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J&K Reorganization Bill 2019 से इतिहास बना अनुच्छेद 370



आजादी के बाद से ही जम्मू-कश्मीर को विशेष दर्जा प्रदान करने वाले जिस अनुच्छेद 370 एवं धारा 35A को हटाये जाने की बाट पूरा देश जोह रहा था, उस इंतजार को आखिरकार प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की सरकार ने जम्मू-कश्मीर पुनर्गठन विधेयक 2019 (J&K Reorganization Bill 2019) को पहले राज्यसभा और फिर लोकसभा पारित करवाकर खत्म कर दिया। इस विधेयक के जरिये अनुच्छेद 370 के एक खंड को छोड़कर बाकी सभी खंडों एवं धारा 35A को पूरी तरह से समाप्त करते हुए जम्मू-कश्मीर को दो केंद्रशासित प्रदेशों जम्मू-कश्मीर एवं लद्दाख में बांट दिया गया।

J&K Reorganization Bill 2019 के तहत अनुच्छेद 370 का अंत

Jammu & Kashmir Reorganization Bill 2019 के तहत हटाई गई धारा 35A

विधानसभा के साथ जम्मू-कश्मीर बना केंद्रशासित प्रदेश

J&K Reorganization Bill 2019 के तहत जम्मू-कश्मीर अब एक केंद्रशासित प्रदेश बन गया है, जहां एक विधानसभा होगी, मगर राज्य के शासन का प्रधान दिल्ली की तरह लेफ्टिनेंट गवर्नर होगा। पहले जम्मू-कश्मीर में संवैधानिक सभा हुआ करती थी, मगर अब इसे राज्य की विधानसभा कहा जायेगा। साथ ही विधानसभा का कार्यकाल अब पहले की तरह 6 वर्षों का न होकर देश के बाकी राज्यों की तरह ही 5 वर्षों का होगा। जम्मू-कश्मीर विधानसभा में मंत्रिपरिषद तो होगा, मगर यह राज्यपाल के प्रति ही जवाबदेह होगा। सदर-ए-रियासत के पद को इस विधेयक के तहत यथास्थान बरकरार रखा गया है, मगर उनको जो निर्देश दिये जाएंगे, वे भी राज्यपाल के लिए माने जाएंगे। दरअसल, पूर्व में जम्मू-कश्मीर की विधानसभा में 75 सीटें हुआ करती थीं, मगर 1995 में परिसीमन के बाद सीटों की संख्या 87 हो गई थी। इनमें से 46 सीटें कश्मीर, 37 जम्मू और 4 विधानसभा सीटें लद्दाख में थीं। कश्मीर का क्षेत्र छोटा होने के बावजूद कश्मीर के पास सीटें अधिक रहीं।

बिना विधानसभा के लद्दाख केंद्रशासित प्रदेश

लद्दाख में लंबे अरसे बौद्ध अनुयायी अलग राज्य की मांग कर रहे थे, क्योंकि जम्मू-कश्मीर का 61 फीसदी भूभाग लद्दाख का ही है। यह हिस्सा आतंकवाद से पूरी तरह से मुक्त रहा है। J&K Reorganization Bill 2019 के अंतर्गत लद्दाख को जम्मू-कश्मीर से अलग करके बिना विधानसभा के केंद्रशासित प्रदेश बना दिया गया है। उपराज्यपाल के हाथों में अब यहां के शासन की कमान होगी।

निष्कर्ष

अनुच्छेद 370 और धारा 35ए ने भले ही जम्मू-कश्मीर को विशेष दर्जा प्रदान किया हुआ था, मगर इसकी आड़ में राज्य में बढ़ते आतंकवाद एवं बेरोजगारी जैसी समस्याओं के मद्देनजर इन्हें हटाने की आवश्यकता महसूस की जाने लगी। आखिरकार केंद्र की नरेंद्र मोदी सरकार ने इस दिशा में कदम बढ़ाते हुए J&K Reorganization Bill 2019 के जरिये इसे समाप्त कर दिया। बताएं, धारा 370 हटाये जाने को लेकर आपकी क्या राय है?