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World AIDS Day – December 1



मानव को प्रकृति ने जीवन यापन के लिए अनेक प्रकार के प्राकृतिक संसाधनों से युक्त किया है, किन्तु मानव अपनी गलत आदतों तथा गलत जीवन-शैली के कारण अनेक प्रकार की ऐसी जानलेवा बीमारियों के अधीन हो जाता है जिनके चुंगल से निकल पाना बहुत मुश्किल साबित होता है।

आज हम 1 दिसंबर के मौके पर एक ऐसी ही जानलेवा बीमारी के बारे में जानकारी प्राप्त करेंगे जिनकी भयावहता का अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि वर्ष 2019 में दुनियाभर में 6.9 लाख लोग इस बीमारी से काल के मुंह में समा गए हैं। हम बात कर रहे है HIV एड्स बीमारी के बारे में , 1 दिसम्बर को पुरे विश्व में एड्स दिवस के रूप में मनाया जाता है। दोस्तों विश्व एड्स दिवस के बारे में विस्तृत जानकारी हम निम्न शीर्षकों के द्वारा प्राप्त करेंगे।

• एड्स दिवस का उद्देश्य तथा महत्व

• AIDS क्या है

• AIDS बीमारी के कारक

• AIDS बीमारी के लक्षण

• AIDS बीमारी से बचाव

• AIDS का इतिहास

• AIDS के वैश्विक आंकड़े

एड्स दिवस का उद्देश्य तथा महत्व

• लोगो को एड्स के प्रति जागरूक करना, इसकी रोकथाम करना , लोगो के मध्य में एड्स के प्रति फैले भ्रम, मिथों को दूर करना , लोगो को एड्स के प्रति शिक्षित करना है। एड्स से प्रभावित लोगो की मदद करना , उनके साथ समाज में होने वाले भेदभावों के प्रति त्वरित कार्यवाही करना तथा इनकी मदद के लिए धन अर्जित करना है, एड्स दिवस की प्राथमिकताओं में शामिल है।

• सर्वप्रथम एड्स दिवस (World Aids Day) साल 1987 में WHO के दो अधिकारियो जेम्स डब्ल्यू बुन और थॉमस नेटर के द्वारा मनाया गया था। इन्ही दोनों की अनुशंसा पर WHO ने 1 दिसंबर 1988 से प्रत्येक वर्ष इस दिवस को विश्व एड्स दिवस के रूप में मनाने की घोषणा की थी।

• साल 1991 में पहली बार एड्स के निशान के रूप में लाल रिबन का प्रयोग किया गया था। यह एड्स पीड़ित लोगों के खिलाफ दशकों से चले आ रहे भेदभाव को खत्म करने की एक कोशिश थी।

• वर्ष 2020 के लिए WHO द्वारा एड्स दिवस की थीम “एंडिंग द एचआईवी / एड्स, महामारी: लचीलापन और प्रभाव” रखी गयी है। वर्ष 2008 से प्रत्येक वर्ष इस दिवस को एक थीम देने की शुरुआत की गयी थी।

• साल 1996 में संयुक्त राष्ट्र ने HIV/AIDS के प्रचार और प्रसार का अभियान वैश्विक स्तर पर चलाया था। साल 1997 में विश्व एड्स अभियान के तहत संचार, रोकथाम और शिक्षा पर कार्य करना शुरू किया था।

AIDS क्या है?

AIDS एक संक्रामक विषाणु(वायरस) जनित महामारी है। AIDS वाइरस का पूरा नाम Acquired immuno deficiency syndrome (उपार्जित प्रतिरक्षा न्यूनता सिंड्रोम) है , इसे HIV -Human immunodeficiency virus भी कहा जाता है। AIDS हमारे शरीर की T4 लिम्फोसिट्स यानि प्रतिरक्षी कोशिकाओं को नष्ट कर देता है। जिस कारण से इस रोग से ग्रसित व्यक्ति की रोगो से लड़ने की शक्ति खत्म हो जाती है और वो विभिन्न प्रकार के रोगो से ग्रसित हो जाता है, धीरे -धीरे उस व्यक्ति की मौत हो जाती है।

AIDS का इतिहास

AIDS की पहचान सर्वप्रथम अफ्रीका में बंदरो में की गयी थी। चूँकि अफ़्रीकी लोग बंदरो का मांस खाते थे , जिस वजह से AIDS मानवो में आ गया।

