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20 दिसम्बर: अन्तर्राष्ट्रीय मानव एकता दिवस (International Human Solidarity Day)

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भारत में ‘वसुधैव कुटुंबकम’ के विचार को पुरातन काल से ही जीया जा रहा है। हमारे साहित्य में भी संगठित होकर रहने के महत्त्व को कहानियों के माध्यम से समझाया गया है। मानव समाज में आपसी एकजुटता की उपयोगिता को संयुक्त राष्ट्र संघ ने भी समझा है तथा इसके महत्व और उद्देश्यों की पूर्ति हेतु वैश्विक रूप से अन्तर्राष्ट्रीय मानव एकता दिवस (International Human Solidarity Day) मनाये जाने की शुरुआत की। आज के इस लेख में हम अन्तर्राष्ट्रीय मानव एकता दिवस की प्रासंगिकता, महत्व , उद्देश्य आदि के बारे में विस्तृत रूप से चर्चा करने वाले हैं। 

अंतरराष्ट्रीय मानव एकता दिवस का उद्देश्य

अंतरराष्ट्रीय मानव एकता दिवस कब मनाया जाता है?

संयुक्त राष्ट्र ने विविधता में एकता के महत्व को समझाने के लिए 22 दिसंबर 2005 को यह दिवस मनाने की घोषणा की थी।  तब से अब तक हर साल 20 दिसंबर को अंतरराष्ट्रीय मानव एकजुटता दिवस मनाया जा रहा है.

अंतर्राष्ट्रीय मानव एकता दिवस का इतिहास

अंतर्राष्ट्रीय मानव एकता दिवस मनाये जाने के पीछे उसका एक विस्तृत इतिहास रहा है। साल 2005 में इसकी घोषणा से पूर्व  20 दिसंबर, 2002 को संयुक्त राष्ट्र महासभा ने संकल्प 57/265 द्वारा विश्व एकजुटता कोष की स्थापना की थी। जिसे आगे चलकर साल 2003, फरवरी में संयुक्त राष्ट्र विकास कार्यक्रम के लिए ट्रस्ट फंड के रूप में जाना गया। इस फण्ड का उद्देश्य गरीबी पर अंकुश लगाना और विकासशील देशों में मानव और सामाजिक विकास को बढ़ावा देना है। 22 दिसंबर 2005 से इसे एक दिवस के रूप में स्थापित किये जाने की घोषणा संयुक्त राष्ट्र द्वारा की गयी थी।

अंतर्राष्ट्रीय मानव एकता दिवस का महत्व

अंतर्राष्ट्रीय मानव एकता दिवस के उद्देश्य में ही इसका महत्व छिपा हुआ है। चूँकि इस दिवस का उद्देश्य ही लोगों को विविधता में एकता के महत्व को बताते हुए जागरूकता फैलाना हैं। यह दिवस  राष्ट्रों को एक साथ शांति, सौहार्द , भाईचारे ,मानवाधिकारों और सामाजिक और आर्थिक विकास को बढ़ावा देने के लिए प्रेरित करता है।यदि हम अपने भारत देश के परिपेक्ष्य में बात करें तो, भारत ने सदैव ही देश और दुनिया को ‘वसुधैव कुटुंबकम’ का मंत्र दिया है। हमारे हजारों साल पुराने शास्त्रों तथा पुराणों में ‘वसुधैव कुटुंबकम’ की महत्वता को बताया गया है।

वर्तमान के परिपेक्ष्य में बात की जाये तो, अन्तर्राष्ट्रीय मानव एकता दिवस की महत्वता और प्रासंगिकता अपने चरम पर है , क्योकि विश्व इस समय कोरोना, ग्लोबल वार्मिंग, ऊर्जा संकट, पीने योग्य जल संकट, पर्यावरणीय संकट तथा आतंकवाद जैसे वैश्विक संकटों से घिरा हुआ है। ऐसे समय में हमें आवश्यकता है की हम एकजुटकर इन समस्याओं का सामना करें और हल निकालें।

अंतर्राष्ट्रीय मानव एकता दिवस की थीम

अंतर्राष्ट्रीय मानव एकता दिवस की थीम हर साल एक समान रहती है। यह दिन विशेष रूप से विकासशील देशों में सहयोग, समानता और सामाजिक न्याय की संस्कृति को बढ़ावा देने पर केंद्रित है।

वैश्विक एकजुटता को परिभाषित करता है संयुक्त राष्ट्र संघ

चलते -चलते

भारत में राष्ट्रीय एकता की भावना को व्यवहार में लाने के लिए 31 अक्टूबर को राष्ट्रीय एकता दिवस मनाया जाता है। इस दिन हमारे देश के पहले गृहमंत्री सरदार बल्लभभाई पटेल का जन्म हुआ था। सरदार पटेल लौह पुरुष के रूप में जाने जाते हैं, तथा उन्होंने आजादी के समय 600 रियासतों को एकजुट करके एक संघ का रूप दिया , जिसे हम भारत के नाम से जानते हैं। इसके अतिरिक्त भारत बहु-धर्मीय,बहु-सांस्कृतिक राष्ट्र है , यहाँ पर अनेक संस्कृति और धर्म के लोग आपसी सौहार्द और समभाव से रहते हैं, हम कह सकते है की भारत अनेकता में एकता का सटीक उदाहरण है। आप विश्व के किसी भी अन्य देश में इतनी सांस्कृतिक भिन्नताएं नहीं पाएंगे जितनी हमारे देश में हैं। आज हम अन्तर्राष्ट्रीय मानव एकता दिवस पर भारत की ओर से समस्त विश्व को इस लेख के माध्यम से यही सन्देश देना चाहेंगे कि ‘ अनेकता में एकता, यही है हमारी विशेषता, हम एक थे, एक हैं , एक रहेंगे और एकता का ही प्रसार करेंगे’, जय हिन्द !