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Firozabad Rail Disaster: जब लापरवाही ने ली 300 से ज्यादा जिंदगी



Firozabad Rail Disaster को भला कोई भूल कैसे सकता है? 20 अगस्त, 1995 का दिन था। तड़के 3 बजे का वक्त था। फिरोजाबाद रेलवे स्टेशन से कालिंदी एक्सप्रेस चली थी। नीलगाय के टकराने की वजह से ट्रेन रुक गई थी। पीछे से आ रही पुरुषोत्तम एक्सप्रेस ने 100 किलोमीटर प्रति घंटा की रफ्तार से इसे जोरदार टक्कर मार दी। उसके बाद जो हुआ, उसे याद करके आज तक शरीर में सिहरन पैदा हो जाती है।

क्या-क्या जानेंगे आप इस लेख में

यूं पड़ी Firozabad Rail Disaster की नींव

कालिंदी एक्सप्रेस के ड्राइवर की चूक

स्विचमैन की चूक

असिस्टेंट स्टेशन मास्टर की चूक

पुरुषोत्तम एक्सप्रेस के ड्राइवर की चूक

Firozabad Rail Disaster में नुकसान

तीन दिन लगे थे इन दोनों ट्रेनों के मलबे को खंगालने में। इसमें 300 से ज़्यादा लोगों की मौत हो गई थी। 393 लोग इस हादसे में घायल हुए थे। हादसा इतना भयावह था कि कालिंदी एक्सप्रेस के सामान्य कोच में सफर कर रहे केवल चार लोग ही जिंदा बच पाए थे।

…और अंत में

Firozabad Rail Disaster निश्चित तौर पर अपनी ड्यूटी कर रहे रेलकर्मियों की लापरवाही का नतीजा था। ऐसे में रेलकर्मियों को यह बात खुद से जरूर पूछनी चाहिए कि क्या वे कुछ ऐसा कर रहे हैं, जिसके कारण दुर्घटना घट सकती है। उन्हें याद रखना चाहिए कि हर दिन ट्रेन से सफर करने वाले लाखों यात्रियों की सुरक्षा की जिम्मेवारी उनके कंधों पर है।