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शीला दीक्षित- एक परिचय

नमस्कार दोस्तों, आज हम जिस शख्सियत की बात करेंगे वो किसी पहचान की मोहताज नहीं थी वो दिल्ली की राजनीति में अपने आप में बहुत बड़ा कद रखती थी। दिल्ली को पुरानी से नई, और नई से आधुनिक बनाने में जिन शख्सियतों का योगदान रहा है उनमे इस शख्सियत का नाम अग्रणीय रूप से लिया जाता है। दिल्ली को मेट्रो से जोड़ने से लेकर कॉमनवेल्थ-2010  खेलो का सफल आयोजन तक  हर क्षेत्र मेँ दिल्ली को अंतर्राष्ट्रीय पहचान दिलाने मे इस महिला का अभूतपूर्व योगदान रहा है। उस शख्सियत का नाम है शीला दीक्षित, जिनका हाल ही मेँ निधन हो गया है। परन्तु शीला जी अपने कार्यो के लिए हमेशा लोगों के दिलों मेँ रहेंगी।

प्रारंभिक जीवन

राजनीतिक जीवन

राजनीतिक योगदान

एक राजनीतिक कार्यकर्त्ता के रूप मे शीला जी के देश सेवा के प्रति निम्न योगदान रहे।

      –  हरदोई नगर को जिला मुख्यालय से जोड़ने हेतु गंगा नदी मे पुल का निर्माण करवाया। जिसका उद्घाटन राजीव गाँधी जी ने किया था।

      –  लोगो के मनोरंजन के लिए तिर्वा मे दूरदर्शन रिले केंद्र की स्थापना करवाई।

      –   स्थानीय टेलीफोन एक्सचेंज को आटोमेटिक करवाया।

      –   पक्षी विहार का निर्माण।

      –  विनोद दीक्षित अस्पताल का निर्माण तथा उसमे सीएचसी सुविधाएं उपलब्ध करवाई।

      –   कन्नौज जिले मे इत्र तथा सुगंधित तेल का केंद्र निर्माण।

राजनीतिक विवाद

जैसे की हर चीज़ के विभिन्न पहलु होते हैं उसी प्रकार शीला जी की राजनीतिक पारी के कुछ विवाद भी सुर्खियों मे रहे थे।

चलते-चलते

विगत 20  जुलाई 2019 को दिल्ली के फोर्टिस एस्कॉर्ट हॉस्पिटल मे हृदय सम्बन्धी बीमारी के कारण शीला दीक्षित जी का निधन हो गया। शीला जी दल-बदल की राजनीति  से दूर रहती थी, जीवन के अंतिम क्षणों तक उन्होंने कांग्रेस पार्टी का साथ दिया था। उनके निधन की खबर सुनकर राहुल गाँधी का कहना था की कांग्रेस पार्टी ने अपनी एक बहादुर बेटी को खो दिया है। भारत के पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने शीला जी के निधन पर दुख जताते हुए कहा कि देश ने एक जननेता खो दिया है। दिल्ली के विकास के लिए उन्हें हमेशा याद किया जाएगा। वास्तव मे हमने  शीला जी के रूप मे एक झुंझारू शख्सियत तथा एक दूर-दर्शी नेत्री खो दी है।