AIDS की सर्वप्रथम खोज 1981 में डॉक्टर माइकल गॉटलीब द्वारा ग्रिड यानी गे रिलेटिड इम्यून डेफिशिएंसी के नाम से हुई थी। 1982 में ग्रिड का नाम बदल कर एड्स यानी एक्वायर्ड इम्यूनो डेफिशिएंसी सिंड्रोम रखा गया तथा 1986 में इस वायरस को एचआईवी यानी ह्यूमन इम्यूनो डेफिशिएंसी वायरस का नाम मिला था।

AIDS बीमारी के कारक

AIDS एक संक्रामक रोग है , किन्तु ये छुआ-छूत या रोगी के साथ उठने -बैठने से नहीं फैलता है। इसके फैलाव को रोकने तथा इससे बचाव के लिए हम आपको इसके मुख्य कारको को बता रहें हैं।

1-असुरक्षित यौन सम्बन्ध बनाने से .

2-संक्रमित इंजेक्शन के इस्तेमाल से .

3-नशीले इंजेक्शन के प्रयोग से .

4-संक्रमित रक्त के चढ़ाये जाने से.

5-उपयोग में लाये गए ब्लेड के इस्तेमाल से.

6-HIV माता से प्रसव के दौरान शिशु को.

AIDS बीमारी के लक्षण.

यदि किसी व्यक्ति को AIDS रोग है तो उसमे निम्न लक्षण सामान्यः पाए जाते हैं।

1-ठंड लगना .

2-पसीना आना .

3-बुखार.

4-उल्टी आना .

5-वजन घटना .

6-थकान.

7-भूख कम लगना .

8-गले में खराश रहना .

9-दस्त होना .

10-खांसी होना .

11-सांस लेने में समस्‍या .

12-शरीर पर चकत्ते होना .

13-स्किन प्रॉब्‍लम.

AIDS बीमारी से बचाव

1-AIDS बीमारी से बचाव का वर्तमान चिकित्सा प्रणाली में कोई संभव इलाज उपलब्ध नहीं है, सही एवं सटीक जानकारी ही इससे बचाव का इलाज है।

2-अधिक से अधिक लोगो तक एड्स रोग के प्रति जागरूकता फैलाना , इसके प्रसार -प्रचार को नियंत्रित करना।

3-असुरक्षित यौन सम्बन्धो से बचाव , खुद के लिए एवं अपने जीवन साथी के लिए सदैव ईमानदार रहें।

4-पहले से उपयोग में लाये गये ब्लेड , इंजेक्शन आदि के प्रयोग से बचे।

5-यदि आप एक एड्स रोगी हैं तो अपना खून किसी को न चढ़ाये और न ही रक्त दान करे।

6- रक्त की जरुरत होने पर केवल टेस्टेड रक्त ही इस्तेमाल करें।

AIDS के वैश्विक आंकड़े

• भारत में HIV एड्स का पहला मामला साल 1986 में रिपोर्ट किया गया था। भारत सरकार की रिपोर्ट्स के मुताबित भारत में एचआईवी (HIV) के रोगियों की संख्या लगभग 2.1 मिलियन है।

• UNICEF की रिपोर्ट के मुताबिक दुनिया में 37.9 मिलियन लोग HIV के शिकार हो चुके हैं। दुनिया में रोज़ाना हर दिन 980 बच्चों एचआईवी वायरस के संक्रमित होते हैं, जिनमें से 320 की मौत हो जाती है।

• उपलब्ध आंकड़ों के अनुसार एड्स बीमारी 75% असुरक्षित यौन सम्बन्ध , 17% इन्फेक्टेड इंजेक्शन तथा नशीले पदार्थ , 2% इंफेक्टड खून चढ़ाने तथा 6% अन्य कारणों से प्रसारित होता है।

चलते – चलते

संयुक्त राष्ट्र की रिपोर्ट के अनुसार पिछले दशक में एचआईवी संक्रमितों की संख्या में गिरावट आयी है , जोकि एक अच्छा संकेत है मानवता के लिए। एड्स रोग के परिणामो से समाज में इससे ग्रसित रोगी के प्रति एक सामाजिक दुरी की भावना आ जाती है किन्तु अब समाज को सोच में बदलाव की जरूरत है और जरुरत है एड्स ग्रसित व्यक्ति के साथ अच्छा व्यवहार करे और उस अक आम जिन्दगी जीने का मोका दे।

भारत समेत जापान, अमरीका, युरोपीय देश और अन्य देशों में इस के इलाज व इससे बचने के टीकों का अनुसन्धान कार्य उच्च स्तर पर जारी है। इस लेख के अंत में हम अपने पाठको से उम्मीद करते हैं कि आपको हमारे द्वारा दी गयी जानकारी पसंद आयी होगी, धन्यवाद।