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क्या 500 और 1000 रु के नोट रद्द कर के काले धन की समस्या कम होगी?

भ्रष्टाचार और काला धन हमारे देश के विकास पर काले सांप की तरह कुंडली मारे बैठे है। इससे निजाद पाने के लिए हम सालों से प्रयास कर रहे है। विभिन्न सरकारों ने काले धन को कम करने के लिए तरह तरह के मार्ग अपनाए। इनमे से सबसे नया और अक्सीर उपाय मोदी सरकार ने आजमाया है। हम में से कई लोगों के मन में यह सवाल उठ रहा होगा की क्या 500 और 1000 रु के नोट रद्द कर के काले धन की समस्या कम हो सकती है? इस सवाल का जवाब पेचीदा है। आइए सरकार के इस फैसले के नजदीकी और दुरोगामी असर को समझाने का प्रयास करते है।

सरकार का फैसला क्या है?

भारत सरकार ने दिनांक 8 नवम्बर 2016 की शाम को अपने एक ऐतिहासिक कदम की घोषणा करते हुए कहा कि 500 और 1000 रु के नोट को उसी रात 12 बजह से रद्द किया जाएगा। लोग 31 दिसंबर तक अपने 500 और 1000 रु के नोट को बैंक या पोस्ट ऑफिस में जा कर बदला सकते है। इनकी जगह अब 2000 रु के नए नोट को व्यवहार में लाया जायेगा।

क्यों लिया गया यह फैसला?

माना जाता है कि इस समय भारतीय बाज़ार में चल रहे और पडौसी देश द्वारा घुसाए गए नकली नोट (जो मुख्यत: 500 और 1000 रु के है) को और लोगों द्वारा घर में संगृहीत काले धन को निर्मूल्य करने के लिए यह फैसला लिया गया है। इस समय सबसे ज्यादा काला धन 500 और 1000 रु के नोट के रूप में है।

कैसे लिया गया यह फैसला?

यह कोई अचानक लिया गया फैसला नहीं है। इसे हम प्रधान मंत्री श्री नरेंद्र मोदीजी और उनकी सरकार की एक सुझबुझ भरी योजना कह सकते है।

क्या इस फैसले से काले धन को रोका जा सकता है?

एक बात तय है की इस फैसले से देश में छुपा करोड़ों का काला धन उजागर हो जाएगा या निर्मूल्य हो जाएगा। 500 और 1000 रु के नकली नोट भी बेकार हो जायेंगे। लेकिन 2000 रु के नोट को व्यवहार में लाने के बाद फिर से काले धन का जमाव होना शुरू हो जाएगा।

एक और बात यह है की सबसे ज्यादा काला धन देश के बहार है जिसे इस फैसले से कोई असर नहीं होगा। लेकिन कुछ ना करने से छोटा कदम उठाना बेहतर है। इस लिए सरकार के इस निर्णय का सन्मान करते हुए हमें धैर्य से काम लेना चाहिए।