Open Naukri

June Solstice: ‘21 जून’ जब आपकी परछाई भी छोड़ देगी आपका साथ

पाठकों, 21 जून कहें या कहें ‘ग्रीष्म सक्रांति’, कई लोग इसे ‘ग्रीष्म अयनांत’ या फिर ‘जून सॉल्स्टिस’ भी कहते हैं, जब कभी हम भूगोल का अध्ययन करते हैं तो हमारे सामने एक शब्द आता है ‘जून सॉल्स्टिस’, जिसे लेकर कई लोग काफी ज्यादा कंफ्यूज भी रहते हैं। इसके साथ ही इसलिए भी लोग संशय में रहते हैं कि 21 जून या फिर कभी-कभी 22 जून को भारत में सबसे बड़ा दिन और सबसे छोटी रात क्यों होती है?

आज हम आपसे इस लेख में इसके पीछे कारण के ही बारे में बात करेंगे क्योंकि आज हम ‘जून सॉल्स्टिस’ के बारे में बात करने वाले हैं।

इस लेख में आपके काम की बातें इस प्रकार हैं-

क्या है ‘June Solstice’ या ‘Summer Solstice’

(एन.सी.आर.टी और नेशनल जियोग्राफिक के डेटा के अनुसार)

सबसे पहले कुछ पॉइंटर्स समझते हैं जो आपको जानना ज़रूरी है-

‘सॉल्स्टिस’ एक ऐसी भौगोलिक स्थति होती है जब धरती के एक हेमिसफेयर पर दूसरे हेमिसफेयर की अपेक्षा ज्यादा सूर्य की किरणें पड़ती हैं, उस विशेष भौगोलिक स्थति को ‘सॉल्स्टिस’ कहा जाता है। इसी के साथ जब पूरी धरती पर बराबर सूर्य की किरणें पड़ती है तो उस स्थति को इक्वीनॉक्स (Equinox) कहा जाता है।

‘जून सॉल्स्टिस’ या ‘समर सॉल्स्टिस’

अगर ‘जून सॉल्स्टिस’ की बात करें तो 21 जून या फिर 22 जून को भारत का सबसे बड़ा दिन होता है, इसके पीछे का कारण ये है कि इस दिन धरती, सूर्य का चक्कर लगाते हुए ऐसे एंगल पर पहुंच जाती है कि सूर्य की किरणें ट्रॉपिक ऑफ़ कैंसर लाइन यानी कर्क रेखा पर लंबाई में पड़ती है, जिसके कारण 21 जून साल का सबसे बड़ा दिन होता है। इस दिन सूर्य की किरणें नॉर्थ हेमिसफेयर पर ज्यादा समय तक रहती हैं, जिसके कारण 21 जून को यहां दिन बड़ा होता है और इसे ‘जून सॉल्स्टिस’ या ‘समर सॉल्स्टिस’ के रूप में भी जाना जाता है।

एक मुख्य बात

नेशनल जियोग्राफिक के डेटा के अनुसार सबसे ज़रूरी बात आपको याद रखनी है कि 21 जून या 22 जून को जब नॉर्थ हेमिसफेयर में ‘समर सॉल्स्टिस’ पड़ता है, ठीक उसी समय ‘अर्थ’ के साउथ हेमिसफेयर में ‘विंटर सॉल्स्टिस’ पड़ता है। इसका कारण साफ़ है कि जब नॉर्थ हेमिसफेयर का हिस्सा सूर्य के पास रहेगा और उसमे ज्यादा रौशनी का प्रवाह होगा तो उसी समय साउथ हेमिसफेयर सूर्य से दूर होगा और उसमे रौशनी का प्रवाह कम होगा। इसी वजह से जब धरती के नॉर्थ हेमिसफेयर में ‘समर सॉल्स्टिस’ होता है तो साउथ हेमिसफेयर में ‘विंटर सॉल्स्टिस’ पड़ता है।

क्या 21 जून 2020 को परछाई हो जाएगी गायब?

ये सही बात है, ग्रीक के मशहूर वैज्ञानिक अराटोस्थेज ने अपनी शोध में पता लगाया था कि जब सूर्य कर्क रेखा के सीधे ऊपर होता है तब कुछ पल के लिए आपकी परछाई भी आपका साथ छोड़ देगी।

साल 2020 का ‘जून सॉल्स्टिस’ होने वाला है कुछ अलग

अब आपके मन में सवाल आया होगा कि आखिर इस साल ऐसा क्या होने वाला है? कि ये ‘Summer Solstice’ सबसे अलग होगा। आपकी जानकारी के लिए हम आपको बता दें कि दैनिक भास्कर, टाइम्स ऑफ़ इंडिया के अनुसार इस साल 21 जून साल का सबसे बड़ा दिन भी होगा और इसी दिन सदी का दूसरा सबसे लंबा सूर्यग्रहण भी लगने वाला है। 21 जून 2020 इस बार दो संयोगो को साथ लेकर आने वाला है।

अंतरराष्ट्रीय योग दिवस

द हिंदू, द इंडियन एक्सप्रेस, इंडिया टुडे की रिपोर्ट के अनुसार 21 जून का दिन साल का सबसे बड़ा दिन होने के कारण ही प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने इस दिन को अंतरराष्ट्रीय योग दिवस मनाने के तौर पर चुना था।

सरांश

भूगोल बड़ा ही दिलचस्प विषय है, इसे जितना आप समझेंगे उतनी ही आपकी जिज्ञासा और बढ़ती जाएगी। इस लेख के माध्यम से हमने आपको सरल भाषा में ‘जून सॉल्स्टिस’ समझाने की कोशिश की है। उम्मीद करते हैं कि आपको हमारा प्रयास पसंद आएगा।

चलते-चलते आपको एक और तारीख से रूबरू करवा देते हैं, बता दें कि धरती, सूर्य का चक्कर लगाते हुए 21 सितंबर के आस-पास ऐसी स्थति में पहुंच जाती है कि इस तारीख को यहां दिन और रात की अवधी बराबर होती है। इसी तारीख के बाद से ही दिन के मुकाबले रात बड़ी होने लगती है। 21 सितंबर से शुरू हुई ये प्रक्रिया ‘विंटर सॉल्स्टिस’ यानी 23 दिसंबर तक चालू रहती है। इसी प्रक्रिया के माध्यम से पूरे विश्व में मौसम परिवर्तित होता रहता है।