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जनता की ताकत ने लिखी सोवियत संघ के अंत की कहानी



शीतयुद्ध के अंत के बाद सोवियत संघ का विघटन एक बड़ी ही महत्वपूर्ण घटना थी। वर्ष 1989 में जर्मनी की दीवार को गिरा दिया गया था। जो जर्मनी दूसरे विश्वयुद्ध के बाद विभाजित हुआ था, उसका एक बार फिर से एकीकरण हो गया। पूर्वी यूरोप के जो आठ देश सोवियत संघ के खेमे का हिस्सा थे, उन्होंने अपने यहां के साम्यवादी शासन का अंत कर डाला। सोवियंत संघ ने इस वक्त खुद को असहाय महसूस किया, क्योंकि यह कोई सैन्य मजबूरी नहीं, बल्कि जनता ने संगठित होकर विद्रोह का बिगूल फूंक दिया था। ऐसे में सोवियत संघ का ही आखिरकार विघटन हो गया।

सोवियत प्रणाली को समझें

सोवियत साम्यवाद का विघटन

सोवियत संघ के विघटन के कारण

निष्कर्ष

निश्चित तौर पर सोवियत संघ के विघटन के लिए वहां की निरंकुश बन चुकी सरकार और जनता में जागी विकास की प्यास थी। रूस और यूक्रेन जैसे बड़े देशों की जनता को महसूस होने लगा था कि सोवियत संघ में शामिल अन्य पिछड़े इलाकों की वजह से उन्हें खामियाजा भुगतना पड़ रहा है और वे विकास की दौड़ में पिछड़ गये हैं। सोवियत संघ के विघटन के लिए आप किसे सर्वाधिक जिम्मेदार मानते हैं?