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शरद पूर्णिमा क्या है और क्यों रखता है ये महत्व?

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शरद पूर्णिमा क्या है, शरद पूर्णिमा का महत्व क्या है और शरद पूर्णिमा की विशेषता क्या है, इन सबके बारे में इस लेख में आप यहां विस्तार से समझने जा रहे हैं।

हिंदू धर्म में पर्व-त्योहारों की कोई कमी नहीं है, लेकिन इन सभी पर्व-त्योहारों में कुछ त्योहार ऐसे होते हैं, जो कुछ विशेष महत्व रखते हैं। इसी तरह का एक त्योहार शरद पूर्णिमा भी है, जो रास पूर्णिमा और कोजागरी पूर्णिमा के नाम से भी जाना जाता है।

शरद पूर्णिमा का महत्व क्या है? यह सवाल आपके मन में उस वक्त जरूर आता होगा, जब यह दिन साल में एक बार आपके सामने आ जाता हो और इस दिन खीर बनाने और खाने की बात आप सुनते हों। इसलिए हम आपको यहां शरद पूर्णिमा से जुड़ी सभी तरह की महत्वपूर्ण और ज्ञानवर्धक जानकारी उपलब्ध करा रहे हैं।

शरद पूर्णिमा क्या है? | What is Sharad Purnima?

शरद पूर्णिमा का महत्व क्या है? | The Significance of Sharad Purnima

शरद पूर्णिमा की विशेषता क्या है? 

शरद पूर्णिमा के पीछे की कथा | Stories Linked to Sharad Purnima

शरद पूर्णिमा को लेकर एक प्रचलित कथा यह है कि एक साहूकार की दोनों बेटियां पूर्णिमा का व्रत रखती थीं, लेकिन जहां बड़ी बेटी पूर्णिमा के व्रत को पूरा करती थी, वहीं छोटी बेटी इसे अधूरा ही छोड़ देती थी। इस वजह से छोटी बेटी के जितने भी बच्चे हुए, पैदा होने के बाद वे मर जाते थे।

पंडितों से पता करने पर उन्होंने छोटी बेटी को बताया कि पूर्णिमा का अधूरा व्रत करने की वजह से ऐसा हुआ है। इसके बाद छोटी बेटी ने पूरे विधि-विधान के साथ जब पूर्णिमा का व्रत पूरा किया, तो उसे एक लड़का तो हुआ, लेकिन बहुत जल्द वह भी मर गया। ऐसे में छोटी बेटी ने अपने मरे हुए बच्चे को एक पीढ़े पर बांध दिया और उस पर कपड़ा रख दिया। उसकी बड़ी बहन आई तो उसने उसे बैठने के लिए वही पीढ़ा दे दिया।

बड़ी बहन के कपड़े के एक हिस्से ने जैसे ही उस बच्चे को स्पर्श किया, उस बच्चे ने रोना शुरू कर दिया। इस पर बड़ी बहन ने छोटी बहन से कहा कि आज तुम मुझे पाप लगवाने वाली थी। तब छोटी बहन ने कहा कि तुम्हारे व्रत के फलों की वजह से यह मरा हुआ मेरा बच्चा जीवित हो गया है। इस तरह से तब से पूर्णिमा का यह व्रत किया जाने लगा।

चलते-चलते

शरद पूर्णिमा क्या है और इसका क्या महत्व है, आपने अब इसे अच्छी तरह से जान लिया है। इसका धार्मिक के साथ वैज्ञानिक महत्व भी खूब है। ऐसा माना जाता है कि पूरे तन-मन से और विधि-विधान के साथ यदि इस दिन मां लक्ष्मी की पूजा की जाए, तो भक्तों को मनचाहे फल की प्राप्ति भी होती है।