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हमारे अर्धसैनिक बल



नमस्कार दोस्तों। आज हम जिस विषय पर बात करने वाले हैं वह हमारी सुरक्षा से जुड़ा हुआ है। इन लोगों को हम अक्सर अपने आस-पास किसी न किसी रूप में देखते हैं। ये लोग दिन-रात बिना रुके बिना थके निरंतर सुरक्षा करते हैं। दोस्तों हम बात कर रहे हैं – भारतीय अर्धसैनिक बल (Indian Para-Military Force) की। ये देश की अति महत्वपूर्ण सुरक्षा इकाई है और इसका नियंत्रण केंद्रीय गृह मंत्रालय के पास होता है।

अर्धसैनिक बल – दायित्व

अर्धसैनिक बलों को शांति काल (युद्ध-विराम की स्तिथि) के समय देश की सीमाओं और आंतरिक शांति व्यवस्था की जिम्मेदारी दी गयी है। जब कोई युद्ध ना हो उस समय देश के बॉर्डर वाले इलाकों में अर्धसैनिक  बल ही तैनात होते हैं या फिर देश के भीतर कही भी कोई आतंकी घटना हो, या वो नक्सल क्षेत्र हो सभी स्थानों पर अर्धसैनिक  बल ही तैनात रहता है।

अर्ध-सैन्यीकरण बल के अंतर्गत आने वाले बल निम्न हैं – केंद्रीय रिज़र्व पुलिस बल, सीमा सुरक्षा बल, केंद्रीय औद्योगिक सुरक्षा बल, भारत- तिब्बत बॉर्डर पुलिस, सशस्त्र सीमा बल, राष्ट्रीय सुरक्षा गार्ड और असम रायफल्स।

असम रायफल्स (AR)

केंद्रीय रिज़र्व पुलिस बल (CRPF)

त्वरित कार्यवाही बल (RAF)

इसका गठन अक्टूबर 1992 में 10 बटालियन को मिलाकर किया गया था। अभी इसमें 10 बटालियन तथा 4 कंपनी है। इसका कार्य सांप्रदायिक दंगो तथा अन्य किसी तनाव वाली स्थितियों में तुरंत कार्यवाही करना है।

दृढ़ कार्यवाही कमांडो बल (COBRA)

इसका गठन 2008 में नक्सल गतिविधियों से निपटने के लिए किया गया था। ये कमांडो गोरिल्ला युद्ध एवं जंगल युद्ध में निपुण होते है। यह देश की सबसे कुशल एवं तेज सशस्त्र पुलिस बल है। इस बल के पास 4 शौर्य चक्र तथा 1 कीर्ति चक्र है।  

भारत- तिब्बत बॉर्डर पुलिस (ITBP)

सशस्त्र सीमा बल (SSB)

सीमा सुरक्षा बल (BSF)

केंद्रीय औद्योगिक सुरक्षा बल (CISF)

राष्ट्रीय सुरक्षा गार्ड (NSG)

आइये एक नज़र डालते हैं राष्ट्रीय सुरक्षा गार्ड के उन ऑपरेशन्स जो उन्होंने सफतलता पूर्वक कार्यान्वयन किया हैं:

ऑपरेशन ब्लैक थंडर यह ऑपरेशन 30 अप्रैल 1986 में गोल्डन टेम्पल को खलिस्तान समर्थक उग्रवादियों से मुक्त करवाने के लिए चलाया गया था।

ऑपरेशन अश्वमेध – यह ऑपरेशन 23-24 अप्रैल 1993 को इंडियन एयरलाइन्स फ्लाइट IC427 को आतंकियों से मुक्त करवाने हेतु चलाया गया था, इस ऑपरेशन में  राष्ट्रीय सुरक्षा गार्ड ने 141 बंधकों को आतंकियों  के कब्ज़े से छुड़ाया और एक आतंकी को मार गिराया था।

ऑपरेशन वज्र शक्ति 24 सितम्बर 2002 में गुजरात अक्षरधाम मंदिर को आतंकियों से छुड़ाने हेतु यह ऑपरेशन चलाया गया था। वहां आतंकियों ने 30 नागरिकों की जान ली थी, तथा 80 से ज्यादा लोगों को घायल कर दिया था। राष्ट्रीय सुरक्षा गार्ड ने केवल 1 दिन में ऑपरेशन पूर्ण कर मंदिर को आतंक मुक्त किया था तथा आतंकियों को गुजरात पुलिस के हवाले किया था।

ऑपरेशन ब्लैक टोर्नेडो26/11 2008 के आतंकी हमले में होटल ताज पैलेस, ओबेरॉय होटल और नरीमन हाउस को आतंकियों से मुक्त करवाने हेतु इस ऑपरेशन को चलाया गया था। इस हमले में 150 से अधिक लोगो की जान गयी थी तथा 300 से अधिक लोग घायल हुए थे।

दोस्तों ये एक छोटी सी पेशकश हमारे उन जवानों के नाम थी, जिन्हें  हम अनजाने में इंडियन आर्मी के जवान समझते थे। इंडियन आर्मी केवल युद्ध के समय सीमा पर रहती है अन्य स्थितियो में अर्धसैनिक बल सीमा के प्रहरी होते हैं। इनकी इस अतुल्य देश सेवा और समर्पण भाव के बाद भी इनकी शहादत को “शहीद” का दर्जा न मिलना एक गंभीर विचारणीय विषय है।

चलते चलते

दोस्तों 2016 के आंकड़ों के अनुसार लगभग २०,००० महिला कर्मी हमारे अर्धसैनिक बलों की शान बढ़ा रही हैं, यह हमारे लिए बहुत गर्व की बात है। आखिरकार हमारे देश की महिलाएं अब जीवन की लगभग हर चुनौती में पुरुषों के साथ कंधे से कन्धा मिलाकर चल रही हैं।