Open Naukri

शुंग राजवंश के बारे में वो सबकुछ जो जानना चाहेंगे आप



सम्राट अशोक के शासनकाल में मौर्य वंश उत्कर्ष के शिखर पर पहुंच गया था, लेकिन उनके बाद उनके उत्तराधिकारियों में कोई भी ऐसा नहीं हुआ, जो इस महान साम्राज्य को अक्षुण्ण रख पाता या फिर इसका विस्तार कर पाता। वैसे तो इतिहास में अशोक के उत्तराधिकारियों के बारे में जानकारी बहुत कम है, मगर मौर्य वंश के अंतिम शासक वृहद्रथ के बारे में बताया जाता है कि वह बेहद विलासी प्रवृत्ति का था और अकर्मण्य भी था। बाणभट्ट ने वृहद्रथ के बारे में हर्षचरित में लिखा है कि सेना के प्रदर्शन के बहाने उसके सेनापति पुष्यमित्र शुंग ने उसे बुलाकर छल से सेना के सामने ही उसका वध कर दिया और इस तरह से मौर्य वंश को समाप्त करके शुंग राजवंश की स्थापना कर दी। हालांकि जब 184 ईस्वी पूर्व में शुंग राजसिंहासन पर बैठा, तब तक मगध साम्राज्य काफी हद तक सिमट चुका था। इसमें मुश्किल से मगध के आसपास के कुछ इलाके और दक्षिण में नर्मदा नदी तक कुछ राज्य शामिल थे।

शुंग के बारे में

पुष्यमित्र शुंग का शासनकाल

विदर्भ का युद्ध

यवनों से युद्ध

ऐसी थी पुष्यमित्र की धार्मिक नीति

कुछ महत्वपूर्ण तथ्य

ये हुए पुष्यमित्र शुंग के उत्तराधिकारी

अंत में

पुष्यमित्र शुंग के बारे में यह कहना गलत नहीं होगा कि वह एक कमाल का सेनानी था। सेनापति के तौर पर उसने मौके का फायदा उठाकर राज्य यदि हड़पा तो उसने कुशल शासक के तौर पर इसे संभाला भी। उसके बेटे अग्निमित्र ने भी विदर्भ युद्ध के दौरान, जबकि पोते वसुमित्र ने यवनों से युद्ध के दौरान कमाल की बहादुरी दिखाई। बताएं, इसे पढ़ने के बाद पुष्यमित्र शुंग के बारे में आपके दिमाग में उसकी कैसी तस्वीर बनकर उभरी है?