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मुगल भारत में कुछ ऐसे हुआ भारतीय व्यापारिक वर्गों का उदय



मुगल शासनकाल में स्थानीय स्तर पर छोटे व्यापारियों से लेकर बड़े व्यापारी भी उद्योग व वाणिज्य का हिस्सा थे। व्यापारी, दलाल और सर्राफ अलग-अलग स्तर पर भूमिकाएं निभा रहे थे। बड़े पैमाने पर व्यापार होने से कुछ नये तौर तरीके तो उभर कर आये ही, साथ में नये संस्थानों का भी उदय हुआ। बैंकिंग और क्रेडिट सिस्टम भी अस्तित्व में आये। व्यापार में पार्टनरशिप हुई और बीमा उद्योग भी शुरू हुए।

बैंकिंग

बीमा

ऋण व्यवस्था

चलते-चलते

व्यापार और वाणिज्य के उद्देश्य से व्यापारियों, सर्राफों, साहूकारों और दलालों ने मुगल भारत में व्यापार में अपने पैर जमा लिये थे। जैसे-जैसे व्यावसायिक गतिविधियों में बढ़ोतरी हुई, इनकी ओर आकर्षित होने वाले लोगों की संख्या बढ़ती चली गई। इस तरह से जो व्यापार, बैंकिंग, बीमा और ऋण व्यवस्था का स्वरुप हम आज देख रहे हैं, उसकी झलक बहुत पहले ही दिख गई थी।