भूमि हक़ की समस्या को समझ पायी थी। बिरसा मुंडा की पढ़ाई ईसाई मिशन स्कूल से होने के कारण वे अपने अधिकारों के प्रति जागरूक हो पाये तथा भूमि हक़ के खिलाफ इतना बड़ा आंदोलन खड़ा कर पाये। आज के लेख से हमें यह सीखने को मिलता है की समाज को जागरूक होने के लिए अच्छी शिक्षा की बहुत आवश्यकता है। शायद यही कारण रहे की मुंडा समाज आज भी बिरसा मुंडा को “बिरसाईयत” के रूप में फोलो करता है तथा उन्हें भगवान के रूप में पूजता है। दोस्तों आपको हमारा यह लेख कैसा लगा हमे बताये तथा अपने दोस्तों के साथ भी जरूर शेयर करे। धन्यवाद !