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Psychiatry vs Psychology: एक ही फील्ड के दो करियर ऑप्शंस

हम ऐसे दौर में जी रहे हैं, जब भागमभाग हमारी जिंदगी का हिस्सा बन गया है। यही वजह है कि तनाव और अवसाद जैसी बीमारियां आजकल आम हो गई हैं। लोगों का सुख-चैन, हंसना-खेलना इस वजह से दूभर होता जा रहा है। डिप्रेशन इस कदर हावी हो जा रहा है कि आत्महत्या जैसा कदम भी लोग उठा ले रहे हैं। इन सभी चीजों से निजात पाने का लोगों को बस एक ही रास्ता नजर आता है और वह है साइकोलॉजिस्ट या फिर साइकियाट्रिस्ट की सहायता लेना। आपको लगता होगा कि ये दोनों चीजें एक ही हैं, मगर ऐसा है नहीं। इस लेख में हम आपको Psychiatry vs. Psychology के बारे में विस्तार से बता रहे हैं।

साइकियाट्री और साइकोलॉजी, ये दोनों ही अलग-अलग क्षेत्र हैं। दोनों की पढ़ाई भी अलग-अलग होती है। दोनों ही क्षेत्रों में करियर के लिए अपार संभावनाएं मौजूद हैं।

इस लेख में आप पढ़ेंगे:

Psychiatry vs Psychology: प्रमुख बिंदु

साइकोलॉजिस्ट और साइकियाट्रिस्ट की भूमिकाएं

वैसे तो दोनों की ही भूमिकाएं बहुत ही महत्वपूर्ण हैं, मगर आज की तारीख में देखा जाए तो साइकोलॉजिस्ट की भूमिका पहले से ज्यादा महत्वपूर्ण हो गई है। वह इसलिए कि पहले के वर्षों में केवल मानसिक बीमारियों तक ही इनकी भूमिका सीमित मान ली गई थी, किंतु वर्तमान समय में लोग जिस तरह से मन से बीमार होते जा रहे हैं और इसके कारण जिस प्रकार से उनका शरीर बीमारियों का घर बनता जा रहा है, वैसे में Psychology careers का क्षेत्र अब पहले से कहीं व्यापक हो गया है।

स्टूडेंट्स से लेकर पेशेवरों तक को साइकोलॉजिस्ट की जरूरत पड़ रही है। स्टूडेंट्स जहां परीक्षा के वक्त बढ़े हुए तनाव के कारण साइकोलॉजिस्ट की शरण में पहुंच रहे हैं, तो वहीं पेशेवर काम के अत्यधिक दबाव की वजह से पैदा हुए तनाव के कारण।

वास्तव में साइकोलॉजी भी एक तरह का विज्ञान ही है, जिसमें बिना दवाई दिए ही किसी की सोच को दिशा प्रदान कर दी जाती है। साइकोलॉजिस्ट दरअसल काउंसलिंग करके लोगों को थेरेपी उपलब्ध कराते हैं।

वहीं, बात करें साइकियाट्रिस्ट की, तो ये वास्तव में विशेषज्ञ एमबीबीएस डॉक्टर के रूप में होते हैं, जो न केवल थेरेपी मुहैया कराते हैं, अपितु साथ में दवाइयां भी लिखते हैं।

साइकोलॉजिस्ट और साइकियाट्रिस्ट बनने का तरीका

Psychology careers यदि आपको लुभाता है तो आपको उन संस्थानों के बारे में जानकारी हासिल कर लेना चाहिए, जो मनोविज्ञान में स्नातक के साथ स्नातकोत्तर पाठ्यक्रम भी उपलब्ध कराते हैं। यदि आप एक साइकोलॉजिस्ट बनना चाहते हैं, तो इसके लिए यह जरूरी है कि आपके पास स्नातक की डिग्री हो। जब आप साइकोलॉजी में बीए कर लेते हैं, तो इसके बाद एमए और पीएचडी भी साइकोलॉजी में कर सकते हैं। यहां आपके पास अपनी रुचि के मुताबिक स्पेशलाइजेशन चुनने का भी विकल्प मौजूद होता है।

साइकोलॉजी कोर्स में यदि आप दाखिला लेना चाह रहे हैं, तो इसके लिए आपका 12वीं उत्तीर्ण होना जरूरी है। सायकोलॉजी की पढ़ाई के दौरान आपको सैद्धांतिक (theory) के साथ व्यवहारिक नॉलेज भी मिलती है। यानी कि आप प्रैक्टिकल भी करते हैं और इंटर्नशिप भी। साइकोलॉजी में जो कोर्सेज उपलब्ध हैं, वे निम्नवत हैं:

वहीं, बात करें Psychiatry careers की तो इससे संबंधित कोर्स करने के लिए आपको मेडिकल से संबंधित परीक्षा में पास होना पड़ता है। आप इस परीक्षा में 12वीं के बाद शामिल हो सकते हैं। इस कोर्स को कर लेने के बाद आपको एमबीबीएस की डिग्री मिल जाती है।

Psychiatry और Psychology की पढ़ाई कराने वाले संस्थान

साइकोलॉजी के स्पेशलाइजेशन

Psychiatry और Psychology की पढ़ाई के बाद मिलने वाली नौकरी

सैलरी पैकेज एक नजर में

अनुभवी साइकोलॉजिस्ट को एक सेशन के लिए 2 से 3 हजार रुपये तक आराम से मिल जाते हैं। वहीं, साइकियाट्रिस्ट की सैलरी इंटर्नशिप के दौरान जहां 40 से 50 हजार रुपये प्रति माह होती है, जबकि सीनियर रेजिडेंशियल डॉक्टर एवं साइकोलॉजिस्ट की कमाई हर महीने 50 से 80 हजार रुपये तक हो जाती है। अनुभव और योग्यता रहे, तो पैसे इस क्षेत्र में भरे हुए हैं।

और अंत में

Psychiatry vs. Psychology के बारे में इस लेख को पढ़ने के बाद आप सब यह समझ चुके होंगे कि ये दोनों ही अलग-अलग करियर हैं। ऐसे में आप अपनी रुचि के मुताबिक इन दोनों में से किसी एक के लिए तैयारी करके इस क्षेत्र में अपने लिए एक सुनहरा करियर बना सकते हैं।