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हर क्षेत्र में विकास का गवाह बनी थी मेगालिथिक संस्कृति

महापाषाण, जिसे कि मेगालिथिक के नाम से भी जाना जाता है, उसके नाम से ही यह स्पष्ट होता है कि इसका संबंध पत्थरों से हैं। हालांकि, पत्थरों से जितने भी स्मारक प्राचीन काल में बने हैं, उन सभी को महापाषाण की श्रेणी में नहीं रखा जा सकता है। वैसे स्मारक जो विशाल पत्थरों से बने हैं, केवल उन्हें ही महापाषाण के तहत रखा जा सकता है। दरअसल, आवासीय इलाकों से काफी दूर पर जो कब्रिस्तान में बड़े पत्थरों से समाधियां बनी हुई होती थीं, ये उन्हीं के सूचक हुआ करते थे।

भारत में महापाषाण संस्कृति

कृषि व्यवस्था

पशुपालन

शिकार

धातुओं का इस्तेमाल

लौह उद्योग

काष्ठ शिल्प

मिट्टी के शिल्प

व्यापार

सामाजिक संगठन और आवास

चलते-चलते

कुल मिलाकर महापाषाण या मेगालिथिक संस्कृति के बारे में कहा जा सकता है कि नव पाषाण काल के मुकाबले उन्होंने काफी विकास कर लिया था। कृषि से लेकर शिकार, शिल्प, उद्योग व सामाजिक संरचना आदि में भी उन्होंने प्रगति दिखाई। क्या आपको नहीं लगता कि मेगालिथिक संस्कृति अपने समय के हिसाब से विकास के रास्ते पर काफी आगे बढ़ चुकी थी?